पिछले लेख में मैं ने विन्डोज लाईव राइटर जाल-सेवक का परिचय दिया था. अधिकतर चिट्ठेबाजों के लिये इसके अलावा किसी सेवक की आवश्यक्ता नही है, लेकिन संगणक के लोक में एवं जाल जगत में कोई भी साफ्टवेयर शत प्रतिशत लोगों को एक समान परिणाम नही देता है. अत: इस लेख में मैं हिन्दी-समर्थ एक और सेवक की जानकारी दे रहा हूं. इसका मूल नाम है परफार्मेन्सिंग, लेकिन आजकल यह मलिकियत बदलने के कारण स्क्राइबफायर नाम से भी जाना जाता है. इसकी मुख्य खामी यह है कि यह सिर्फ फायरफाक्स के सहायी कर्यक्रम के रूप में काम करता है.
इसे आप निम्न जालपते से प्राप्त कर सकते है: Performancing
लाइव राइटर कई मेगाबाइट का है तो यह सिर्फ 350 किलोबाईट स्थान घेरता है. इसे स्थापित करने के बाद यह एक छोटे से प्रतीक के रूप मे फायरफोक्स के दहिने नीचे की पट्टी पर रहता है. उसे स्पर्श कीजिये, और अलादीन के जिन्न के समान यह आपकी सेवा मे उपस्थित हो जाता है.
यह लाइव राइटर के समान समर्थ नही है, लेकिन अधिकतर चिट्ठा लेखन के लिये सिर्फ इस हल्के फुल्के सेवक की ही जरूरत है.
— शास्त्री जे सी फिलिप
इस परम्परा के अन्य लेख
मैं तकनीक से जुड़ा व्यक्ति नहीं हूं पर लिनेक्स पर काम करता हूं। मुझे हिन्दी में चिट्ठा लिखते एक साल से ऊपर हो गया। आज तक कभी भी किसी भी वेबसाइट पर या ऑफलाइन या ऑनलाइन चिट्ठा लिखने में मुशकिल नहीं हुई। विंडोज़ के बारे में तरह तरह के प्रोग्राम के बारे में सुनता हूं। मुझे लगता कि लिनेक्स पर हिन्दी कहीं आसानी से ज्यादा सुविधा जनक है बजाय विंडोज़ के।
@उन्मुक्त
उन्मुक्त जी, सवाल यह है कि हम जैसे windows के आदी लोग किस तरह से संघर्ष किये बिना लिनक्स की भूलबुलैया मे प्रवेश करें.
एक कंप्यूटर पर लिनेक्स डाल कर काम कीजये। आपको कुछ मुश्किल नहीं होगी। आप लिनेक्स का वह डिस्ट्रीब्यूशन डालें जिस पर आपको आस पास कुछ सहायता मिल सके या फिर फेडोरा डालें।
namaskar aur dipawali ki shubhkamnayen mai bloging ke kshetra me bilkul naya hoon.kripya mera margdarshan karte rahen.