(अपने इतिहास को न भूलें, न नष्ट होने दें) अक्टूबर के आखिरी दो हफ्ते एवं नवम्बर के पहले हफ्ते मैं ग्वालियर व उसके आसपास के एतिहासिक स्थानों के अनुसंधान में व्यस्त था.
मैं चूंकि ग्वालियर की मिट्टी से जुडा हूं अत: ग्वालियर के प्राचीन एवं गौरवशाली इतिहास को लोगों के समक्ष सचित्र एवं वृहद तरीके से पेश करने का मेरा प्रयास है. प्राथमिक अनुसंधान से पता चला कि इस छोटे से प्रदेश में हजारों एतिहासिक भवन, मकबरे, छतरियां एवं किले हैं जो धीरे धीरे नष्ट होते जा रहे हैं या भुला दिये जा रहे हैं. इन सब का चित्र लेने में कई साल लग जायेंगे.
इस लेख के साथ दिये गये चित्रों में डबरा (ग्वालियर से 40 किलोमीटर दक्षिण) में एक धाराशायी होते किले का चित्र है. इसके कई हिस्से टूट कर गिर चुके हैं एवं पत्थर “खींच” कर लोगों ने अपने मकानों मे लगाना शुरू कर दिया है. काफी पूछताछ करने के बावजूद मुझे इस किले का अधिकारिक इतिहास नहीं मिला है. इसके स्थापत्य कला के आधार पर मेरा अनुमान है कि यह 400 से 1000 साल पुराना निर्माण है. प्रभु ने मदद की तो मार्च 2009 में कुछ और बारीकी से इसकी जाच एवं सैकडों रंगीन छायाचित्र लेने का इरादा है. यह एक कठिन काम है क्योंकि इस किले तक पहुचना एवं सांपबिच्छू आदि से भरी झाडियों में होकर किले के हर कोने तक पहुंचना एवं प्राचीन भित्तिलेखों की खोज करना आसान नहीं होगा.
सारथी के मित्रों से मेरा अनुरोध है कि वे अपने अपने शहर एवं उससे जुडे इतिहास को ढूढ कर उसे सुरक्षित करने का यत्न करें. आपके मन में इस कार्य के लिये समर्पण हो, एक इलेक्ट्रानिक केमरा हो, एवं साथ चलने के लिये एक मित्र हो तो आप यह कर सकते है. इतना ही नहीं एक विषय-आधारित एतिहासिक चिट्ठा भी तय्यार हो जायगा
(कुछ विशेष कारणों से एतिहासिक धरोहरों के इन छायाचित्रों का प्रतिलिपि अधिकार सुरक्षित है. लेकिन webmaster@sarathi.info पर संपर्क करने पर तुरंत ही लिखित रूप में इनके उपयोग के लिये अनुमति प्रदान कर दी जायगी)
waah nayab tasveeren
बहुत बढिया काम है शास्त्री जी, मैं भी अभी ग्वालियर गया था और किला घूमते वक्त गाईड कर लिया था, अपने सवालों से उस गाईड को इतना “पका” दिया था कि शायद अब अगली बार वह ग्राहक से पूछेगा कि कहीं वह “ब्लॉगर” तो नहीं है… बहरहाल आपका यह प्रयास सार्थक सिद्ध हो यही शुभकामना..
साधुवाद!!
हम सब और कुछ नही तो अपने आसपास को लेकर ही ऐसे जागरुक होने लगे तो फ़िर बात ही क्या!!
बहुत बढ़िया अभियान चलाया है. ईश्वर आपको सफलता है. मार्च २००९ भी दूर नहीं.शुभकामनायें.
ज्ञान वर्धन के लिए बहुत -बहुत शुक्रिया !
मुझे बचपन से ही भारतीय इतिहास में रूचि रही है, सो आपके लिखे हुये इन लेखों को मेरे द्वारा चाव से पढना स्वभाविक है..
धन्यवाद..