“एक साल फिर से बेकार गया. मैं चाह कर भी कुछ न कर पाया”. ये वाक्य मैं लगभग हर साल सुनता हूँ. अकसर गलती किसी और की नहीं है बल्कि अफसोस जाहिर करने वाले की ही होती है.
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समस्या यहां खतम नहीं हो जाती, बल्कि उन में से कई लोग कहते है कि आज तक किसी भी साल वे अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाये इस कारण वे इस साल कोई लक्ष्य नहीं निर्धारित नहीं करेंगे. मेरी नजर में पराजय के लिये इससे बडी कोई गारंटी नहीं दे सकता.
लोग जब ऊचीकूद का अभ्यास करते हैं तब लक्ष्य हमेशा उनकी सामर्थ से ऊपर रखा जाता है. इसलिये नहीं कि वे उस लक्ष्य तक पहुंच जायेंगे, बल्कि इसलिये कि काम के किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिये यह जरूरी होता है कि उससे ऊचा निशाना लगाया जाये. यह मनुष्यसहज बात है कि यदि लक्ष्य नीचा हो तो परिणाम भी नीचा होगा और यदि कोई लक्ष्य ही न हो तो परिणाम बहुत ही निराशाजनक होगा.
जो लोग खेलकूद, जिम्नास्टिकस, गणित आदि की शिक्षा देते हैं वे जानते हैं कि बिना स्पष्ट लक्ष्य के कोई भी इन बातों में आगे नहीं बढ सकता है. यदि हरेक शिक्षार्थी को यह छूट दे दी जाये कि बिना किसी लक्ष्य के वे उन्नति के शिखर छूएं, तो अंत में वे सिर्फ अवनति के गर्त में पहुंचेंगे. मनुष्य जीवन का हर पहलू ऐसा ही है.
यदि पिछले साल आप अपने लक्ष्य को न पा सके तो फिकर न करें. अगले साल के लिये एक व्यावहारिक लक्ष्य चुनिये एवं उसके प्रति समर्पित हो जायें. इसके अगले, एवं इसके अगले साल भी यही करें. लक्ष्य तक न पहुंच पायें तो भी सफलता हर साल आपके कदम छूएगी.
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शास्त्री जी ,क्या मैं यह पूछने की जुर्रत कर सकता हूँ कि आप के नववर्ष- संकल्प क्या क्या हैं?हो सकता है हमे इससे कुछ दिशा निर्देश मिले .
कोशिश इस साल भी करेंगे।
आपकी राय पर अमल होगा।
@arvind mishra
डॉ अरविन्द, संकल्प जीवन के एक या अधिक क्षेत्रों मे लिया जा सकता है — व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, एवं चिट्ठाकारी जैसे शौकिया विषयों में भी! मैं हर साल इन चार बातों में निर्णय लेता हूँ.
मुझे आज एक बात याद आ रही है जो मैंने अपने पसंद की एक पुस्तक में पढी थी..
“Failing to plan is planning to fail.”
पुस्तक का नाम था : “The Monk Who Sold His Ferrari.”
चलो फिर प्रयास करेंगे पर क्या ये नहीं बताउंगा
लोग जब ऊचीकूद का अभ्यास करते हैं तब लक्ष्य हमेशा उनकी सामर्थ से ऊपर रखा जाता है।
आपकी ये लाइन बहुत अच्छी लगी।
यह तो भूल ही गये थे कि आत्म विश्लेशण का समय आ गया – वर्ष का अंत है अब!
याद दिलाने को शुक्रिया।
आदरणीय शास्त्री जी,
संकल्प का कोई विकल्प नही होता !चलिए नए वर्ष का आशान्वित स्वागत किया जाए !