धोतीधारी ने ली एमबीबीएस की डिगरी ?

आशा है मेरे कुछ पाठक मित्र इस तथ्य की गहराई को समझ पाएँगे कि हम दुनिया कि कुछ सबसे समृद्ध संस्कृतियों में से एक का भाग हैं। हम अगर इस धरोहर के उत्तराधिकारी हैं तो इस धरोहर के संरक्षक भी हम ही हैं। संजय गुलाटी मुसाफिर

अंग्रेजी एवं पश्चिम के प्रति गुलामी की प्रवृत्ति रोकनी है तो अंग्रेजी संस्कृति के विषचक्र को तोडना होगा. इसके लिये कई काम करने होंगे जिसमें से एक है अंग्रेजी एवं हिन्दी में एक समान आधिकारिकता हासिल करना एवं फिर हिन्दी एवं देशज संस्कृति के प्रति वफादार रहना. मैं ने अपने दोनों बच्चों में यह शिक्षा ठोक ठोक कर भरी है एवं उसका एक फल पिछले दिन दिखाई दिया.

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नवंबर 26 को CMC Vellore में MBBS डिग्ररी प्रदान का बडा उत्सव था. मेरे बेटे ने अपने आप यह निर्णय लिया कि वह सिर्फ देशज वस्त्र पहन कर अपनी उपाधि ग्रहण करेगा. केरल का देशज वस्त्र, शर्ट एवं सुनहरे किनारे की धोती पहन कर उस ने अपनी उपाधि ग्रहण की जबकि उसके बहुत सारे साथी कंठलंगोटधारी थे एवं उस पर काफी जोर डाला कि वह देशज वस्त्र न पहने. पहला चित्र उपाधि के लिये जाते हुए लिया गया एवं दूसरा चित्र उपाधि ग्रहण करने के बाद लिया गया.

Anand2 पाश्चात्य संस्कृति के अनावश्यक प्रभाव को जीवन से दूर रखा जा सकता है. लेकिन यह करने के लिये पहले हर व्यक्ति को अपने क्षेत्र में महारथ हासिल करनी होगी. जरूरी हुआ तो अंग्रेजी सीख कर उसे भी अपने काबू में लाना होगा जिससे कि बिना हीन भावना के पश्चिमवादियों का सीना रौन्द सकें. यह संभव है यदि हम में से हरेक कमर कस ले कि देशज चीजों का प्रयोग हम गर्व के साथ करेंगे.

(क्या आप जानते हैं कि किसी भी देश के किसी भी कार्यक्रम में आप देशज वस्त्रों का उपयोग कर सकते है. इसका अपवाद सिर्फ उन कार्यक्रमों में है जहां आपको गणवेष धारण करना जरूरी है).

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Author: Super_Admin

21 thoughts on “धोतीधारी ने ली एमबीबीएस की डिगरी ?

  1. सादगी भरे जीवन और उच् विचार का प्रतिनिधित्व करता सुदर्शन परिवार ! अनुकरणीय ! !

  2. सादा जीवन…उच्च विचार….
    अवधारणा तो अच्छी है…हम सभी के लिए…

    लेकिन इसे अमल में लाया जाए तब तो…

    “जोत से जोत जलाते चलो…
    रौशन आशियाँ होने को है”…

  3. वाह !

    आपके पूरे परिवार के मुखमण्डल से संस्कारों एवं स्वाभिमान का तेज प्रवाहित होता हुआ दीख रहा है। यह एक एक प्रेरणादायी यह एवं अनुकरणीय कार्य है। शीर्षक पढ़कर ही आनन्द से मन गदगद हो गया। आगे पढ़ने पर मेरे मन में यह श्लोक याद आ गया-

    विस्मयो नहिं कर्तव्यो, बहुरत्ना वसुन्धरा ||
    [(आचार, विचार, ज्ञान, विज्ञान, विनय और नीति में ) अश्चर्य नहीं करना चाहिये; यह धरती अनेक रत्नों से भरी पड़ी है।]

  4. शास्त्री जी आप के होन्हार पुत्र को मेरा भी आशीर्वाद .आप सब को भी बहुत बहुत बधाई.

  5. शास्त्री जी, आपका ये पोस्ट पढ कर मन आह्लादित हो गया.. कारण दो है.. पहला कारण ये कि आपके पूरे परिवार को भारतीय सभ्यता से इतना लगाव है और दूसरा अभी आप उसी शहर में हैं जहां से मैंने अभी 6 महीने पहले ही अपनी पढाई खत्म की है, और उस शहर से मेरी अच्छी यादों का खजाना जुड़ा हुआ है..
    मैं वहां वेल्लोर तकनीकी संस्थान में था.. 🙂

  6. पढ़कर अच्छा लगा.यदि हम खुद की हीन भावना से लड़ लें तो यह संभव है. आपके पुत्र को बधाइयाँ. यह धोती कहाँ मिल सकती है और इसको बांधने का तरीका कैसा है यह भी किसी पोस्ट में बतायें.

  7. आनंद को बधाईयाँ! और जिन वस्त्रों में ‍उपाधि ग्रहण की वह अनुकरणीय है। जीवन में उतारने की कोशिश करूँगा।
    आपका पारिवारिक चित्र देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा है।

  8. वाह!! बहुत बढ़िया! अनुकरणीय है यह तो!!

    शुभकामनाएं आपके पुत्र को!!
    तस्वीरें बढ़िया आई है!!

  9. जानकर गर्व की अनुभूति हुई। महसूस कर सकती हूँ, कि आप सब क्या अनुभव कर रहें होंगे। बेटे के उज्जवल भविष्य की कामना के साथः)

  10. आपके बेटे और आपको ढेर सारी बधाईयाँ. बेटे का नाम भी देते तो अच्छा होता. आपके विचार और कर्म काफी प्रभावित करते है.

  11. @राजीव तनेजा

    प्रिय राजीव, कोशिश करें तो हम में से हरेक कुछ न कुछ कर सकता है. बूंद बूंद से घट भरे.

  12. ब्लागवा्णी के जरिए आप तक पहुंचा। आपको नियमित रुप से ब्लागवाणी पर देखना वाकई बेहद सुखद अनुभव है। हम लोगों ने एक कम्यूनिटी ब्लाग बनाया है, अभी बहुत लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं। हम चाहते हैं कि इस ब्लाग से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ें ताकि अपनी बात कहने सुनाने का एक पब्लिक प्लेटफार्म बनाया जा सके। अगर आप चाहें तो http://www.batkahee.blogspot.com पर क्लिक कर इस ब्लाग तक पहुंच सकते हैं। और अगर आपको ठीक लगे तो आपका स्वागत है…। अपने बारे में एक संक्षिप्त परिचय लिखकर ज्वाइन करें तो हमें अच्छा लगेगा। .इस ब्लाग को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें। इनविटेशन लिंक http://www.blogger.com/i.g?inviteID=7959074924815683505&blogID=1118301555079880220 पर क्लिक करते ही आप इस ब्लाग ‘आफ द रिकार्ड’ के सदस्य बन सकते हैं। आपका स्वागत है…।
    विवेक सत्य मित्रम्

  13. शास्त्री जी,
    आपको बधाई कि आप अपनी संतानों में अच्छे संस्कार रोपित कर सके!

    आपके पुत्र को विशेष बधाई – उसने साबित किया कि आप गलत मिट्टी, गलत ज़मीन पर काम नहीं कर रहे थे।

    आशा करता हूँ आपका उदाहरण लोगों को जागाएगा और सबसे जरूरी पाश्चात्त्य के अनायास मोह से बाहर लाएगा।

  14. आपने सिद्ध कर दिया कि बच्चों में संस्कार डालने का काम हम चाहें तो बखूबी कर सकते हैं . आपके बेटे को शाबाशी और दोनों बच्चों को ढेर सारा प्यार .परिवार का चित्र देखकर लगा जैसे भारत दर्शन कर लिया हो..

  15. आपको सपरिवार इस अनुकरणीय कार्य पर बधाई.
    अनेक बार केरल जाने का अवसर मिला है. प्रत्येक अवसर पर मैने भी बहाना खोजकर वेष्ठी पहनी है.
    बहुत दिनों बाद ब्लोग दर्शन हुआ,साथ ही आपका सपरिवार चित्र एवं समाचार देखकर सुखद अनुभूति हुई.
    अरविन्द चतुर्वेदी ,भारतीयम

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