चिट्ठों का टिप्पणीशास्त्र परिचय

अंतर्जाल पर सामान्यतया जो जालस्थल होते हैं वे एकल मार्ग होते है. उनका जालराज जानकारी प्रदान करता है, एवं पाठक पढते है. लेकिन कुछ साल पहले कुछ जालखुराफातियों को लगा कि यह ठीक नहीं है बल्कि जालस्थल पर जावक के साथ साथ आवक भी होना चाहिये. उसके लिये उन्होंने एक नये प्रकार का तंत्रांश या सॉफ्टवेयर लिखा जिसकी मदद से न केवल जालमालिक या जालराज लिखता था, बल्कि पाठक टिप्पणीके रूप में जवाब भी दे सकते थे.

आदान-प्रदान सक्षम इन जालस्थलों को उन्होंने वेब लॉग कहना शुरू कर दिया जो आगे जाकर “ब्लॉग” नाम से रूपांतरित हो गया. कुछा सालों में ब्लॉगिग एक बहुत बडा प्रवाह बन गया एवं हर तरह के लोग हर तरह के लक्ष्य के लिये ब्लॉगिग करने लगे. चूंकि जानकारी का आवकजावक चिट्ठों का मुख्य लक्ष्य था, अत: चिट्ठाजगत में पाठकीय टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण बात है. इस कारण मैं सभी समर्पित हिन्दी चिट्ठाकरों को याद दिलाना चाहता हूं कि वे नियमित रूप से टिप्पणी करने की आदत डालें.

हिन्दी में ब्लॉग को चिट्ठा नाम दिया गया. कुछ बहुत ही दूरदर्शी लोगों ने हिन्दी चिट्ठाकारी शुरू की. धीरे धीरे बूंदे मिल कर एक धारा हो गई, एवं कई धारायें मिल कर एक नहर हो गई. आजकल हिन्दी चिट्ठाकारी एक नहर है, जिसे काफी आगे बढना है. मेरा स्वप्न है कि सब ठीक रहा तो 2010 तक यह 50,000 चिट्ठाकारों की एक नदी, एवं 2020 तक 50 लाख हिन्दी चिट्ठाकरों की एक महानदी, एवं 2025 तक एक करोड हिन्दी चिट्ठाकरों का एक सागर बन जायगा.

आईये, कामना करें कि ईश्वर इस सपने को सच्चाई में बदल दें. यह न भूलें कि हर हफ्ते एक नये व्यक्ति को चिट्ठाकारी सिखाने के द्वारा आप भी इस आंदोलन में एक महत्वपूर्ण योगदान कर सकते है.

चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: विश्लेषण, आलोचना, सहीगलत, निरीक्षण, परीक्षण, सत्य-असत्य, विमर्श, हिन्दी, हिन्दुस्तान, भारत, शास्त्री, शास्त्री-फिलिप, सारथी, वीडियो, मुफ्त-वीडियो, ऑडियो, मुफ्त-आडियो, हिन्दी-पॉडकास्ट, पाडकास्ट, analysis, critique, assessment, evaluation, morality, right-wrong, ethics, hindi, india, free, hindi-video, hindi-audio, hindi-podcast, podcast, Shastri, Shastri-Philip, JC-Philip,

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Author: Super_Admin

3 thoughts on “चिट्ठों का टिप्पणीशास्त्र परिचय

  1. महोदय टिप्पणी की आदत तो है लेकिन चिट्ठों की महानदी में कई बार आदमी रुक नहीं पाता लेकिन प्रयास होता है कम से कम ५ चिट्ठों को पूरी तरह पढ़ कर सही टिप्पणी की जाए. खाना पूर्ति करने में या तो लेखक का अपमान है या फिर आप खुद अपने साथ नाइंसाफी करते हुए नजर आएंगे.

  2. आप सही कह रहे हैं टिप्पणीयां रचनाकार को उत्साह के साथ मार्गदर्शन भी देती है…इस लिए यथा संभव टिप्पणी करनी चाहिए…लेकिन रामशकंर जी की बात भी सही है कि बिना पढे़ टिप्पणी नही करनी चाहिए।…हम सभी को जितनी हो सके,ज्यादा से ज्यादा टिप्पणीयां करनी चाहिए।

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