आज मुझे अपने कार के लिये छमाही प्रदूषण सर्टिफिकेट लेने जाना पडा. सडक किनारे एक नया प्रदूषण सर्टिफिकेट केंद्र देख कर गाडी लगाई, कागज-पत्तर थमाये, एवं इंजन चालू करने के लिये सीट पर बैठ गया.
वहां जो एकमात्र कन्या उस दफ्तर को चला रही थी उसने गाडी की पिछाडी का चित्र लिया, अपने मशीन पर कुछ किया एवं मुझ से 60 रुपये मांगे. पैसे देने के बाद मैं पुन: गाडी की जांच के लिये तय्यार हो गया, लेकिन तब तक उस कन्या ने मेरी गाडी के सारे कागजात वापस किये एवं उसके साथ एक अतिरिक्त पन्ना और पकडा दिया. देखा तो प्रदूषण सर्टिफिकेट था.
अब आप ही बतायें कि यह कैसा नैतिक प्रदूषण है कि गाडी जाचे बिना ही जचने का सर्टिफिकेट दे दिया जा रहा है? विडम्बना यह है कि इस कागज की अनुपस्थिति में यहां कोचिन में 400 रुपये जुर्माना भरना पडता है, लेकिन जैसे ही यह फर्जी कागज मिल जाता है तो मैं उन जांच करने वालों की नजर में कानून का पालन करने वाला हो जाता हूं. असली अपराधी मुझ जैसा कानूनपालक व्यक्ति है या वह है जिसका फर्जी दस्तावेज मुझे “कानूनपालक” सिद्ध करता है?
इस देश में नैतिकता की एक आंधी का इंतजार है!
शायद गाड़ी को देखकर अंदाजा लगा लिया होगा. 🙂
बहुत अफसोसजनक.
आपको ६० रुपये की रसीद मिली या नहीं? अथवा पॉल्यूशन सर्टीफिकेट पर लिखा था कि उसकी कीमत ६० रुपये है। यह जरूरी है जानना कि ६० रुपया कहां गया। अगर रसीद है तो मामला केवल अक्षमता का है। अन्यथा भ्रष्टाचार का।
आप के चेहरे से ही पता लग गया होगा कि वाहन प्रदूषण सहित होता तो यह आदमी इस के भीतर नहीं होता।
उस कन्या से निवेदन करिये कि इतनी ज्ञानी है तो ब्लॉग काहे नहीं लिखती. उसका भी आयाम होगा कुछ सोचने का..और हमारा अधिकार है जानने का.कल फिर जाईये.
मामला भ्रष्टाचार का ही है. इसके लिए ठेकेदार मशीन लाता है, सरकारी लाइसेंस लेता है, परंतु मशीन प्रयोग नहीं करता, सिर्फ पैसे वसूल कर प्रमाणपत्र देता है… यहाँ रतलाम में भी यही हो रहा था. बाद में लोगों ने ये प्रमाणपत्र लेना ही बद कर दिया.
हमने तो सुना है सभी जगह ऐसे ही प्रमाणपत्र मिलता है…जांच-वांच तो कहीं नहीं होती…वैसे हमारे पास तो ये फर्जी कागज भी नहीं है.
sameer ji bilkul sahi kah rahe hain ki “उस कन्या से निवेदन करिये कि इतनी ज्ञानी है तो ब्लॉग काहे नहीं लिखती. उसका भी आयाम होगा कुछ सोचने का..और हमारा अधिकार है जानने का.कल फिर जाईये.”
🙂
कोचीन में ये सर्टिफ़िकेट भी देखते हैं??? यहाँ तो भाई लोग बगैर लायसेंस के बाइक चलाते रहते हैं और वह भी तीन को बैठाकर… 🙂 रवि जी ने सही कहा है, अब तो लोगों ने यह लेना बन्द कर दिया है
आप ने क़ानून की मान मर्यादा रख ली अब काहें को पचडे में पड़ते हैं शास्त्री जी !
agar aap log esi tarah se sirf pratikirya he dete rahege to ho gaya sudhar kuch kariye nahi to sub mit jayega jagiyeeeeeeeeeeeeeeeeee
HAU VICHAR KE SATH KARM BHI KARTE HAY
NAVSARJAN
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