मेरे बचपन में 50 पैसे का एक वेताल/मेंड्रेक खरीदने की बात पर बढे बूढे झुंझला जाते थे. लेकिन कल मैं ने उससे 300 गुना अधिक धन देकर (150 रुपये) वेताल का पुनर्प्रकाशित टिकाऊ कागज पर छपा कामिक खरीदा. इसमें दो कहानियां हैं एवं दोनों ही मुझे पुराने दिनों की और लौटा ले गये. इस बीच मेरी जानकारी के बिना ही बिटिया उसे मेरी लाईब्रेरी से “खीच” ले गई और पढ के लौटा दिया. धर्मपत्नी की नजर पडी तो फिर वही होगा, और मुझे खुशी होगी.
जब हम तीनों पढ लेंगे, तब पुस्तक मेरे बेटे के पास जायगा जो इस समय कर्नाटक के एक छोटे से अस्पताल में मेडिकल आफीसर है. जब वह पढ लेगा तो फिर यह मेरी छोटी बहन के बेटे के पास पहुंच जायगा. जिन जिन परिवारों में वेताल/मेंड्रेक आदि पसंद किये जाते हैं वहां सब आजकल यही होता है. सवाल यह है कि क्यों यह कामिक इतना पसंद किया जाता है. क्यों मेरे बच्चे कक्षा 12 की पाढाई पूरी करने तक (मतलब घर छोडने तक) हर दिन मुझ से इन दोनों में से किसी एक की एक काल्पनिक कहानी सुनना चाहते थे. उससे भी बडा सवाल है कि मुझ जैसा व्यस्त आदमी इस कार्य को क्यों इतना महत्व देता था और कहानीकार न होते हुए भी क्यों नई नई कहानियां ईजाद करने के लिये इतनी मेहनत करता था. इसका एक महत्वपूर्ण कारण है.
“ली फाक” एक ऐसे समाज का प्रतिनिधि था जिसमें ईश्वरभक्ति, कानून पर भरोसा, नैतिक पवित्रता, ईमानदार रखवाले, कानून का पालन, एवं अपराधियों को कानून के हवाले कर देना आदि समाज की मूल आस्थायें हुआ करती थीं. भारत में भी यह सोच उन्नीस सौ साठादि के अंत तक काफी व्यापक थी. यदि हम इतिहास के पन्ने पलट कर देखें तो पायेंगे कि सिर्फ इस तरह की सोच वाले समाज ही स्थाई शांति एवं उन्नति का मार्ग खोलते हैं. जब जब किसी समाज या राष्ट्र ने इस तरह की सोच को तिलांजली दे दी तब तब वह राष्ट्र बर्बादी के कगार पर पहुंच गया एवं उन में से कुछ तो पूरी तरह लुप्त हो गये. अत: ली फाक के कामिक मानव समूह के एक शाश्वत सत्य को प्रदर्शित कर है — सिर्फ उन्नत मूल्यों पर आधारित मानव समाज ही टिकाऊ होता है. [क्रमश:]
लीफाक ने एक काल्पनिक वेताल की दुनियाँ गढ़ी थी। लेकिन यह दुनियाँ पाठकों को एक नई दुनियाँ के निर्माण की प्रेरणा देती थी। जो समाज के उन्नयन के लिए आवश्यक है। आज ऐसे सपनों का अभाव है।
मुझे यह बात अच्छी लगती थी की, अपराधी को सजा देने का काम कानून करता था.
जब आपके परिवार में सब पढ लें तब यहाँ लगा दीजिएगा। ये इतनी ढेरों कहानियाँ है पता नहीं आपके पास कौन सी निकल आए।
वेताल और मेंड्रेक हमारे भी पसंदीदा हैं
आपने बचपन की याद दिला दी. मुझे वेताल का किरदार इतना पसंद है कि मैंने कुछ समय पहले वेताल उवाच के नाम से एक चिट्ठा भी बनाया था लेकिन दुर्भाग्य से उसे जीवित नहीं रख पाया.
सही कहा – ये कॉमिक्स हमें साफ सुथरे जीवन मूल्य सिखाते थे!
और काल्पनिक दुनिया की एक रोमांचकारी सैर भी होती थी.
सच में बड़ा ही मज़ा आता था.
उन्नत मूल्यों पर आधारित मानव समाज ही टिकाऊ होता है.
-सौ टके की एक बात. साधुवाद.
सही बात है. व्यक्ति, समाज, साहित्य, संगीत, कलाकृति, प्रौद्योगिकी कोई भी चीज हो, स्वस्थ्य मूल्यों के आधार के बिना उसका टिकाउ रहना संभव नहीं हो पाता.
बेताल व मैन्ड्रेक की बात कर आपने हमें भी अपना बचपन याद दिला दिया. धन्यवाद.
सही बात है. व्यक्ति, समाज, साहित्य, संगीत, कला, प्रौद्योगिकी जो भी हो, यदि वह स्वस्थ्य जीवन मूल्यों पर आधारित नहीं, तो उसका टिकाउ रहना संभव नहीं.
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