चिट्ठाजगत में एकाध दो चिट्ठाकार हैं जिनको न तो पाठक चाहिये न टिप्पणियां. वे स्वांत: सुखाय लिखते हैं. लेकिन अधिकतर चिट्ठाकार पढेसुने जाने के लिये लिखते हैं एवं जब वे स्थापित लेखकों के आंकडे सुनते या उनके फीड की संख्या देखते हैं तो उनकी भी इच्छा होती है कि कुछ पाठक उनको भी मिल जायें. इसके लिये कुछ बातें ध्यान में रखनी होगी:
1. यदि आपका चिट्ठा ऊलजलूल किस्म के लेखों का एक कबाडखाना है तो आपको पाठक भी वैसे ही मिलेंगे — कम पाठक, बेकार के पाठक, एवं ऐसे पाठक जो आप कबाडखाने में रहतेसोचते हैं.
2. यदि आपके चिट्ठे विषयकेंद्रित नहीं है तो आपको नियमित रूप से पाठक मिलना मुश्किल है. किसी के पास भी फालतू समय या फालतू मुद्रायें नहीं है जिसे वे खिचडी पढने के लिये खर्च कर सकें.
3. जो चीज पांच शब्दों में कही जा सकती है उसे आप पांच सौ शब्दों में कहेंगे तो जहां आपको पांच सौ पाठक मिलने चाहिये उसके बदले मिलेंगे सिर्फ पांच पाठक.
4. यदि आप सिर्फ 2500 शब्दों के लेख ही लिखेंगे तो आज लोग आपके आखिरी पेराग्राफ को पढ कर टिपिया जायेंगे, लेकिन कल वापस नहीं आयेंगे.
5. यदि आपके पास लिखने के लिये स्पष्ट विषय नहीं है तो पढने के लिये अधिक समय तक पाठक भी नहीं होगे.
अपने चिट्ठे को विषयाधारित बनायें एवं कम से कम 60% लेखों को विषयाधारित रखे. विषयों की कोई कमी नहीं है. आने वाले दोतीन दिनों में विषयाधारित चिट्ठे चालू करने की जरूरत एवं लगभग पचाससौ विषयों की सूची प्रस्तुत करूगा.
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शास्त्री जी
आपकी सलाह नए-पुराने हिंदी चिट्ठाकारों के लिए गाइड की तरह काम करती है। विषयआधारित मेरे 2 नए चिट्ठों पर आपकी राय जानना चाहूंगा।
http://updiary.blogspot.com/
http://batangadpolitics.blogspot.com/
लिखने के लिये पढ़ना और ऑब्जर्व करना बहुत जरूरी है।
आपने जो बिन्दु लिखे हैं – बहुत सही हैं। लोग ब्लॉग का नाम भले ही ‘कबाड़ी” रखें पर ब्लॉग को कबाड़ न बनायें। 🙂
शास्त्री जी, मैने हाल ही में यह चिट्ठा एक विषय पर केंद्रित करते हुए शुरू किया है. कृपया पधारें और अपनी राय से अवगत कराएं. पाठक पुराना हूं मगर लेखन (चिट्ठे पर) के मामले में अभी नया हूं. आप की अमूल्य सलाह मिलने की प्रतीक्षा रहेगी.
http://www.paryanaad.blogspot.com
humare bhi 2 vishay wale chithe aane wale hain, dono ke liye pathakon ki umeed kam hai lekin woh phir bhi chalu rakhne ka socha hai,
ye batana to bhool hi gaya ki jo mera vishay aadharit chitha hai (uttaranchal wala) usme chithakaar to shayad hi aate hain.
जानकारी के लिए धन्यवाद। नए चिट्ठाकारों के लिए आपकी जानकारी महत्वपूर्ण है। मेरी चिट्ठा पर अपनी राय व सलाह दें।
मेरा चिट्ठा है: http://popularindia.blogspot.com
मेरा e-mail ID है : vermamahesh7@gmail.com
http://maeriawaaj.blogspot.com/
हमारे बारे मे क्या ख्याल हे . हम सार्थ्क हे या निरर्थक
अच्छी सलाह दी है आपने।
आपने मुझे चिट्ठा लिखने में बहुत प्रोत्साहित किया है पर कभी भी ये नहीं बताया कि मेरे लेखन में खामियां क्या क्या है..
कृपया करके ये भी बता दें जिससे मैं उसमें सुधार कर सकूं.. कैसे आप मुझे ये बताऐं आप इसके लिये स्वतंत्र हैं.. चाहे ए-पत्र के द्वारा या मेरे चिट्ठे पर टिप्पणी के द्वारा.. 🙂
धन्यवाद..
आपने मुझे चिट्ठा लिखने में बहुत प्रोत्साहित किया है पर कभी भी ये नहीं बताया कि मेरे लेखन में खामियां क्या क्या है..
कृपया करके ये भी बता दें जिससे मैं उसमें सुधार कर सकूं.. कैसे आप मुझे ये बताऐं आप इसके लिये स्वतंत्र हैं.. चाहे इ-पत्र के द्वारा या मेरे चिट्ठे पर टिप्पणी के द्वारा.. 🙂
धन्यवाद..
शु्क्रिया!! सूची का इंतजार रहेगा!
आपके दिए सुझाव ध्यान रखूँगा और कोशिश होगी की अमल में ला सकूँ।
मार्गदर्शन करते रहें।
स6जय गुलाटी मुसाफिर
आपकी सलाह पर पहले भी मैंने अमल किया है. आगे भी करूंगा. आप सही मार्गदर्शन देते है. कुछ और बताएं अबकी बार विस्तार से.
आपकी सलाह पर पहले भी मैंने अमल किया है. आगे भी करूंगा. आप सही मार्गदर्शन देते है. कुछ और बताएं अबकी बार विस्तार से.
url के बारे मे पहले पता नही था. अब समझ गया हूँ. इसलिए फ़िर पोस्ट कर रहा हूँ.
आपकी बातों का अनुमोदन करता हूँ निश्चित रूप से अगर पाठक बढ़ने है तो लेखन अच्छा करना ही होगा।
बात आपने एकदम सधी हुई कही है. हार्दिक धन्यवाद. बहुत अच्छा लगेगा अगर एक अनुज समझ कर मेरा मार्गदर्शन करें.
http://www.punitomar.blogspot.com
आप के सुझाव सदैव लाभदायक होते हैं।धन्यवाद।
मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया
आप जैसे बुजुर्गों के कारण ही बिना संपादकीय संस्था के चिट़टे दनादन आगे बढते जा रहे हैं।
आपके इस कर्तव्य के लिए साधुवाद
Thanks Sir.