जैसा मैं ने पिछले लेख में इशारा किया था, हिन्दी चिट्ठों में विज्ञापन द्वारा कमाई के रास्ते में कई रोडे है. इन में से कुछ निम्न हैं:
1. विज्ञापनदाता गूगल द्वारा विज्ञापन इसलिये देते हैं कि उनका धंधा चले (किताबें बिकें, अन्य सामग्री बिके, लोग वाहनों के टिकट खरीदें). लेकिन इन अमरीकी विज्ञापनदाताओं के उत्पादन के लिये फिलहाल भारतीय जाला-बाजार में अधिक मांग नहीं है. इस कारण इन विज्ञापनों के लिये वे लोग जो पैसा खर्च करते हैं उसकी तुलना में आय कम होती है. इस कारण आजकल गूगल हिन्दी से कुछ कटा हुआ है, लेकिन यह बेरूखी सिर्फ कुछ महीने बाद बदल जायगी.
2. आय के लिये यह जरूरी है कि चिट्ठे की विषयवस्तु से संबंधित विज्ञापन चिट्ठों पर दिखाया जाये. लेकिन हिन्दी के अधिकांश चिट्ठों की विषयवस्तु अभी भी मिलीजुली है. चाहे "सारथी" हो, या ज्ञान जी की "हलचल" हो, या समीर जी का "खटोला" हो, इनकी विषयवस्तु विज्ञापन के लिये उपयुक्त नहीं है.
3. विषयाधारित चिट्ठों की विशेषता यह है कि उस विषय से संबंधित विज्ञापन आसानी से दिखाये जा सकते है. उदाहरण के लिये हैल्थ टिप्स चिट्ठे को ले लीजिये. इस पर चूंकि सारे लेख स्वास्थ्य से संबंधित है, अत: गूगल बडे आसानी के साथ स्वास्थ्य संबंधी विज्ञापन दे सकता है. (अब डा प्रवीण को लग रहा होगा कि इस चिट्ठे पर अप्रेल महीने से न लिखने के कारण गूगल में उनकी वरिष्ठता को कितना नुक्सान हो गया है).
कुल मिला कर कहा जाये तो विषयाधारित चिट्ठों के बिना विज्ञापन से आय नहीं हो सकती. इसके उदाहरण के रूप में मेरे दो अंग्रेजी चिट्ठे देखें:
द पनेशिया (स्वास्थ्य): http://www.ThePanacea.org
कोइन्स एनसाईक्लोपीडिया (सिक्का संग्रह): http://www.CoinsEncyclopedia.org
कृपया पहले चिट्ठे की विषयवस्तु देखें. उसके बाद विज्ञापनों पर एक नजर डालें. विषयाधारित चिट्ठे पर विज्ञापन की आसानी का सारा फंडा स्पष्ट हो जायगा.
लेकिन हिन्दी में अभी एक और समस्या है …. [क्रमश:]
इन समस्याओं से निपटने का उपाय भी तो बताइये.
वैसे ये अंग्रेज़ी के ब्लॉग अच्छे लगे.
दोनों ब्लाग देखे सुंदर है। विषय-वस्तु पढ़ने पर ही पता हो पाएगी। आगे की कड़ियों की प्रतीक्षा है। शायद हिन्दी ब्लागीरों के लिए कुछ सुझाव मिलें।
आभार पथप्रदर्शन का..एक दिन कमा ही लेंगे. आप तो बताते चलें.
स्वास्थ्य से संबधित अंग्रेजी ब्लोग पढा। अच्छा लगा। आप जो जानकारी दे रहे हैं। वह काफि महत्वपूर्ण है।इंतजार रहेगा।
हरे राम! आपने तो हमारी सब आशाओं पर तुषारापात कर दिया शास्त्री जी! 🙂
@Gyan Dutt Pandey
आप से पहले मैं ने सारथी को निहत्था किया है. इसी कारण तो
आजकल सारथी पर गूगल नहीं दिखता. मेरे आपके चिट्ठों पर
फिलहाल शादी के विज्ञापनों के अलावा कुछ नहीं आने वाला.
हमेशा आपका लेख जानकारी से परिपूर्ण होता है और कुछ सोचने को विवश कर देता है..
कुछ कुछ समझ में आने लगा है। धन्यवाद।
लिखते रहिये, काफी कुछ जानने को मिलेगा।