सिख कौम हमेशा ही भारत के विदेशी आक्रमणकारियों के लिये सरदर्द का कारण रही है. उनके गुरुओं ने उनको स्वतंत्रता का जो पाठ पढाया था उस कारण उन्होंने हमेशा विदेशी आक्रमणकारियों का विरोध जान देकर किया. अनुमान है कि पंजाब पर नियंत्रण पाने के पहले लगभग 200,000 सिखों को मुगल शासकों ने निर्दयता के साथ मार डाला था. युद्द में जो सिख मारे गये थे उनकी संख्या इसमें शामिल नहीं है.
अमृतसर के टकसाल में ढाला गया एक सिख सिक्का |
मुगलों के बाद सिखों ने अंग्रेजों का भी डट कर विरोध किया. लेकिन अंग्रेज कौम के उन्नत हथियार, लाखों की फौज, एवं अन्य भारतीय राज्यों से मिली मदद के कारण उन्होंने अंत में सिखों को एवं पंजाब को अपने नियंत्रण में ले लिया. ऐसा करने के बात अंग्रेजी कौम ने सिख स्वाभिमान को तहस नहस करने के लिये हर नीच चाल चली. इन में से एक नीच कार्य था सिखों के सिक्कों को गला देने का.
सिख शासकों ने चांदी के एक से एक सिक्के अपने टकसालों में ढाले थे. यह उनकी शान एवं पहचान थी. इसे समझ कर अंग्रेजों ने उन सिक्कों को न केवल बंद करवा दिया बल्कि दो जहाज भर कर सिक्कों को ले जाकर गला कर उन से अंग्रेजों के सिक्के बना दिये. इस तरह भारत देश के एक अमूल्य एतिहासिक दस्तावेज का काफी हिस्सा अंग्रेजों ने लुप्त कर दिय.
शोध से भरपूर ज्ञानवर्धक लेख ….
सूचना महत्वपूर्ण है, नये लोगों को इस तरह की जानकारियाँ जरूरी हैं। पोस्ट का फोण्ट बहुत महीन हो गया है।
अच्छी जानकारी. आजकल आप टिप्पणीयां नहीं करते कहीं भी. इस बात पर मैं अपना विरोध दर्ज करता हूँ.
जरूरी। शोधपरक जानकारी। फॉण्ट सचमुच समस्या कर रहा है।
सिखो पर अभिमान किया जा सकता है, राजपूत की तरह यह कौम भी जाँबाज रही है.
धयवाद. बहुत महत्वपूर्ण पोस्ट है. मगर क्या आपको नहीं लगता कि निम्न वाक्यों को विस्तृत आलेखों से लिंकी-कृत करके और भी असरकारी बनाया जा सकता था?
१. लगभग 200,000 सिखों को मुगल शासकों ने निर्दयता के साथ मार डाला था.
२. दो जहाज भर कर सिक्कों को ले जाकर गला कर उन से अंग्रेजों के सिक्के बना दिये.