जैसा मैं ने अपने पिछले लेख में कहा था, अर्थलाभ की इच्छा त्याग दें तो आप की पुस्तक असानी से हजारों या लाखों लोगों तक पहुँच सकती है. इसके लिये सबसे अच्छा तरीका है ईपुस्तक के रूप में अपनी पुस्तक को प्रकाशित करना.
ईपुस्तक का मतलब है पुस्तकें जो इलेक्टानिक रूप में हैं एवं जिनको जाल पर बांटा जा सकता है. इसका सबसे सरल उदाहरण है पीडीएफ पुस्तकें. मेरी निम्न पुस्तकें पीडीएफ ईपुस्तक का उदाहरण हैं हिन्दी में ब्लागिंग कैसे करें:लेख 1 से 5 व हिन्दी में ब्लागिंग कैसे करें:लेख 6 से 8. पिछले एक साल में इसकी लगभ 1000 प्रतियां लोग अपने संगणक पर उतार चुके हैं. मेरी अंग्रेजी ईपुस्तकें (सब बाईबिल से संबंधित हैं) काफी बडे दायरे में जाती हैं अत: पिछले साल उनकी लगभग 600,000 प्रतियां इस तरह से वितरित हुई थीं. इस साल अनुमान 1,000,000 प्रतियोंके बंटने का है.
मुझे इससे कौडी भर का आर्थिक फायदा नहीं है, लेकिन जरा सोचें कि मेरी लेखनी का प्रभाव कितना व्यापक हो रहा है.
हिन्दी चिट्ठाकारों में से यदि तीसरा खंबा, शब्दों का सफर, पर्यानाद, साईब्लाग आदि विषयाधारित चिठों के वर्गीकृत लेखों को इस रीति से बांटने लगें तो उनकी पहुंच और भी व्यापक हो जायगी. पंकज अवधिया काफी सारे वैज्ञानिक दस्तावेज इस तरह से वितरित करते आये हैं. उम्मीद है कि आप लोग भी ऐसा करेंगे.
अच्छी जानकारी है।आभार।
shashtri jee,
umdaa jaankaaree de hai aapne magar ye hum jaise logon , jinhein takneek kee jaankaaree kam hai , kya mushkil nahin hogaa.
तीसरा खंबा की कुछ प्रतियाँ हमने बाँटी हैं। उन का प्रभाव भी देखने को मिला है। आप के सुझाव सही हैं। अधिक आलेख होने पर उन का संग्रह अथवा संपादित अंश छापे के माध्यम से वितरण हेतु जारी किये जा सकते हैं।
आप प्रेरणा पुरूष हैं शास्त्री जी ,अभिलाषा तो बहुत कुछ करने को है ,आपकी प्रेरणा निश्चय ही रंग लाएगी ,अपनी हाल तो बाबा तुलसी की इस अर्धाली मे बयां होती है –
मन अति नीच उंच रूचि आछी ,चहिय अमिय जग जुरई न छाछी .
मुझे तो अपने कार्यो को संपादित कर ई-पुस्तक प्रकाशित करने के लिये आप जैसे सम्पादक की जरुरत है। अभी तो तमाम जानकारियाँ बिखरी पडी है। मधुमेह पर तैयार हो रही रपट जिसमे अभी तक 75,000 से अधिक पन्ने लिखे जा चुके है, के कारण मै पहले के कार्यो को सम्पादित नही कर पा रहा हूँ। आशा है आपका मार्गदर्शन मिलेगा।
यदि इस तरह के प्रयास होते रहें तो निश्चय ही समाज के हित में यह बहुत बड़ा काम होगा. अभी भी कई लोग अंतरजाल पर अधिकाँश जानकारी के हिन्दी में उपलब्ध न होने के कारण इसके पूर्ण उपयोग से वंचित रह जाते हैं. साथ ही नेट की पहुँच अभी लम होने से भी, आपका यह सुझाव बहुत उपयोगी हो जाता है.
आभार!
आपका यह सुझाव बहुत उपयोगी है,
आभार!
आपकी लेखनी अलग तरह की है। मैं ब्लाग में नया हूं।
यह सटीक कि स्थानीय साहित्यकारों को इंटरनेट में आना चाहिये।
आपके लेख से लोगों को प्रेरणा मिलेगी।