व्यक्तित्व एवं कार्यक्षमता विकास 2: जैसा मैं ने पिछले लेख में कहा था, व्यक्तित्व एक बहुत व्यापक शब्द है एवं यह कई घटकों से मिलकर बनता है. इन घटकों को हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं:
जन्मजात घटक: हर मनुष्य बहुत सारी चीजें लेकर पैदा होता है, जैसे गोराकाला रंगरूप, भारीहलकी आवाज, विभिन्न तरह का चेहरामोहरा, बाल, आंख, कान आदि. ये अपने आप में व्यक्तित्व नहीं हैं, लेकिन ये व्यक्तित्व में काफी हिस्सा अदा करते हैं. जन्मजात घटकों को न तो कोई चुन सकता है, न ही उसमे आमूल परिवर्तन कर सकता है, लेकिन हर कोई उसको परिष्कृत जरुर कर सकता है.
यदि आपको लगता है कि आप जो नाकनक्श लेकर पैदा हुए हैं, आपकी जो कदकाठी है, या आपका जो कर्णकटु सुर है वहा आपको बर्बाद कर देगा, तो यह आपकी गलतफहमी है. दुनियां के महान व्यक्तित्वों के कई मालिक लोग हर तरह से कुरूप, कुडौल, एवं असमान्य थे. लेकिन सही रास्ता पहचान कर वे इन सीमाओं के परे उठ सके एवं संसार के नक्शे पर एक स्थाई निशान छोड गये. उनको व्यक्तित्व के बारे में समझाने वाला कोई नहीं था, इसके बावजूद उन्होंने सही दिशा ढूंढ ली. आपको तो अब यहां उस विषय की एक एक सीढी समझाई जा रही है अत: आपके अपने व्यक्तित्व के जन्मजात घटकों के बारे में किसी भी तरह की परेशानी हो तो उसे जल्द ही आप दूर कर लेंगे. हां इस तरह की कोई समस्या नहीं हो तो बहुत जल्द ही बहुत ऊंचे पहुंच जायेंगे, क्योंकि मेहनत कम लगेगी.
अर्जित किये गये घटक: हर व्यक्ति अपने जीवनकाल में बहुत सारी बातें अपने अंदर जोडता जाता है. वह इनको लेकर पैदा नहीं होता है लेकिन वह चाहे तो इनको हासिल कर सकता है. इन में से कुछ है भाषा पर अधिकार एवं नियंत्रण, असामन्य ज्ञान का संकलन, लोगों से हर विषय पर अधिकार से बात करने की सामर्थ, लोगों को आसानी से अपना दोस्त बानाने की योग्यता, लोगों को अपने विचारों से प्रभावित करने की सामर्थ, किसी भी विषय पर जनसामन्य से बोलने की सामर्थ, कपकपी पर नियंत्रण इत्यादि. सामान्य से अधिक सशक्त स्मरणशक्ति भी इस समूह में आता है. इस तरह के सैकडों घटक है जिनको हम इस लेखन परम्परा में देखेंगे.
सैकडों की संख्या सुन कर घबरायें मत. इन में से पांच या छ: में दक्षता हासिल करने पर 90% मैदान पार हो जाता है. बाकी आराम से समय होने पर प्राप्त किये जा सकते हैं. [क्रमश:]
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