अब आते हैं डोमेन कंट्रोल पेनल पर. जिस तरह आप नाम/कूटशब्द की सहायता से अपने चिट्ठे के या ईपत्र के (जीमेल, हॉटमेल, याहू इत्यादि के) कंट्रोल पेनल या डेशबोर्ड पर जाते हैं उसी तरह डोमेन को नियंत्रित करने के लिये ग्राहक को मिलना चाहिये डोमेन कंट्रोल पेनल. यदि कोई डोमेन पंजीकारक आपको डोमेन कंट्रोल पेनल देने से इन्कार करता है तो उससे पंजीकरण न करवायें. ऐसी “जमीन” से किसी को कोई फायदा नहीं है जिसकी रजिस्ट्री तो आपके नाम कर दी गई है, लेकिन जिस पर मालिकाना हक रजिस्ट्रार के हाथ में है. आपके डोमेन का मालिकाना हक व्यावहारिक रूप से आपके हाथ में आना है तो वह सिर्फ डोमेन कंट्रोल पेनल के द्वारा ही आयगा. नहीं तो कल आप अपने डोमेन को बेचना चाहें, मालिकाना हक अपने बीबीबच्चों को देना चाहें, या और किसी रजिस्ट्रार के नियंत्रण में लाना चाहें (जैसा मै ने किया था), तो वह आप नहीं कर पायेंगे. मेरे एक पुराने डोमेन कंट्रोल पेनल का एक हिस्सा नीचे दिखाया गया है:
यहां जाकर आप अपने नाम/कूटशब्द की मदद से निम्न डोमेन कंट्रोल पेनल देखेंगे. (हर कम्पनी के डोमेन कंट्रोल पेनल में थोडाबहुत फरक रहता है, अत: इसे सिर्फ मार्गदर्शन के रूप में लें):
यहां पर आप अपने डोमेन के साथ बहुत कुछ कर सकते हैं. एक उदाहरण देखिये नीचे:
अपने डोमेन कंट्रोल पेनल पर आप बहुत कुछ कर सकते हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है अपने डोमेन को “ताला लगाना”. लेकिन इसके पहले आपको इसमे उपलब्ध सारी सुविधायें समझ लेनी चाहिये. उदाहरण के लिये यदि आप के पास 10 से अधिक डोमेन हों तो उपर दिये गये तरीके से आप उनको देख सकते हैं. इस तरह घूमफिरने पर आप एक विशेष जगह पहुंचेंगे जहा आप निम्नलिखित इबारत, या इससे मिलतीजुलती इबारत देखेंगे:
ध्यान से देखेंगे तो Lock/Unlock लिखा देखेंगे. यह आपके चिट्ठे को सुरक्षित करने के लिये इस डोमेन-तिलिस्म की एक चाबी है (महज एक, लेकिन महत्वपूर्ण). इस खटके को चटकायेंगे तो आपको मिलेगा:
बस, इसे चुन लीजिये, Update खटके को चटका लीजिये, और इसके साथ ही डोमेन नाम/मालिकियत पर ताला पड जाता है. अब आपका पंजीकारक या अन्या और कोई भी आसानी से आपकी मिल्कियत पर हाथ नहीं रख सकता है. नीचे देखिये कि ताला डालने के बाद आपको क्या सन्देश मिलता है:
याद रखिये: किसी के भी सब्जबाग में न फंसें. सिर्फ उसी पंजीकारक से पंजीकरण करवायें जो आपको ताला सहित डोमेन प्रदान करे. इस परम्परा में सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण कडी तक अब हम पहुच गये हैं. लेकिन अभी विषय खतम नहीं हुआ है. कुछ बाते और भी करनी हैं, जिनको हम आगे के लेखों मे देखेंगे. [क्रमश:] — शास्त्री जे सी फिलिप
अपना चिट्ठा/जालस्थल लुटेरों से बचायें 1
अपना चिट्ठा/जालस्थल लुटेरों से बचायें 2
अपना चिट्ठा/जालस्थल लुटेरों से बचायें 3
अपना चिट्ठा/जालस्थल लुटेरों से बचायें 4
अपना चिट्ठा/जालस्थल लुटेरों से बचायें 5
अपना चिट्ठा/जालस्थल लुटेरों से बचायें 6
अपना चिट्ठा/जालस्थल लुटेरों से बचायें 7
यदि ये लेख आपको उपयोगी लगे तो इनके बारे मे अपने मित्रों को बताना न भूलें. इस पूरी परम्परा को आप चाहें तो बिना किसी अनुमति के (लेकिन बिना संशोधन के) अपने चिट्ठे पर छाप सकते हैं. यह परम्परा सारथी के हिन्दी-अभियान का एक हिस्सा है.
अन्य किसी का तो पता नहीं लेकिन पंजीकारक यानि कि जिससे आपने डोमेन रजिस्टर करवाया वह आपके इस ताले को हटा सकता है, बहुत मामूली चीज़ है, और उसकी जगह यदि उसने अपना ताला लगा दिया तो आप उसे स्वयं नहीं हटा पाएँगे! 😉
@अमित
मेरी जानकारी के अनुसान ICANN पंजीकारक को यह अनुमति नहीं देता है. लेकिन इस विषय पर शोध करने के बाद ही आधिकरिक उत्तर दे पाऊगा. प्रश्न के लिए शुक्रिया.
ICANN क्या देता है और क्या नहीं, वह तो खैर अलग बात है। लेकिन मुद्दे की बात यह है कि यदि मैं गलत नहीं समझ रहा हूँ तो आप यहाँ डोमेन सीधे रजिस्ट्रार से रजिस्टर न करा उसके एक रीसैलर(reseller) द्वारा करवा रहे हैं और वह यह कार्य कर सकता है! 😉