हिन्दी चिट्ठाकारी उत्साहजनक तरीके से बढ रही है. मैं ने 2007 के अप्रेल में सारथी का आरंभ किया था. तब मुश्किल से 400 हिन्दी चिट्ठे रहे होंगे. शून्य से इस संख्या तक पहुंचने के लिये अनुमानत: 3 साल लगे. लेकिन अगले 6 महीने में यह संख्या लगभग तिगुनी हो गई.
यदि इस तरह बढत रही तो जल्दी ही हम दस हजारों एवं फिर लाखों हिन्दी चिट्ठों की बात करने लगेंगे. जब हिन्दी चिट्ठे इस संख्या पर पहुंच जायेंगे तो उनका आर्थिक पहलू एक दम बदल जायगा. आज एकाध दर्जन हिन्दी चिट्ठे अपने साल भर के जाल-किराये को विज्ञापनों द्वारा निकाल पाते हैं. लेकिन तब हजारों हिन्दी चिट्ठे काफी बडी धनराशि कमाने लगेंगे, क्योंकि विज्ञापन की आय पाठको की संख्या एवं संचार माध्यम की पहुंच के हिसाब से बढती है.
सन 2010 तक क्रेडिट कार्डों का एवं भुगतान के अन्य इलेक्ट्रानिक माध्यमों का जाल आज से दस गुना हो जायगा. अत: जाल-विज्ञापनों को काफी आसानी से खरीददार मिलने लगेंगे. इसका सीधा फायदा चिट्ठाकारों को होगा, लेकिन एक शर्त है: यदि आप प्यास लगने पर कूंआ खोदने के सिद्धांत पर यकीन करते हैं तो आपको कोई फायदा नहीं होगा.
फायदा होगा उन चिट्ठाकारों को जो आज चालू कर 2010 तक धैर्य के साथ नियमित रूप से लिख लिख कर, जन जन को आकर्षित कर, अपनी ग्राहकी जमा लेंगे. इसके लिये जरूरी होगा कि आजकल के एक ही चिट्ठे पर “हर तरह के” लेख छापने वाले हरफन मौला चिट्ठों के बदले विषयाधारित चिट्ठों की संख्या बढे. ऐसे हजारों विषय हैं जिन पर नये, आकर्षक, हिन्दी चिट्ठे चालू किये जा सकते हैं. उम्मीद है कि नई पीढी के योद्धा मेरी बात सुन रहे हैं.
चलिये ज्ञान ले लिया.
सरल शब्दों में समझाने के लिए शुक्रिया
जी, आप हमेशा की तरह ऐसे ही हमें ज्ञान देते रहें, हम अनुग्रहित होते रहेंगे.
क्या बात है। अभी कुछ दिन पहले ही मेरी कुछ लोगों से बात हो रही थी कि हिंदी में किसी खास विषय पर ज्ञान देने वाले चिट्ठे नहीं मिलते। यहां सभी सब कुछ या कुछ भी लिख रहे हैं, मैं भी उसी में शामिल हूं। ये बहुत जरूरी है कि हिंदी चिट्ठों को व्यवसायिक तौर पर समृद्ध करने के लिए विषय आधारित चिट्ठे ज्यादा आएं। मैं भी इसे अमल में लाने की कोशिश करूंगा।
शास्त्री जी,
नमस्कार
आपके उत्साह बढाने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपका हाठ पीठ पर रहे तो निश्चिंत सा महसूस करता हूँ।
सप्रेम
संजय गुलाटी मुसाफिर
हिन्दी चिट्ठाकारी में भी नेटवर्क का नियम लागू होते हुए दिक रहा है। मोटा-मोटी , नेटवर्क का नियम यह है कि किसी नेटवर्क के विस्तार की गति उसके सदस्यों की संख्या के वर्ग के समानुपाती होती है। इसी लिये आरम्भ में रफ्तार धीमी थी और बाद में तेजी से बढ़ रही है।
हिन्दी चिट्ठाकारी में संख्या वृद्धि होने पर हिन्दी को मिलने वाले लाभों पर सम्यक विचार प्रस्तुत करने के लिये साधुवाद!
utsahvardhak, ishavar kare aisa hi ho
नई पीढ़ी का हूँ. आपकी बात सुन रहा हूँ. गुनने कि चेष्टा भी करूंगा. आमीन.
वह सुनहरे सिक्के में छवि किसकी है? यह जानने को उत्सुक हुँ.
आप सही कह रहे है शास्त्री जी…मेहनत तो करनी ही होगी…
शुक्रिया!!
आपका कहना सौ फीसदी सही है। वक्त से पहले वक्त को पहचानना होगा। तभी कुछ हो पायेगा।
ठीक कहा है, मैं तो कब से इस बात को समय समय पर उठाता रहा हूँ कि व्यावसायिक चिट्ठाकारी के लिये तो विषय-केन्द्रित होना ही पड़ेगा।
मैने जब हिंदी में चिट्ठाकारी शुरू कि थी तो उस समय मैंने हिंदी में लिखना सीखा था और मेरे मन में बस एक ही बात थी की मैं जो कुछ भी गलती से लिख जाता हूं उसे एक जगह संगठित कर सकूं.. और मेरे पाठक बस मेरे कुछ खास मित्रगण ही थे.. मैं एग्रीगेटर के बारे में कुछ भी नहीं जानता था, मुझे बहुत दिनों के बाद पता चला की मेरे भैया भी अपना चिट्ठा चला रहे हैं जो की हिंदी चिट्ठाकारी जगत में बहुत प्रसिद्ध भी है.. मैंने उनसे प्रेरणा लेकर अपने ब्लौग पर ध्यान देना शुरू किया और मुझे अपने काम से जितना भी खाली समय मिलता गया उतना ही देता रहा..(वैसे मेरे भैया का नाम अविनाश है जो मोहल्ला चलाते हैं..) मैंने इस जून से नियमित रूप से ब्लौग पढना और अपने ब्लौग पर ध्यान देना शुरू किया था.. जो अभी तक जारी है.. जब मैंने अपना चिट्ठा शुरू किया था तब मैंने ये नहीं सोचा था की मैं इसे हिंदी में ही लिखूंगा, मैंने तो बस मजे के लिये खोला था.. लेकिन आज वही हिंदी चिट्ठाकारी मेरी आदत में शामिल हो गयी है..
चूकि मैं हिंदी चिट्ठे पिछले 2-3 सालों से पढ रहा हूं सो मैंने इसे इसके शैशवाकाल में भी देखा है और इसे बड़ा होते भी देख रहा हूं.. और मैं समझ रहा हूं की आगे इसके रास्ते बहुत खुले हुए हैं..
वैसे मैं भी बहुत दिनों से सोच रहा हूं की एक तकनिक से संबंधित ब्लौग शुरू करूं, और आपके इस पोस्ट से मेरा उत्साह वर्धन हुआ है.. मैं बहुत जल्द ही एक नये ब्लौग लेकर आऊंगा जो पूरी तरह से तकनिकी होगा.. बस समय और साधन का इंतजार कर रहा हूं..
@pankaj bengani
प्रिय पंकज, यह कई सौसाल पुराना सोने का सिक्का है. चित्र का मुझे अनुमान नहीं है
“प्रिय पंकज, यह कई सौसाल पुराना सोने का सिक्का है. चित्र का मुझे अनुमान नहीं है”
🙂