यौनाकर्षण: स्त्रियों की जिम्मेदारी/गैरजिम्मेदारी 1

पिछले कुछ दिनों से बलात्कार एवं स्त्रियों के साथ अश्लील तरीके से पेश आने के संदर्भ में काफी चर्चा हुई जिन में कई दिलचस्प बाते पढने को मिली, लेकिन यह बात पढ कर बहुत ताज्जुब हुआ कि कई लोग स्त्रियों के वस्त्रधारण एवं स्त्रियों के प्रति यौनाकर्षण के बीच संबंध को नकारने में जमीन आसमान एक कर रहे हैं. इस विषय में कुछ तथ्य एवं कुछ प्रश्न यहां दे रहा हूँ जो शायद कम से कम कुछ लोगों की आंख खोल दे.

1. यदि आप को लगता है कि स्त्री के वस्त्रधारण एवं यौनाकर्षण में कोई संबंध नहीं है तो सवाल है के “सेक्सी” पिक्चरों, चित्रों, नाचगानों में स्त्री को अधनंगा क्यों दिखाया जाता है. क्यों उनको केथोलिक भिक्षुणियों (Nuns) के समान पूरी तरह आवृत करके दिखाया नहीं जाता या नचाया नहीं जाता?

2. स्त्री के वस्त्रधारण का पुरुष पर क्या प्रभाव पडता है यह स्त्रियां सही जानती हैं या पुरुष?

3. किसी सभा मे शालीनता से कपडे पहने एक स्त्री के आने पर बहुत कम लोग उसे नोट करते है. यदि आपको लगता है कि स्त्री की वेशभूषा का पुरुषों पर कोई असर नहीं पडता तो क्या आप बता सकते हैं कि उसी सभा में भडकीले “सेक्सी” किस्म की वेशभूषा में कोई स्त्री तशरीफ लाये तो बहुत से पुरुषों की नजर अनायास् उस ओर क्यो उठ जाती है.

4. यदि आपको लगता है कि स्त्री की वेशभूषा का पुरुषों पर कोई असर नहीं पडता तो क्या आप बता सकते हैं कि उसी सभा में “सेक्सी” किस्म की वेशभूषा में या अधनंगे शरीर के साथ कोई स्त्री तशरीफ लाये तो अधिकतर स्त्रियां क्यों बुरा मान जाती है, एवं क्यों वे उस स्त्री पर बेशरम का ठप्पा लगा देते हैं.

यदि आपको लगता है कि स्त्री की वेशभूषा का पुरुष पर कोई भी असर नहीं होता तो यह आपकी गलतफहमी है.

नोट: आज मेरे लेख के साथ कोई चित्र इसलिये नहीं दे रहा हूं कि जो लोग स्त्री की वेशभूषा के यौन प्रभाव को नकारते हैं उनको इस लेख लायक चित्र से सबसे अधिक तकलीफ होगी. (चर्चा अभी बची है)

चिट्ठा-परिचय

Teesra

दिनेशराय द्विवेदी कोटा, राजस्थान का चिट्ठा हर भारतीय के लिये
महत्वपूर्ण है. चित्र पर चटका लगा कर उनके चिट्ठे पर
पधारें एवं जानें कि सारथी उनके चिट्ठे का अनुमोदन क्यों
करता है.

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Author: Super_Admin

33 thoughts on “यौनाकर्षण: स्त्रियों की जिम्मेदारी/गैरजिम्मेदारी 1

  1. बहुत कुछ कह चुके हैं लोग। पर मैं आपसे पूर्ण सहमति रखता हूं। उद्दीपन का अधिकार की वकालत और शोषण के खिलाफ आवाज साथ साथ नहीं चलने चाहियें।

  2. आप ने अपने चिट्ठे पर ‘तीसरा खंबा’ को प्रमोट कर इस चिट्ठे के आशय को जो मान और स्थान दिया है, उस के लिए मैं तो सभी प्रकार से आप का आभारी हूँ ही। वे तमाम लोग जो भारत की न्याय प्रणाली को विश्व की सर्वोत्तम न्याय प्रणाली के रूप में देखना चाहते हैं वे सब भी आप के हृदय से आभारी हो गए हैं। हाँ, आप की आज की पोस्ट में कोई चित्र न दे कर भी आप ने बहुत कुछ कह दिया है जो चित्र के कहे से भी अधिक संप्रेषणीय है। मेरा मानना है कि वस्त्र और वेशभूषा दर्शकों पर प्रभाव डालती है। पर यह प्रभाव दर्शक की सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना से संस्कारित होता है।

  3. शास्त्री जी, स्त्री के वस्त्रधारण और यौनाकर्षण में सीधा संबंध है। लेकिन यह बात जिस संदर्भ में कही जाती है वह यह है कि स्त्रियां ऐसे वस्त्र पहनकर खुद को छेड़खानी या बलात्कार के लिए आमंत्रित करती हैं। आपत्ति इस सोच पर है। यौनाकर्षण स्वाभाविक है, लेकिन बलात्कार जैसे अपराध को स्त्रियों के पहनावे की क्रिया की प्रतिक्रिया मानना समाज-विरोधी सोच है। कानून और नैतिकता के पालन से ही तो इंसान एक सामाजिक प्राणी है, अन्यथा वह भी मूलत: पशु ही है। वैसे, एकाध को छोड़ दें तो पशु कतई बलात्कार नहीं करते।

  4. आपकी बात सही है फिर भी, उसके इस तरह के कपड़े पहनने के कई कारण हो सकते हैं। उसके समाज में यह बुरा न माना जाता हो या फिर उसके संस्कार ही वैसे हों।

    मेरी समझ में यदि कोई स्त्री इस तरह के कपड़े पहनती है तो उसके साथ बत्तमीजी, या दुर-व्यवहार, या बलात्कार किया जाना गलत है। अपने पर नियत्रंण रखना हमारे उपर है हमें अपने को रोकना चाहिये। मेरे विचार में इस तरह की स्त्री को ignore करना सबसे ठीक जवाब है।

  5. “मेरी समझ में यदि कोई स्त्री इस तरह के कपड़े पहनती है तो उसके साथ बत्तमीजी, या दुर-व्यवहार, या बलात्कार किया जाना गलत है।”

    आप सही कह रहे है!!

  6. “लेकिन यह बात जिस संदर्भ में कही जाती है वह यह है कि स्त्रियां ऐसे वस्त्र पहनकर खुद को छेड़खानी या बलात्कार के लिए आमंत्रित करती हैं। आपत्ति इस सोच पर है।”

    आप सही कह रहे हैं. मेरा लेख अभी वहां तक नहीं पहुंचा है. यह सिर्फ भाग 1 है.

  7. जब नागा बाबा का जुलूस निकलता है तो उसमे पुरुष अधनंगे नही नंगे होते है . शास्त्री जी सोच कर बताये अगर उस जुलूस मे पुरुष की जगह स्त्री हों तो क्या जुलूस इतनी शांती से निकाला जा सकता है ?
    फिर अगर कोई स्त्री आप को अधनंगी दिखती है तो आप आँखे क्यो नहीं बंद करलेते , चलईये मान लिया स्त्रियाँ पतित है तो मत देखो . और रह गयी बात nuns की तो मे इसी बहुत सी nuns को जानती हूँ {क्योकि मे konvent educated हूँ जहाँ father और nuns होते है और मेरी माता जी ने सात वर्ष एक कान्वेंट कॉलेज मे अध्यापन किया हैं } जो केवल मजबूरी वश इस को निभाती है क्योकि उनके परिवार वालो ने उन्हें ये अपनाने को बाधित किया है . जैसे हिन्दू धर्म मे तमाम जगह स्त्रियों को मंदिर मे भगवान् की पत्नी के रूप मे रखा जाता है ।
    नारी सर ढक कर रहे या अधनंगी रहें पुरुष समाज की नज़र एक सी ही होती है नहीं तो ६-१३ साल की बच्चिया बलात्कार का शिकार ना होती . कुछ शिक्षा नैतिकता की पुरुष समाज को भी दे शायद समाज का कुछ उथान हों , नारी को तो युगों से नातिकता का पाठ सब पढा रहे हैं पर फिर भी समाज मे अनित्कता फैल रही हैं ।
    यदि आपको लगता है कि स्त्री की वेशभूषा का पुरुष पर कोई भी असर नहीं होता तो यह आपकी गलतफहमी है.
    नहीं शास्त्री जी आज की नारी को कोई भ्रम नहीं है , कोई गलतफहमी नहीं हैं । पर काम , वासना , नैतिकता नारी और पुरुष के लिये एक ही मतलब रखे तो सही होगा । ५० आदमियों की भीड़ २ औरतो को निर्वस्त्र कर के अपनी मर्दानगी का डंका कब तक पीटेगी और कब तक आप जैसे विद्वान उनको ये कह कर सही साबित करेगे कि उन दो औरतो का पहनावा ही ऐसा था ?? समय बदल रहा है पुरुष की नज़र नहीं बदली तो समय वह दूर नहीं स्त्री फिर दुर्गा बने

  8. पढ़ लिया. बिना पूरा पढ़े कोई भी निष्कर्ष निकालने में असमर्थ हूँ.

  9. @rachna

    रचना जी, यह लेख उन विषयों तक नहीं पहुंचा है जिन पर आप ने टिप्पणी की है. न ही इस लेखन परंपरा का लक्ष्य स्त्री मात्र को दोषी ठहराना है.

    “कब तक आप जैसे विद्वान उनको ये कह कर सही साबित करेगे कि उन दो औरतो का पहनावा ही ऐसा था ??”

    कम से कम मैं ने ऐसा नहीं कहा. गलत कार्य हमेशा गलत है, एवं मेरी नजर में बलात्कार के लिये सिर्फ एक सजा है — वह है मृत्युदंड !! यह न भूलें कि एक काऊसलर होने के कारण मैं सैकडों बलात्कार पीडित स्त्रियों को परामर्श दे चुका हूँ, अत: किसी भी तरह से मैं बलात्कारियों एवं ईव टीसिंग करने वालों का समर्थन नहीं करूंगा.

    मैं पुन: आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि मेरी नजर में बलात्कार के लिये सिर्फ एक सजा है — वह है मृत्युदंड !!

  10. “यह न भूलें कि एक काऊसलर होने के कारण मैं”
    no i have not forgotten it sir but when a article is partly written on a topic which is provocating then it needs to be addressed strongly
    my comment covers that

  11. सारथी जी, मैं आपसे सहमत नहीं हूं। माना की कम कपडे उद्दीपक का काम करते हैं। लेकिन बिलकीस के साथ क्या हुआ? गर्भवती स्त्री जिसके साथ दरिन्दगी हुई। अबोध बालिकायें व और भी कई उदाहरण हैं लेकिन उससे क्या दोष तो नारी को ही दिया जायेगा। बात होनी चाहिये नैतिकता की जब तक उसे नहीं अपनाया जायेगा तब तक ये सब होता रहेगा।

  12. @anuradha srivastav

    प्रिय मित्र, आप उन बातों के बारे में टिप्पणी कर रहे हैं जिनके बारे में मै ने अभी कुछ भी नहीं लिखा है.

    नैतिकता की बात जरूर होनी चाहिये, व्यावहारिक पहलुओं पर भी बात होनी चाहिये.

  13. नैतिकता की बात जरूर होनी चाहिये, व्यावहारिक पहलुओं पर भी बात होनी चाहिये.
    व्यावहारिक पहलुओं
    kaa natiktaa sae sambandh nahin hota hae kyaa
    kyaa व्यावहारिक kyaa hotaa hae ?? aur kya व्यावहारिक dono purush aur strii kae liyae saman nahin hota

  14. जैसा कि यह सिर्फ पहला भाग है, मै पूरी बात जाने बिना कुछ नही कहूँगी, सर आप अपनी बात पूरा करे, नाहक मे वाद-विवाद क्यूँ?

    🙂

  15. पूरी बात का इंतजार है..
    वैसे मेरा बस इतना मानना है की हर किसी को उसके अनुसार जीने दो चाहे वो स्त्री हो या पूरूष.. कोई कम कपड़े पहने या पूरे कपड़े पहने.. ये उसके उपर छोड़ दो.. आपको पसंद ना आये तो मत देखो उसे.. पर कम से कम उस पर कमेंट करके या छेड़खानी करके अपनी छोटी मानसिकता का परिचय तो मत दो..
    और मैं कभी भी छेड़खानी या बलात्कार का समर्थन नहीं करता हूं..

  16. मैने आपका लेख पढ़ा है, मिली टिप्पणीयाँ नहीं पढ़ी है.

    कई आदिवासी जातियों में लोग लगभग नग्न रहते है, फिर उन नग्न महिलाओं पर वहाँ कोई बलात्कार क्यों नहीं होता?

  17. @sanjay bengani

    जब कोई चीज हमेशा ही अनावृत रहे तो उसका असर कुछ और होता है एवं उसका मनोविज्ञान भी एकदम अलग होता है.

  18. जब कोई चीज हमेशा ही अनावृत रहे तो उसका असर कुछ और होता है एवं उसका मनोविज्ञान भी एकदम अलग होता है.
    SIR
    similarly if someone looks at something and always sees nakedneess in it then its that someone who need correction and not that somthing which is being seen
    even inside thousand clothes the womans body may be uncoverd for some

  19. कुछ बातें बर्र के छत्ते जैसी होती हैं. छेड़ो तो खूब उड़ती हैं लेकिन थोड़ी देर बात सबकुछ यथावत हो जाता है. यह विषय भी वैसा ही है.
    स्वविवेक सबसे ज्यादा कारगर होता है ऐसे मामलों में.

  20. शास्त्री जी ,यह तो आप ने बर्र के छत्ते को छेड़ दिया .अभी कुछ दिन पहले बीबीसी ने अपने चर्चित स्तम्भ ,आपकी राय मे महिलाओं से बदसलूकी पर रायशुमारी की थी ,अनेक प्रतिक्रियाओं मे यह एक छोटी सी विनम्र प्रतिक्रिया मेरी भी थी जिसे यहाँ जस का तस पुनः उधृत कर रहा हूँ -“ये घटनाएँ यही बताती हैं कि तमाम सांस्कृतिक आवरणों के बावजूद भी मानव की जैवीय विरासत आज भी उस पर हावी है. बस उद्दीपन और उन्मुक्त वातावरण मिलने की बात है. जो कुछ भी हुआ उसे इस नज़रिए से भी देखा जाना चाहिए.”
    अन्य विचारों के लिए कोई भी यहाँ तशरीफ़ ले जा सकता है -http://newsforums.bbc.co.uk/ws/profile.jspa?userID=41295

  21. रचना जी
    मैं यह नही जनता की आप स्त्रियो के नंगेपन को भरावा क्यों दे रही हैं लेकिन स्त्रियो के नंगे पन्न का असर पुरषो पे होता है या नही पुरुष ज़्यादा अच्छे से बता सकते हैं.

  22. mannu on February 23, 2008 3:39 pm रचना जी
    मैं यह नही जनता की आप स्त्रियो के नंगेपन को भरावा क्यों दे रही हैं लेकिन स्त्रियो के नंगे पन्न का असर पुरषो पे होता है
    ______________
    haa haa haa !
    मन्नू जी ,
    आपकी और ऊपर बहुतों की सोच पर हैरानी हो रही है हँसी भी आ रही है ।रचना ने यह तो नही कहा कि नंगापन ठीक है ?
    जिसे आप नंगा होना कहते हैं वही किसी सभ्यता का आम चलन है हो सकता है ।
    वैसे इस सिद्धांत के हिसाब से अगर सभी स्त्रियाँ छोटे और वेस्टर्न कपडॉ- में या स्ट्रिंग ब्लाउज़ और साड़ी पहन कर निकल पड़ॆ तब तो सड़कें , घर ऑफिस सभी हमें ब्रॉथल नज़र आयेंगे । क्यों ?
    एक बहुत मोटी बात है—
    स्त्री की यह सोच कि उसे कामुक दिखना है यह किसने बनाई है ?
    हर जगह पुरुष ही तो आइना बन कर खड़ा है ।
    सारी स्सबुन ,क्रीम ,फेस पैक ,की ऐड बरबाद हैं और बैन होनी चाहिये क्योंकि ये सब स्त्री को पुरुष की नज़र में कामुक दिखाने का दावा करती हैं । ये समाज को खराब कर रही हैं ।
    बेकार की बातें !

  23. बेकार की बहस .
    कोई मुझे यह बता दे की मधुबाला ज्यादा सेक्सी लगती है की मल्लिका , ४२० की नरगिस ज्यादा सेक्सी है या वोह डांसर क्या नाम था उसका लो नाम भी भूल गया .
    अब कोई यह बताय की कपडे ज्यादा कोण पहनता है?
    अब एक और सवाल देवानंद या शम्मी कपूर ज्यादा सेक्सी लगता होगा लड़कियों को या शर्ट उअर हुआ सलमान ?
    पर इसका यह मतलब तो नही की सलमान अगर शर्ट उतर कर बाहर घूमने निकले तो लड़कियां उसका बलात्कार कर दे (अगर कर सके तो ) ?
    एक कहावत सुनी थी इंग्लिश में पता नही कहाँ ” those women who wear flimsy cloths doubts men’s imagination ”
    तो कहना सिर्फ़ इतना है की सब कुछ तो यहाँ है इस खोपडी में .
    लड़की अगर कम कपडे पहें कर आ जाए तो सभी उसकी देखेय्गे . अमा अगर कोई लड़का भी बिना शर्ट के उसी जगह पर आ जाए तो उसको लोग नही देखेय्गे क्या ? मगर मुद्दा यह की लड़की का तो बलात्कार कर दो और तुर्रा यह की क्यों कम कपडे पहने थे यह कहाँ तक जायज है.

  24. मै एक साइबर मुसाफ़िर हूं और नेट पर भटकते रहता हूं अनेक जगह जाता हूं और तरह तरह के लोगो से मिलता हूं और अजब गजब दुनिया को देखता हूं, यहां भी भटकते हुए पहुंच गया आप जैसे स्वयंभू बुद्धिजीवीयों को बहस करते हुए देखा वह भी स्त्री और पुरुष के विषय में आश्चर्य घोर आश्चर्य । रंजना जी और उसी तरह के दूसरे लोगों को लगता है जैसे समाज और लोगों को चरित्र का प्रमाण पत्र देने का उन्हें किसी ने ठेका दे दिया है। ये इंटरनेट है यहां पलक जपकते ही ऎसी हजारों लडकियां मिल जायेगी जो चंद रुपयों की खातिर नग्न होने में जरा भी शर्म नही करती। यहां ऎसी वेबसाइटें भी है जहां सभ्रांत परिवार की औरतें “पुरुष वेश्या” के लिये मुंह मांगा दाम चुकाने के लिये तैयार रहती है, ऎसे में केवल पुरुषों को ही दोष देना गलत है।

    रंजना जी ने उपर कहीं स्त्री और पुरुष को प्रकृति ने क्या दिया है इसका वर्णन किया है और साथ ही यह भी कहा है कि पुरुषों को शारीरिक बल भी प्रकृति ने अधिक दिया है, यह सत्य है लेकिन मैं आगे यह जोडना चाह्ता हूं कि प्रकृति ने पुरुषों को काम-वासना के मामले में अत्यन्त निर्बल बना दिया है, अपनी काम भावना को छुपाने में पुरुष पुरी तरह से अक्षम है , जब सारे जीव प्रकृति ने ही बनाए हैं तो स्वाभाविक है भावनाएं भी प्रकृति प्रदत्त ही है। वैसे तो आयुर्वेद में कहा गया है कि स्त्री में पुरुष की अपेक्षा आठ गुना अधिक “काम” होता है, लेकिन सहनशक्ति की अपनी ताकत से वो उसे छुपाने में सफ़ल हो जाती है।

    मैं यहां अंत में यही कहना चाह्ता हूं स्त्रियां ये बात अच्छी तरह से समझ ले कि पुरुष समाज अपनी काम भावनाओं को छुपाने मे प्राकृतिक रुप से असमर्थ है उसे प्रकृति ने वो शक्ति प्रदान ही नही की है, इसलिये यदि कोई स्त्री इस तरह की बात स्वयं के साथ पसंद नही करती तो उसे अपने आचरण में सुधार लाना होगा अन्यथा जब भी लक्षमण रेखा को लांघेगी उसे कॊई न कॊई रावण जरुर मिलेगा।

  25. ye sahi hai ki estri ke bharkawe kapro se balatkar hone ka chanc bar jate hain mera aek sawal hai. lekin 3 sal se lekar 7 saal ki bachhi ke sath balatkar kiun hote hai.

  26. rachna g lagta hai aapko purusho se kuchh jyada hi dushamni hai aapne tou sare purush samaj ko hi badnam kar diya hai kya purush sabhi ak jaise hote hai ye bharat hai yahan aourat ko maa ke rup mai bhi puja jata hai kya sabhi purush balatkri hote hai kya sabhi aourat ko ak hi nazar se dekha jana chahiye aap apni sochh ko badliye aour dekhiye purush samaj mai hi koi aapka achha bhai sabit hoga jo aapki es galat dharna ko dur karega jawab jarur dena

  27. dosto, baat bahut chhotee see hai aur sabsamajhdaar log hai jaante bhee hai. sirf iske baat kahne ka saleeka uske samajh mai nahee a rahaa hai.
    ham ek sabhya samaaj ka hissa hain aur ek aise desh mai rahte hain jiskaa likhit kaanoon hai. ek baat aur theek se samajh le ham maa bahino aur betiyo baale log hai isliye jo kuch bhee ham yahaan kahte hai vo hamaare ghar pe bhee laagoo hotee hai. theek aisaa hee mahilaao ke liye hai vo pitaa bhai aur bete bhee hain. mere kahne kaa matlab ye hai ki koi bhee bahas sirf stree purush yuddh kaa roop naa le balki sabhyataa kee yaatra mai jo kamee hai us per vimarsh kiyaa jaaye. yaani ki ham khemebaazee naa kare, isse koi matlab nikalkar nahee ataa.
    baat hui kee balaatkaar isliye hote hai ki ladkiya aise vaise kapde pahantee hain. aur purush kaamuk isliye ho jaate hai ki ladkiya badan dikhaatee hai. mujhe kshama karnaa aisaa bilkul nahee hai.
    jitne log balaatkaar karte hai vo purush nahee hote hinsak bhediye hote hain. agar ham jaagrat samaaj kaa hissa hote to mauke per hee unkaa patthar mar mar ke shikaar kar dete. aslee bhediye ke aakraman per bhee to ham yahee karte hai na. lekin hotaa kyaa hai ham cheesdo ko apne khaas najariye se dekhte hain. ghatnaa mai 2 paksh hai mahilaa aur purush, agar hindu hai to kaun jaat hai. jaati kee hai to relation mai hai kya. relation mai khaas relation hai kyaa? aur aise hee jab bilkul lagtaa hai ki maamlaa meraa hai tab ham uske khilaaf khade hote hai tab tak vo bheed hamaare saath nahe hotee jo bhediya ka shikaar kar saktee. aur chunki aisaa hai isliye bhediyo ko aadmiyo ka dar nahee hai.
    rahee baat aakarshan kee – a thing of beauty is joy for ever aisa keets ne kahaa thaa. saundarya aur aakarshan ko tabbo mat banaao.

  28. Rachna Ji
    Why you are not satisfied to sastri ji It is 100% true cloth effects on enviromen. Either it is man or women.What do u not look a nude man you will look or close your eyes but there will a new effect in your mind.you never be in a normal situation at that time.
    Yor are saying rape of 6 – 12 yrs girl. ya it is true there are many dirty type people who look bad eyes to women but it is also true enviroment of a place work on another place.
    need to man clear their view about women but it is more need to wearing good clothes to women.

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