यह मानी हुई बात है कि सामान्यतया पुरुषों एवं स्त्रियों को एक नजर में पहचाना जा सकता है. इतना ही नहीं अधिकतर समाजों में स्त्रीपुरुष को विपरीत लिंग का वस्त्रधारण करना एवं विपरीत दिखना स्वीकार्य बात नहीं है. लेकिन मजे की बात है कि कई देशों में धार्मिक लक्ष्य के साथ या सामाजिक कारणों से कुछ चुने हुए स्थानों पर या अवसरों पर कुछ विषेष लोगों को विपरीत लिंग के वस्त्र पहनने की आजादी दी जाती है. अधिकतर पुरुष स्त्रियों के वेश में प्रगट होते हैं, एवं एक अनजान व्यक्ति को एकदम धोखा हो जायगा कि वे स्त्रियां है. ऊपर के चित्र में थाईलेंड का चित्र है जिसमें दिखने वाले तीनों व्यक्ति पुरुष हैं.
बगल के चित्र मे भी स्त्री वेशधारी पुरुष हैं एवं यह चित्र कनाडा का है.
आपको लगेगा कि ये सब विदेशों में होने वाले चोचले है, लेकिन ऐसा नहीं है. अपने ही भारत के केरल में सैकडों साल से एक विशेष अवसर पर एक मंदिर में पुरुष पूरी तरह स्त्रीवेश में आकर पूजापाठ करते हैं. आजकल केरल में इसका काफी विरोध चल रहा है एवं इसे बंद करवाने के लिये काफी लोग आवाज उठा रहे हैं अत: मै इसके बारे में फिलहाल और अधिक नहीं लिखूंगा.
इतना स्पष्ट है कि विश्वसमाज हम सब की सोच से अधिक विचित्र है. [दोनों चित्र: साभार GFDL]
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नयी शुरूआत करने के लिये बधाई और धन्यवाद एक साथ, आपका ये प्रयास सराहनीय है।
बड़ा प्रश्न है कि: प्रभु नर हैं कि मादा? और इस प्रश्न को ले कर बहुत से लोग मारपीट कर लेंगे!
यह रूप और सोच की विविधता ही तो प्रभु की माया है। जितना आगे जाएंगे विविधता मिलती जाएगी।
लिंग डिज़िटल नहीं होता इसे आप दो भाग में नहीं बांट सकते हैं। इसके कुछ रूप और भी हैं। इस चिट्ठी में बताये गये व्यक्ति ट्रैंवेस्टाइट (transvestite) कहलाते हैं। मैं नहीं जानता कि हिन्दी में क्या कहा जाता है। ऐसे लोग हर सभ्यता, हर जगह पाये जाते हैं। इन्हें ईश्वर ने इसी तरह बनाया है। हमें इन्हें ऐसे ही स्वीकर करना चाहिये।
इन अलग तरह के व्यक्तियों में से, कुछ के बारे में, मैने आईने, आईने, यह तो बता – दुनिया मे सबसे सुन्दर कौन और Trans-gendered – सेक्स परिवर्तित पुरुष या स्त्री चिट्ठी में बताया है। इन लोगों की मुश्कलों के बारे में मां को दिल की बात कैसे बतायें नामक चिट्ठी में लिखा है। मैं कोशिश करूंगा कि विस्तार से इस विषय पर लिखूं। इन लोगों को हेय दृष्टि से, या मजाक बनाने के लिये देखना उचित नहीं।
सारथी अब एक विश्वकोश का रूप ले रहा है. सामान्यतया हफ्ते के पांच लेख
विविध दुर्लभ विषयों पर जानकारी देंगे. बाकी दो दिन सामान्य विषयों
पर लेख आयेंगे.
कल से हर लेख के अंत में किसी एक चिट्ठे का परिचय भी दिया
जायगा. यह चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने का सारथी का एक प्रयास होगा.
great to see saarthi coming back to its original format
sir the advertisement betewwn the post and comment is spoiling your website layout , if possible try to change it and sir forgive me if i am crossing my boundires in making suggestion on layout
इस प्रकार की विचित्रताएं हर समाज में मौजूद है. राजस्थान में होली के अवसर पर मजाक के लिए पूरूष स्त्री का वेश धारण करते है.
न नर है न मादा है. बस आधा-आधा है.
Bahut badhiya vichar hai aapka..
नई शुरुआत के लिए बधाई, शुक्रिया व शुभकामनाएं!
वैसे, हर पुरुष में एक स्त्री और हर स्त्री में एक पुरुष छिपा होता है। गांधी जी भी ऐसा कहा करते थे कि उनके अंदर एक स्त्री है। रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद।