हिन्दी में एक से एक चिट्ठे एवं लेखक हैं, तथा हलके से हलका एवं वजनी से वजनी लेख की कोई कमी नहीं है. शुक्र हो उन दोनों सज्जनों का जिन्होंने मुझे हिन्दी चिट्ठा-जगत में आने के लिये प्रेरित किया. यहां पढने-लिखने-बोलने-सोचने के लिये बहुत कुछ है. शुक्रिया उन सहृदय चिट्ठाकरों का जिन्होंने पहले दिन से मुझे अपनी टिप्पणियों द्वारा एवं व्यक्तिगत पत्र द्वारा प्रोत्साहित किया.
इस हफ्ते कई लेखों ने मुझे गहराई से स्पर्श किया, कई ने प्रेरणा दी, और अन्य कई ने काफी आनंद दिया. इन में से कुछ आपकी जानकारी के लिये प्रस्तुत हैं. पढें तो आपको ही फायदा होगा.
- धुरविरोधी: गजब का विश्लेषण
- रवि रतलामी: साफ्टवेयर विशेषज्ञों के लिये आर्थिक सहायता
- संजीत त्रिपाठी: पुलीस की ज्यादतियों के बारे मे
- अतुल शर्मा: अकेला चना (या बहुत सारे) क्या कुछ कर सकेगा
- शिल्पा शर्मा: हिन्दुस्तान में ऐसा भी होता है
इस हफ्ते का सबसे मस्त शीर्षक:
सबसे मस्त डाउनलोड
- मस्त डाउनलोड (संभावित उच्चारण. सही उच्चारण, मस्ट डाउनलोड)
मेरे पिछले लेख (यह किस देश की भाषा है) मे जो वाक्य दिया गया है वह ‘ओपेरा’ से है. ओपेरा की समीक्षा पढिये:
अगले हफ्ते से यह पत्र कई श्रेणियों मे चुने हुवे चिट्ठों को प्रस्तुत करेगा.
सब जगह घूम ही रहे हैं तो जरा हमारे यहाँ भी पधारिये। थोड़ी जगह तो बच्चों की भी होनी चाहिऐ ना।
हम भी हैं लाईन में
@प्रिय विकास
अपने चिट्ठे के तरफ मेरा ध्यान आकर्षित करने के लिये शुक्रिया.
देखा. पढा. बहुत अच्छा लगा.
सुरुचिपूर्ण चिट्ठा है, अकर्षक काव्य शैली है.
@प्रिय काकेश
चिट्ठा देखा. अच्छा लगा. “वेतन बढोत्तरी एवं गीता ज्ञान” एक सटीक व्यंग/विश्लेषण है. लिखते रहो! बहुता आगे जाओगे.
— शास्त्री जे सी फिलिप
कृपया पंगाघर मे भी पधारे
सारथी जीं (फिलिप जी )
आप हिन्दी के लिए सारथी जैसा ही प्रयास कर रहे हैं
दीपक भारतदीप
@अरुण
पंगाघर हो आया. पंगेबाज से अच्छी मुलाकात हुई. “देह शिवा वर मोहे यह, शुभ करमन से कबहु न डरो न डरो अरि सो जब जाय लरौ, निश्चय कर अपनी जीत करो”
— शास्त्री जे सी फिलिप
@राजलेख
प्रिय दीपक, प्रेरणा के लिये मैं आभारी हूं
शास्त्री जी,
धन्य भाग हमारे
जो आप हमारे चिठ्ठे पर पधारे
शास्त्री जी पहले तो बधाई स्वीकारें, फिर स्वागत चिट्ठा शुरु करने का, हमें तो आज ही पता चला ना इसलिये स्वागत आज ही करेंगे। बहुत अच्छा अवलोकन शुरू किया है आपने अपनी पसंद के चिट्ठों का। 🙂
@तरुण
प्रिय तरुण, स्वागत के लिये बहुत शुक्रिया. मैं कुछा देर पहले http://www.readers-cafe.net/nc हो आया. अच्छा लगा. लेख कुछ और लम्बे हों तो अच्छा हो.
– शास्त्री जे सी फिलिप
शुक्रिया कि आपने मेरे चिट्ठे का अवलोकन कर उसे यहां जगह दी।
आभार
बढ़िया कार्य.चिट्ठों की समीक्षा होती रहेगी. साधुवाद.