सारथी: काव्य अवलोकन 6

काव्य विधा की एक विशेषता यह है कि कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक कहा जा सकता है. पाठक को प्रेरित किया जा सकता है. चिंतन के लिये सामग्री दी जा सकती है. प्रस्तुत हैं कुछ और चुने हुए मोती:

गन्दे से पिल्लों के साथ कुश्ती करते बच्चे
कूड़े के ढ़ेर के पास दरी बिछाये मुखिया.
अध खुले स्तनों से चिपके हुए नवजात
और वहीं आस पास
चार बोतलें,कुछ गिलास लेकर बेठे
कमेरे सांसी ठठेरे. [पूरी कविता पढें …]

क्या हिंदू क्या मुसलमाँ ली दंगो ने जान।
गिद्ध कहे है स्वाद में दोनो माँस समान॥ [पूरी कविता पढें …]

ये तो ख़ूनी राहों पर चिराग जलाते रहेंगे।
किसी के जगने पर उसे सुलाते रहेंगे।।
मातृभाषा, मातृभूमि पर प्राण न्योछावर करो
वरना ये परतंत्री हमारी नस्लों को खाते रहेंगे।। [पूरी कविता पढें …]

कहे समीरानन्द जी, सुन लो चतुर सुजान
जो गाये यह स्तुति , हो उसका कल्याण.
गुरुवर हमको दीजिये, अब कुछ ऐसा ज्ञान
हिन्दु-मुस्लिम न बनें, बन जायें इन्सान. [पूरी कविता पढें …]

हर खुशी में शामिल होते है,
दोस्त सभी
परन्तु
तू नही होता,
एक कोने में बैठा,
निर्विकार
सौम्य
मुझे अपलक निहारता
और
बाट जोहता कि,
मै पुकारू नाम तेरा… [पूरी कविता पढें …]

सारथी: काव्य अवलोकन 5
सारथी: काव्य अवलोकन 4
सारथी: काव्य अवलोकन 3
सारथी: काव्य अवलोकन 2
सारथी: काव्य अवलोकन 1

पद्य विधा की हर तरह की रचना को हम फिलहाल “काव्य” में ही रख रहे हैं. भविष्य में हम इस विधा को विभिन्न उपभागों मे बांटेंगे

— शास्त्री जे सी फिलिप

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Author: Super_Admin

8 thoughts on “सारथी: काव्य अवलोकन 6

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