ग्वालियर यात्रा के दौरान मैं एक डाकटिकट/सिक्का प्रदर्शनी में गया जहां हजारों साल पुराने भारतीय सिक्के प्रदर्शन के लिये रखे गये थे.
संयोग से, कुछ समय पहले पुरातत्व अध्ययन के कारण इस विषय में भी मेरी रुचि जागृत हो चुकी है एवं http://www.CoinsEncyclopedia.Com पर मेरे सहयोग से एक विश्वकोश तय्यार हो रहा है. इस बीच इस जालस्थल के मेरे सहयोगी ने भारतीय सिक्कों के बारे में लिखने के मामले में अपनी कठिनाई बताई अत: http://www.CoinsEncyclopedia.org पर हम ने भारतीय सिक्कों पर के विश्वकोश चालू कर दिया है जिस का संचालन मैं करूंगा.
आज का भारत किसी समय 500 से 1000 छोटे राज्यों में बंटा था एवं इन में से कई राज्यों के अपने सिक्के थे. उदाहरण के लिये, सिंधिया राजाओं के राज्यकाल में उन्होंने कम से कम 250 सिक्के चलाये थे. इस तरह सब राज्यों का हिसाब देखें तो भरतीय सिक्कों का अध्ययन काफी कठिन हो जाता है.
ग्वालियर यात्रा के दौरान मेरी मुलाकात हुई श्रीमान अभय अग्रवाल से, जिन्होंने प्रदर्शनी में सैकडों अति प्राचीन भारतीय सिक्के प्रदर्शित किये थे. जैसे ही मैं ने अपनी रुचि बताई, मुझे एक प्रतियोगी न समझ कर, उन्होंने मुझे अलग ले जाकर विषया की सारी बारीकियां समझाईं. उसके बाद अपनी गाडी से इस विषय की सबसे महत्वपूर्ण पुस्तकें एवं सूचियां दिखाईं जो दुर्लभ हैं एवं जिनको शायद मैं किसी भी तरह से न पा सकता. इतना ही नहीं उन्होंने अपने खर्चे पर ये किताबें मेरे लिये फोटोकापी कीं एवं मुझे प्रदान किया.
आज भी ऐसे भारतीयों की कमी नहीं है जो अपनी सोच एवं कर्म द्वारा वसुधैव कुटुम्बकम के भारतीय आदर्श को प्रदर्शित करते है. अभय अग्रवाल जी को मेरा शत शत नमन्!!
अग्रवाल जी और आप जी को मेरा सादर नमन.आपकी साईट http://www.CoinsEncyclopedia.org भी देखी (अभी पढ़ी नहीं, बस देखी). 🙂
एक सरस्वती प्रेमी अब सिक्कों की खनक की ऑर आकर्षित हुआ है -लक्ष्मी आप पर दयालु हों !
वाह!
साऱथी हुआ नमूदार, सिक्कों की खनक के साथ. अब तो नित्य ही दर्शन हुआ करेंगे?
अतीत और वर्तमान को सजेहने के साथ ही भविष्य का आधार बनाने के ऐसे सार्थक प्रयासों से सकारात्मकता बची हुई है।
बहुत दिनों से आपका इंतजार था…सिंधिया स्टेट के कुछ सिक्के मेरे पास भी हैं.
Bahut dino se aapki rah tak raha tha..
ab pata chala ki aap kahan the.. 🙂
भाई वाह….कलेक्शन हो तो ऐसी
आपके प्रयास की सराहना करता हूँ.
क्या जालस्थल को द्वीभाषी बनाया जा सकता है? आखिर भारतीय सिक्को का ज्ञान भारतीय भाषा में भी संग्रहित हो तो क्या बात है!
स्वागतम
बहुत दिन बाद आपका चिट्ठा पढने को मिला। प्रतीक्षा कर रहे है सिक्कों के बारे में जानने के लिए ।
सारथी जी बहुत अच्छा लगा पढ़कर मुझे भी जानकारी चाहिये उन दुर्लभ पुस्तकों की कैसे और कहाँ से मिल सकती हैं…
बहुत दिनों बाद आपका लेख पढ़कर अच्छा लगा। सिक्कों के बारे मे और जानकारी देंगे तो अच्छा रहेगा।
आप आये बहार आयी!
आपके लेखों का इंतज़ार रहता है.
आपकी इन बेहतरीन रुचियों ने ही अभी तक आपको युवा बनाए रखा है आज के नीरस और उद्यम न करने वालों को आपसे प्रेरणा लेकर जिन्दगी को जिन्दगी दी तरह जीना चाहिए एक आपके चेहरे की आभा देखो और दूसरे इन फ्लईग शर्ट पहने सड़कों पर उड़ती जवानियों को देखो लगता है जैसे जिंदा है क्योंकि मरे नही है -मरे इसलिए नहीं है की मौत नही आई है और मौत इसलिए नही आई है की सोचती होगी मरों को क्या मारना