पिछले 4 लेखों में मैं ने विषय का विश्लेषण प्रस्तुत किया था. अब सवाल यह है कि आय देने वाला चिट्ठा कैसे स्थापित किया जाये.
पहली बात, सामान्यतया विषयाधारित चिट्ठे ही आय दे पाते हैं. दूसरी बात, विषय भी ऐसा होना चाहिये जो विज्ञापन आकर्षित कर सके. अब यदि आप "भारतीय समाज में गधे की उपयोगिता" पर एक चिट्ठा चालू कर देते हैं तो सालों तक लिखने के लिये एक विषयाधारित चिट्ठा बन सकता है, लेकिन यह विषय विज्ञापन नहीं आकर्षित कर सकेगा.
दूसरी ओर यदि आप भारत के दर्शनीय स्थलों, मंदिरों, एतिहासिक स्थलों, भाषाओं आदि पर एक चिट्ठा चलाते हैं तो आपको भरपूर विज्ञापन मिल सकते हैं. गूगल के पास भारतीय समाज, पर्यटन, पुस्तकें आदि पर काफी विज्ञापन आते हैं. यदि आप मेरे चिट्ठे "भारतीय सिक्के" [ http://www.CoinsEncyclopedia.org] को जांचें तो देखेंगे कि विषय "भारतीय" सिक्के हैं, लेकिन उस पर विज्ञापन हर तरह के सिक्कों का आता है. यह विषय ऐसा है कि इस पर मुझे कभी भी विज्ञापनों की कमी न होगी.
आज हिन्दी चिट्ठाजगत में दोचार चिट्ठाकारों को छोड कर बाकी सब को चिट्ठे द्वारा आय से खुशी होगी. ऐसे लोगों से मेरा निवेदन है कि वे अभी से इसकी तय्यारी शुरू कर दें. पिछले दिनों Manish Kumar ने सारथी पर टिप्पाया था कि "बिल्कुल सही कहा आपने। खेतों में फसलें होंगी तभी कटाई हो पाएगी।"
यदि आप आज लिखना शुरू करेंगे तो सन 2010 के बाद आराम से उस फसल को काट सकेंगे. [क्रमश:]
सारथी जी,आप अच्छा मार्ग दर्शन कर रहे हैं ।इस से सभी को बहुत लाभ हो रहा है।आभार।
शास्त्री जी, यानी अभी के लिए हम कुछ नहीं कर सकते, आज- कल का चाय-पानी बंद कर दें.
अरे हुज़ूर, आज का भी तो कुछ ख़याल करें.
लोग सम्भवत दूरस्थ भविष्य की आय और वर्तमान में समय देने की दुविधा में हैं।
अगर वर्तमान में ब्लॉगिंग के फायदे + भविष्य की आय स्पष्ट हो तो जोश आये!
मार्ग दर्शन का आभार.
समीर जी को यह लिखने की जरूरत नही है कि उड़नतश्तरी वाले है।