जन संस्कृति मंच की त्रिलोचन के नाम अपील
हिंदी की कविता उनकी, जिनकी सांसों को आराम नहीं…… नब्बे वर्षीय त्रिलोचन बीमार हैं और गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर 3 के 667 नंबर मकान में अपने पुत्र अमित प्रकाश के साथ रह रहे हैं। अमित प्रकाश उनके बेटे हैं। जो फिलहाल अकेले उनकी देखभाल कर रहे हैं। जन संस्कृति मंच साहित्य जगत से अपील करता है कि आप लोग आगे बढ़कर हिंदी के धरोहर त्रिलोचन की मदद करें ….आप इस ईमेल पते पर संपर्क कर सकते हैं – akhbariamit@yahoo.co.in
त्रिलोचन जी ने एक बार जब जनसंस्कृति मंच के अध्यक्ष बने थे, उस समय एक बातचीत को दौरान बाबा ने मुझसे कहा था, भाईसाहब मैं अपने साथ हमेशा इतने पैसे लेकर चलता हूं कि यदि कभी मौत आ जाए तो मेरी अंत्येष्टि के लिए किसी को हाथ फैलाने की जरूरत न पड़े। आज मुझे यह अपील पढ़कर उनकी कही बात याद आ गई और बहुत दुख हुआ कि जनसंस्कृति मंच के साथी अपील करके हाथ फैला रहे हैं और अमित जी उनकी देखभाल कर पाने में समर्थ नहीं हैं। मेरी इस बात का अर्थ यह न निकाला जाए कि त्रिलोचन सिर्फ उनके हैं और तमाम लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। लेकिन मेरे दिमाग में सवाल यह उठ रहा है कि कितने पैसों की जरूरत उनके इलाज के लिए होगी (10 लाख, 50 लाख, एक करोड़) और क्या यह पैसा जनसंस्कृति मंच के सदस्यगण, बाबा को अपनी बपौती समझने वालों के थोड़े-थोड़े कंट्रीब्यूशन से पूरा नहीं हो सकता क्या। पता नहीं अपने को प्रगतिवादी मानने वाले लोगों को दयनीय बनने में प्रगति का कौन सा सोपान मिलता है।
मुझे तो लगता है कि दयनीयता की यह अपील त्रिलोचन के प्रति आस्था व सम्मान का प्रतीक नहीं बल्कि उनका अपमान है।
त्रिलोचन : किवदन्ती पुरूष