पिछले दिनों मैं ने अपने नये शौक “सिक्का संग्रह” के बारे में सूचना दी थी. तब सारथी के मित्रों ने इस विषय पर हिन्दी में लिखने का आग्रह किया था. पेश है पहला लेख. अंग्रेजी जाल आप Coins Encyclopedia पर देख सकते हैं.
दुनियां का सबसे छोटा सिक्का हिन्दुस्तान में चलता था. अनुमान है कि 1300 ईस्वी में इसका आरंभ हुआ. 1600 ईस्वी के सिक्के आजकाल संग्राहकों के पास उपलब्ध हैं. इन सिक्कों को फानम या फाणम कहा जाता है जो दक्षिण-भारतीय पणम (धन) का अपभ्रंश है.
मैसूर से लेकर श्रीलंका तक इनका चलन था, एवं ये सिर्फ चांदी या सोने के बनते थे. चित्र में चादी को “कोचिन फानम” आप देख सकते हैं. ये इतने छोटे हैं कि एक रुपये के सिक्के पर ऐसे पांच सिक्के आ जायें. कोचिन फानम में अकसर एक ओर एक देवी का चित्र एवं दूसरी ओर कुछ अन्य चित्र दिखते हैं. आजकाल मैं इन पर अनुसंधान कर रहा हूँ एवं जल्दी ही और विस्तार से लिखूंगा.
आजकल फानम चलते नहीं है, लेकिन संग्रह की वस्तु है. आजकल एक चांदी का फानम 100 रुपये से लेकर एक सोने का फानम 4000 रुपये तक का आता है. अत: यह औसत व्यक्ति के वश का शौक नहीं है. मैं ने पिछले 2 महीनों में पाच रुपये से लेख पचास हजार रुपये तक के पुराने सिक्के देखे हैं, एवं विक्रेता लोग कहते हैं कि उनके पास 200,000 रुपये तक मूल्य के सिक्के हैं! अगले लेखों में कुछ और जानकारी दूंगा.
अच्छी जानकारी, यदि सिक्कों का आकार उन के व्यास को और मोटाई को सेण्टीमीटर या इंच में नाप कर दिया होता तो सही अनुमान लगता और साथ में उन का वजन भी दिया होता तो जानकारी संपूर्ण हो जाती।
बढि़या जानकारी है…
मैं दिनेश राय जी से सहमत हूँ।
बहुत दिन बाद आपका चिट्ठा पढकर अच्छा लगा।
यह तो गेन्हूं के दाने बराबर होंगे!
अच्छा लगा,अच्छी जानकारी हुयी,थैंक्स
अच्छी और संग्रहणीय जानकारी।