जैसा मैं ने अपने पहले लेख में कहा था कॉपीराईट या प्रतिलिपि अधिकार संबन्धी नियमों के मामले में सबसे कडी व्यवस्था वाले देशों में से एक है हिन्दुस्तान. अपने देश की कॉपीराईट या प्रतिलिपि अधिकार नियमों के अनुसार एक रचनाकर जैसे ही अपनी कृति पूर्ण कर लेता है तब से उस के ऊपर पूर्ण रूप से उसका कॉपीराईट या प्रतिलिपि अधिकार होता है. यह अधिकार उसकी मृत्यु के 60 साल बाद तक उसके कानूनी वारिसों के पास रहता है. इस बीच कोई भी गैर व्यक्ति बिना लिखित अनुमति के उसकी प्रतिलिपि नहीं बना सकता है. बिना कॉपीराईट या प्रतिलिपि अधिकार के किसी रचना (पुस्तक, सीडी, कलाकृति) आदि की प्रति बनाने एवं उसके व्यापारिक उपयोग करने पर गिरफ्तारी, जेल, एवं मोटा जुर्माना हो सकता है. व्यापारिक लक्ष्य के लिये छापे गये पुस्तकों की फॉटोकापी बनाने पर भी यह नियम लागू है. लेकिन हिन्दुस्तान में एवं सारे विश्व में कुछ और प्रकार के प्रतिलिप अधिकार भी मौजूद है. इन में से कुछ का परिचय नीचे दिया गया है:
पब्लिक डोमेन (सार्वजनिक अधिकार): कोई भी रचना अपने कॉपीराईट या प्रतिलिपि अधिकार काल के बाद सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र में आ जाती है. इसका मतलब है कि लेखक या रचनाकार की मृत्यु के 60 साल बाद लेखक के वारिसों का कॉपीराईट या प्रतिलिपि अधिकार सदा सर्वदा के लिये खतम हो जाता है. अब कोई भी व्यक्ति उसे किसी भी रुप मे लाभरहित या लाभ के लिये अपने उपयोग में ला सकता है. इस पर किसी भी तरह की कानूनी रोकटोक नहीं है. लेकिन एक बात याद रखें, आप यदि इस तरह की कोई रचना बेचते हैं, एवं कोई और आपकी नकल करके आप से भी सस्ता बेचे तो आप उसे रोक नहीं सकते हैं. सार्वजनिक अधिकार का मतलब है सार्वजनिक.
क्रियेटिव कॉमन्स (रचनात्मक आम प्रतिलिपि अधिकार): यह वैचारिक जगत का एक नया आन्दोलन है. इसका उद्भव पश्चिम में हुआ था, लेकिन अब हिन्दुस्तान में भी इसका प्रभाव दिखने लगा है. इस विचारधारा से प्रभावित लोग अपने एक या अनेक रचनाओं को लिखित रूप में रचनात्मक आम प्रतिलिपि अधिकार (क्रियेटिव कामन्स) के अंतर्गत दे देते हैं. कई लोग इस तरह की रचनाओं पर एक प्रतीक लगा देते हैं जिससे अन्य लोग उसे आसानी से पहचान सकें. सारथी की बांई बगलपट्टी पर आप निम्नलिखित प्रतीक देख सकते हैं:

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इस तरह के कॉपीराईट या प्रतिलिपि अधिकार नियमों मे कुछ लेखक कुछ प्रतिबंध लगाते हैं अत: वह क्या है यह समझ लेना चाहिए. उदाहरण के लिये सारथी से शास्त्री जे सी फिलिप की कोई भी रचना बिना अनुमति के कहीं भी पुनर्प्रकाशित की जा सकती है. प्रतिबंध यह है कि आप लेखक का नाम नहीं हटा सकते, रचना में परिवर्तन नहीं कर सकते, एवं व्यापरिक उद्देशय से इन का उपयोग नहीं कर सकते.
ओपनवेयर (मुक्त अधिकार): कुछ लेखक एवं तंत्राश विकसित करने वाले लोग अपनी रचना को लिखित रूप से मुक्त अधिकार क्षेत्र मे दे देते हैं. इसका मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति उस रचना को किसी भी तरह से संशोधित करके व्यापारिक या गैर व्यापरिक काम में ले सकता है. शर्त यह है कि उसकी यह नई रचना भी मुक्त अधिकार क्षेत्र में ही रहेगी. [सारथी पर जल्दी ही इस विषय पर कुछ और लेख प्राकाशित होंगे. हिन्दी के मुक्त अधिकार चिट्ठों का एक परिचय भी तय्यार हो रहा है].
पिछला लेख:
कॉपीराईट या प्रतिलिपि अधिकार क्या है 1
चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: कॉपीराईट, प्रतिलिपि-अधिकार, रचनात्मक-आम-प्रतिलिपि-अधिकार, copyright, copyright-violation, creative-commons, public-domain, freeware, open-software,
शास्त्री जी! इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद.
शुक्रिया जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए
बहुत अच्छी जान कारी दी है। धन्यवाद।
थोडा बहुत तो जानते थे पर कॉपीराइट के बारे मे विस्तृत जानकारी देने के लिए शुक्रिया।
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