[व्यक्तित्व विकास लेख परंपरा] पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र हैं. वे दिनरात बातचीत के लिये उपलब्ध रहती हैं, प्रेरणा देती हैं, एवं नई नई बाते सिखाती हैं. लेकिन अधिकतर लोगों की शिकायत है कि आज के व्यस्त जीवन में महीने में एक किताब भी पढने का समय नहीं मिल पाता है. यह गलत शिकायत है.
समस्या समय की कमी का नहीं है, बल्कि समय के विनियोग का है. हम में से कौन है जो कोशिश करने पर एक दिन में 30 मिनिट नहीं निकाल सकता है. आधा घंटा तो हर कोई निकाल सकता है. उस आधे घंटे को पढने के लिये लगाईये. ऐसा करने साल भर में कितनी किताबे पढ सकेंगे? सुनकर ताज्जुब होगा.
आधा घंटा प्रति दिन का मतलब है 183 घंटे प्रति वर्ष. यदि औसत किताब 200 पन्ने की हो, एवं एक घंटे मे आप 40 पन्ने पढते हों (अधिकतर लोग 60 से उपर पन्ने पढ लेते हैं), तो 5 घंटे मे एक किताब पढ लेंगे. जिसका मतलब है कि एक साल में आप 36 से 40 के बीच किताबे पढ लेंगे. है न ताज्जुब की बात. सवाल समय का नहीं, बल्कि समय के सही विनिमय का है.
यह तो कुछ भी नहीं है, यदि आप ऐसा करना शुरू कर दें तो जल्दी ही आप समयनियंत्रण के अन्य तरीकों में भी पटु होने लगेंगे एवं इससे भी बहुत आगे निकल जायेंगे — शास्त्री
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शास्त्री जी,
पुस्तकों के लाभ के बारे में तो आपने सही कहा लेकिन पुस्तको की उपलब्धता एक अलग बात है। यदि आप पुस्तको के प्रेमी हैं तो भारत में कहाँ से पुस्तकें लेकर पढ़ें। सभी पुस्तके खरीद कर पढ़ना तो बहुत मुश्किल हो जाएगा।
वैसे पुस्तकें मुझे प्रिय हैं। आजकल क्या पढ़ा जा रहा है नीचे दिए गए लिंक पर रहता है।
पंकज
http://pnarula.com/library
बहुत सही तरीका बताया आपने
पंकज जी,
भारत के हर शहर में आमतौर पर (यहाँ रतलाम में भी है)सरकारी व कुछ एनजीओ टाइप लाइब्रेरी होती हैं जिनमें कोई मासिक चंदा भी देना नहीं पड़ता और आप हजारों किताबें बस एक बार सदस्यता शुल्क जमा कर पढ़ सकते हैं.
साथ ही कुछ निजी-व्यवसायिक लाइब्रेरियाँ भी आपको कुछ मासिक शुल्क पर (रतलाम में 60 रुपया महीना मात्र) आपको हर तरह की पत्रिका व उपलब्ध देशी विदेशी किताबें नित्य पढ़ने को किराए पर देती हैं – आप चाहें रोज पढ़ें.
हाँ, ये बात आपने सही कही – किताबें खरीद कर पढ़ना हर किसी के बस का नहीं – मेरे भी बस का नहीं.
शास्त्री जी,सही तरीका बताया।
I have books to read too, which I want to read but have not been able to read!
Other things have continuously caught my attention but this gives me a fresh thought – if not half an hour, surely 15min, 10min, 5min anything – something I can give for sure…
Thanks for the great idea! I will start today!
if any reader of this blog is doing research in hindi they can contact me . we have a huge collection of books at home which we interested to donate . these are all books and manuscripts that have been collected by my paents over a period of 40 years in hindi.
सवाल समय का नहीं, बल्कि समय के सही विनिमय का है.
–सत्य वचन. आभार.
सही कहा आपने!!
रायपुर शहर में एक तो सरकारी लाईब्रेरी और एक रामकृष्ण मिशन का ग्रंथालय जिसका कि मै पिछले तकरीबन बारह-पंद्रह सालो से सदस्य हूं, फ़िर भी यहां एक विशाल ग्रंथालय की कमी खलती है।
जल्द ही यहां के रामकृष्ण मिशन वाली लाईब्रेरी पर एक पोस्ट लिखता हूं
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