आज हिंदी लेखकों के लिये कमाई के साधन !! में डा. प्रवीण चोपडा ने एक प्रश्न पूछा है जो कई चिट्ठाकारों के मन में है, एवं जिसका जवाब कई बार दिया जा चुका है. सवाल है "चिट्ठाकारी से कमाई हो सकती है क्या". इसे निम्न टुकडों में बांट कर देखना उपयुक्त रहेगा:
- क्या यह प्रस्तावना सही है कि चिट्ठों के द्वारा कई लोगों को आय होती है?
- यदि यह प्रस्तावना सही है तो क्या यह भी सही है कि यह आय हजारों या दस हजारों में होती है?
- यदि चिट्ठे द्वारा कुछ लोगों को इस तरह की आय होती है तो उसका गुर या "मर्म" क्या है? उस तिलिस्म का रहस्य क्या हैं?
- अपने चिट्ठे द्वारा आय प्राप्त करने के लिये क्या क्या करना होग?
इन प्रश्नों के उत्तर निम्न हैं:
- यह प्रस्तावना एकदम सही है कि चिट्ठों के द्वारा कई लोगों को आय होती है
- हिन्दी चिट्ठाजगत में एकाध दर्जन हैं जिनको इस तरह आय होती है, लेकिन यह आय साल भर में अधिकतम कुछ हजार रुपयों तक सीमित है.
- असली आय अंग्रेजी में है जहां मासिक आय हजारों या दस हजारों में होती है
- अगले 3 से 5 साल में हिन्दीजगत में काफी अच्छी आय होने लगेगी, लेकिन इस फसल को सिर्फ वे लोग काट सकेंगे जिनके हिन्दी चिट्ठों पर 400 से 1000 पाठक प्रति दिन आते हैं.
आपके चिट्ठे पर आय के लिये क्या करना होगा इस बारें में लिखने से पहले मैं कुछ और तथ्य आपकी जानकारी के लिये यहां जोडना चाहता हूँ.
- मेरे उपर दिये गये कथन अनुभव पर आधारित है, न कि सुनी सुनाई बातों पर.
- अंग्रेजी के जानेमाने कई चिट्ठाकार एक महीने में आराम से 100,000 से 500,000 रुपया कमा लेते हैं.
- मेरे अंग्रेजी चिट्ठों द्वारा जो आय होती है उसकी वास्तविक राशि बताना गूगल द्वारा निषिद्ध है, लेकिन मैं आपको इतना जरूर बता सकता हूँ कि मेरे 4 अंग्रेजी चिट्ठों की साल भर की आय इस साल आयकर देने लायक हो जायगी, एवं बाकायदा आयकर देने की तय्यारी चल रही है.
- इसके पीछे लगभग 5 से 8 साल की तय्यारी छुपी हुई है.
- इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि विज्ञापन द्वारा आय एक भ्राति नहीं है बल्कि एक वास्तविकता ह.
- लेकिन हिन्दीजगत में इस स्तर की आय के लिये अभी 3 से 5 साल रुकना पडेगा.
- रुकने का मतलब यह नहीं कि आप हाथ पर हाथ रख कर बैठें. बल्कि जिस तरह मेरे अंग्रेजी चिट्ठों पर 5 से 8 साल की मेहनत का फल अब मिल रहा है उसी तरह आप भी अभी से जुट जायें तो ही आप फसल काट सकेंगे.
यह कैसे होगा, इस बारे में अगले एकदो लेखों में मैं प्रकाश डालूंगा. इस लेख को समाप्त करने से पहले मैं रवि रतलामी के प्रति अपना आदर प्रगट करना चाहूंगा जिन्होंने एक बहुत ही व्यावहारिक (साधारण) राशि को मन में रख कर अपने चिट्ठे पर विज्ञापन देना शुरू किया था एवं हम सब के लिये मार्ग प्रशस्त किया था. [क्रमश:]
उत्साहवर्धक जानकारी है।आभार।
आय तो हम भी चाहते हैं। ब्लागिरी में समय लगता है और यह शगल नहीं है। इस के लिए एक लेखक की तरह सजग रहना पड़ता है, तब भी जब ब्लागीर कम्प्यूटर पर न बैठा हो। जब एक व्यक्ति दिन के चार-छह घंटे इस काम में लगाएगा तो वह चाहेगा कि उसे क्षतिपूर्ति हो। हमें न तो इतना समय कि कमाई के तरीके तलाशने में खर्च कर सकें। फिर हम वह आविष्कार क्यों करें जो पहले ही किसी और के द्वारा किया जा चुका है। हम तो उन से पूछेंगे जो यह जान चुके हैं कि ब्लागिरी से कमाई के लिए क्या-क्या करना चाहिए। अब यह राज हो तो भी हम उन से यह राज उन की व्यावसायिक शुल्क दे कर प्राप्त कर सकते हैं। अब मैं कमाई का एक राज जो अभी-अभी मेरे संज्ञान में आया है आप को मुफ्त में बता रहा हूँ। जो राज आप जान चुके हैं उसे औरों को शुल्क ले कर बताइए, यह भी ब्लागिरी से कमाई का एक साधन हो सकता है।
आप से एक राय और कि क्या आप को चिट्ठाकार के लिए ब्लागीर और चिट्ठाकारी के लिए बलागिरी शब्द कैसे लगे?
आप का टिप्पणी स्थान वहीं समाप्त हो गया और गलती से ब्लागिरी के स्थान पर बलागिरी टाइप हो गया इसे मजाक समझ कर ही माफ कर दें। असली सुझाव ब्लागिरी ही है। इसे टाइप करना भी आसान है और बोलने में भी शानदार लग रहा है। लगता है चल निकलेगा।
सारथी जी, इस उपयोगी जानकारी के लिए आपका शुक्रिया.
बड़िया जानकारी.
आभार
सही कहा शास्त्रीजी, और हम ३ से पांच साल की प्रतीक्षा को तैयार हैं!
हमारे ब्लॉग में कोई स्ट्रेटेजिक परिवर्तन आप सोचते हैं तो बताइयेगा।
आप ने तो वह कार्य करना शुरू कर दिया जो मैं नहीं कर पा रही थी या यूँ कहूं की व्यस्तताओं के कारण बीच में ही छोड़ दिया था. मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं. मैं भी जल्द ही वापस आऊंगी.
शास्त्री जी को चैलेंज
शास्त्री जी चलिए एक रेस हो जाए, सही मायनों में ये रेस कुछ ऎसी होगी :-
1. रेस दो तकनीकी चिट्ठों के बीच,
2. शेर और चींटी के बीच रेस,
रेस 8 नंबर के चिट्ठे और 3464 नंबर के चिट्ठे के बीच,
मेरी तरफ़ से तो आपको सीधा-सीधा चैलेंज है, इस चिट्ठा रेस के लिए.
रेस के पहले मेरा प्रणाम स्वीकार करें और क्या मेरे ब्लॉग पर अपनी शुभकामनाएं देने नहीं आयेंगे.
href=’ http://blogspundit.blogspot.com/ ‘ target=’_blank’>ब्लॉग्स पंडित
आज से ही शुरू किया है यह ब्लॉग.
आयेंगे तो और भी कुछ जानेंगे अपने बारे में.
सही कहूं तो लगता है की आपने मेरे इस विषय को चुरा लिया है, ये तो मेरा विषय था 🙂
शास्त्री जी की लुभावनी पोस्ट 🙂
आपका इस विषयक लेख काफी अच्छा लगा, और हमारे उत्साह को बढ़ाने वाला था। वर्तमान समय में हम हिन्दी ब्लाग से इतनी कमाई कर लेते है कि अपने ब्राडबैन्ड का मासिक बिल भर सकते है। आगे प्रयास करते रहेगें।
चिट्ठाकारी आय का भी जरिया बने तो निश्चित तौर पर इस माध्यम मे रचनात्मकता बढ़ेगी।
तीसरा साल तो लग गया है..अब कुछ उम्मीद करुँ. 🙂
नमस्कार शास्त्रीजी, इस लुभावनी पोस्ट ने तो मोह जगा दिया… विस्तार से जानना चाहते हैं ताकि घर बैठे भी मन मोहिनी माया पा सकें..
meri site me kareeb 40000 pageviews per month hain par kamai kewal $10 per month hai. usame bhee $8-$9 bank wale processing charge kaat lete hain milta kewal $1-$2 hai.