कई महीनों से मैं विषयाधारित चिट्ठों की अवधारणा पर लिखता आया हूँ एवं बहुत से चिट्ठाकारों ने इसके महत्व को समझा है. लेकिन कई लोग अभी भी इसका मर्म नहीं समझ पाये है, अत: कुछ परिभाषायें जोड रहा हूँ:
विषयाधारित चिट्ठा: ऐसा चिट्ठा जो सामान्यतया एक विषय के विभिन्न पहलुओं पर लेख प्रस्तुत करता है जिससे कि क्रमश: उस विषय से संबंधित वृहद जानकारी उस चिट्ठे पर उपलब्ध हो जाये. उदाहरण: पर्यानाद (पर्यावरण), सौदा बाज़ार की खबरें, हमारा पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान, घरेलू नुस्खे, शब्दों का सफर (शब्द व्युत्पत्ति), चिट्ठाचर्चा
विषयकेंद्रित चिट्ठा: ऐसा चिट्ठा जो महज एक संकीर्ण विषय पर अधारित न होते हुए एक व्यापक विषय या विधा पर अपने आपको केंद्रित करता है. उदाहरण: सारथी (चिट्ठाकारी, हिन्दी एवं देशभक्ति), हिन्द युग्म, रचनाकार आदि.
खिचडी चिट्ठा: ऐसा चिट्ठा जिसको किस वर्गीकरण में रखा जाये (सामाजिक, वैज्ञानिक, भाषा, कथा, खबर, विज्ञान, तकनीकी, औषध, इतिहास, संस्कृति, मनोविज्ञान, विवाह, अध्ययन, अनुसंधान, फिल्म, व्यापार, धर्म, दर्शन, प्रोत्साहन) यह कहना मुश्किल है. ऐसे चिट्ठों पर आज राजनीति पर एक लेख है तो कल काव्य विमर्शन पर, एवं परसों किरायदारों की समस्या पर है तो उसके अगले दिन अपने पडोस के एक झगडे का वर्णन है. यदि किसी पत्रिका, टीवी कार्यक्रम, अध्यापक का काम इस खिचडी की तरह हो तो हम में सो कोई उसे स्वीकार नहीं करेगा. लेकिन बहुत लोगों की यह खुशफहमी है कि चिट्ठाजगत में यह सब चल जायगा.
यह न भूलें कि हिन्दी चिट्ठाजगत का आज का यह “पारिवारिक” स्वरूप 2010 तक बदलने लगेगा एवं 2015 तक खतम हो जायगा. तब लोग आपके चिट्ठे पर उनकीआपकी दोस्ती के कारण नहीं, कुछ काम की चीज प्राप्त करने के लिये आयेंगे. अत: यदि आपको आज पाठक मिल रहे हैं तो यह इस बात की गारंटी नहीं है कि 2010 में भी मिलेंगे. उचित होगा कि हवा के रूख को पहचान कर हम सब अपने चिट्ठों की ओर पाठक आकर्षित करने के लिये कमर कस लें.
चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: विश्लेषण, आलोचना, सहीगलत, निरीक्षण, परीक्षण, सत्य-असत्य, विमर्श, हिन्दी, हिन्दुस्तान, भारत, शास्त्री, शास्त्री-फिलिप, सारथी, वीडियो, मुफ्त-वीडियो, ऑडियो, मुफ्त-आडियो, हिन्दी-पॉडकास्ट, पाडकास्ट, analysis, critique, assessment, evaluation, morality, right-wrong, ethics, hindi, india, free, hindi-video, hindi-audio, hindi-podcast, podcast, Shastri, Shastri-Philip, JC-Philip,
आप सही कह रहे हैं – अभी खिचड़ी खाने वाले हैं, सो खिचड़ी चल रही है। बाद में नहीं चलेगी।
दो पीढ़ी पहले MBBS डाक्टर ही बहुत कम थे। अब भीषण स्पेशलाइजेशन है; और बढ़ता जा रहा है।
यह विषय अब यहाँ भी चर्चा मे है –
http://researchandmedia.ning.com/forum/topic/show?id=701094%
मेरे विचार से लिखने की स्वतंत्रता में बाधक बने बिना भी इस समस्या को सुलझाया जा सकता है । अगर आप की वर्ड अनिवार्य कर दें तो इन के आधार पर एक विषय के चिठ्ठों को अलग किया जा सकता है ।
नहीं जानता कि मेरा चिट्ठा विषयाधारित है या विषय-केन्द्रित, क्योंकि ज्योतिष से अछूता कुछ रह पाता नहीं।
हाँ यह कह सकता हूँ कि आपकी राय मानने का फायदा हुआ।
संजय गुलाटी मुसाफिर
बहुत अच्छी और दूरदर्शिता पूर्ण बातें बताई आपने. और भविष्य का एक अच्छा चित्र खिंचा है इस लेख के माध्यम से. मैं सहमत भी हूँ पर असमंजस बरक़रार है की मेरा चिटठा किस श्रेणी मे आता है या आएगा?
कुछ रौशनी डाल सके तो बेहतर होगा.
आपकी बात इन उदाहरणों से अधिक अच्छे से समझ में आई हैं
शास्त्री जी , आपको निराशा नहीं होगी…शीघ्र ही सभी इस विषय पर सोचना शुरु कर देंगे. मेरी भी इच्छा है कि एक नए अछूते विषय पर नया चिट्ठा बनाया जाए लेकिन उस पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर पाना अभी सम्भव नहीं.अवसर मिलते ही उस पर कार्य शुरु कर दूँगी.
@मीनाक्षी,
सोचना शुरू कर दीजिये. काफी सारी तय्यारी तो मन में होती है. तय्यारी रहेगी तो अवसर आने पर काम आसान हो जायगा
@balkishan
प्रिय बालकिशन
अपके चिट्ठे पर अभी रचनायें इतनी कम हैं कि वर्गीकरण आसान नहीं है. मेरा सुझाव है कि आप ऐसे दोचार क्षेत्र पहचानने की कोशिश करें जिन में आप आधिकारिक रूप से लिख सकते है.
उदाहरण के लिये “खबरों का विश्लेषण”. यदि आप यह कर सकते हैं, या कोई और विषय ढूढ सकते हों
तो अच्छा है.
विषयाधारित काफी संकीर्ण होता है एवं विषयकेंद्रित कुछ और विशाल होता है. दोनों ही चल जायेंगे लेकिन व्यक्तिगत चिट्ठे अधिक नहीं चल पायेंगे ऐसी मेरी मान्यता है.
कई लोग इस अवधारणा का पूर्वाग्रही मानसिकता के साथ विरोध कर रहे हैं लेकिन मेरा यह विश्वास है कि अंत में चिट्ठाकारी टिप्पणी करने और पाने या बिना किसी अनुशासन के कुछ भी लिखे जाने से अलग हो जाएगी. उस वक्त ऐसे लोगों को ही सबसे ज्यादा परेशानी होगी जो नाहक दुराग्रही हो रहे हैं.
अंदर की दुनिया और बाहर का संसार, इन्हीं से मिलकर बना है इंसान का पूरा मानस। ब्लॉग पर हम अपनी बात कर रहे होते हैं तो खुद को हम टुकड़ों में नहीं बांट सकते। अगर विषय-आधारित या विषय केंद्रित ब्लॉग ही लिखने लगे तो वह तो वेवसाइट का कलेवर हो जाएगा। मुझे तो लगता है कि हम ईमानदारी से अपनी अनुभूतियां लिखते रहें, लोग शेयर करने के लिए खुद ब खुद आते रहेंगे।
हर बार पढ़ने के बाद आपका लिखा ठीक भी लगता है परंतु फिर भी ऐसा लगता है कि हर कोई विशेषज्ञ की तरह सामग्री प्रस्तुत नही कर पाएगा।
हो सकता मैं वो नहीं देख पा रहा हूँ जो कि आप देख पा रहे हैं। यदि ऐसा है तो 2010 के बाद से धीरे धीरे खिचड़ी चिट्ठे परिदृश्य से गायब हो जाएँगे।