एक आदमी अकेले क्या कर सकता है? यह प्रश्न बहुत लोग पूछते हैं, खास कर जब उन से यह कहा जाता है कि वे ऐसा कुछ करें जिससे समाज की भलाई हो. पलट कर जब वे यह पूछते हैं कि एक आदमी अकेले क्या कर सकता है तो कई बार लोग जवाब नहीं दे पाते क्योंकि उन्होंने इस कोण से विषय को कभी देखा नहीं है. लेकिन आज मैं अपने मित्रों को याद दिलाना चाहता हूँ कि एक अकेला आदमी बहुत कुछ कर सकता है. लीजिये, पेश हैं कुछ उदाहरण:
आज सारा हिन्दुस्तान बिजली की कमी से जूझ रहा है. राजनैतिज्ञों द्वारा देशनिर्माण के बदले लूटखसोट करने का परिणाम है यह. लेकिन मुझे और आपको जीना है, अत: यदि हम अपनी ओर से कुछ कर सकें तो मुझआपको ही आसानी होगी. यदि बिजली की बर्बादी कुछ हद तक रोक सकें तो अनावश्यक लोड शेडिंग कुछ कम हो सकता है एवं परीक्षा के समय हमारे बच्चों को पंखालाईट की सुविधा से कम वंचित होना पडेगा.
अपने घर में हर अनावश्यक लट्टू को बंद करने की आदत डालें. रसोई एवं संडास आदि में अकसर बत्तियां जलती रहती हैं. इनको बंद करें एवं हरेक को हिदायत दें कि वे इनको बंद करें. ट्यूबलाईट या सामान्य लट्टू खराब हो जाये तो कम से कम आंगन में, संडास में, सीढीयों आदि पर नयी पीढी के सीएफएल लगा दें. बिजली के कम बिल द्वारा साल भर में आपका पैसा वसूल हो जायगा. देश की बिजली भी बचेगी. यदि कुटुम्बनायक इसे एक अभियान के रूप में ले ले, तो चार व्यक्तियों के घर में एक साल में कम से कम 700 से 1000 यूनिट की बचत होगी. एक व्यक्ति बहुत कुछ कर सकता है!!
अगली बार आपके संडास के पानी की टंकी बदलें तो पूरा एवं आधा फ्लश करने वाली टंकी लगवा दें. कीमत में कोई खास फरक नहीं पडेगा, लेकिन दो संडास वाले एक घर में साल भर में 18,000 लिटर पानी की बचत हो सकती है. यह पानी शहर के कई जरूरतमंदों को पानी दे सकता है.
एक व्यक्ति बहुत कुछ कर सकता है. जरूरत न होने पर लट्टू जरूर बंद कर दें!!
शास्त्री जी, कई वज़हें हो सकती हैं कि
मैं टिप्पणी तो करना नहीं चाह रहा था, किंतु कुछ न कहना भी बेईमानी में गिना जायेगा ।
अतएव..1. अजी एक मुहिम चला कर 2000 यूनिट तक बचायी जा सकती है,
पर बिल तो मनमाना ही आयेगा , फिर ?
2. हम सब द्वारा बचायी गयी बिज़ली का कितने खुल्लम-खुल्ला तरीके से विभाग
के कर्मचारी चोरी करवाते हैं कि वह चोरी कम डकैती ज़्यादा लगती है ।
आपके इस पोस्ट से असहमत होने का मैं कई कारण रखता हूँ । एक छोटा कारण तो यही है कि ‘ जब हर शाख पे ऊल्लू बैठा हो…उस बाग़-ए-चमन का क्या होगा
अनाधिकृत घृष्टता की भी क्या कोई वज़ह हुआ करती है ? सो, मुझसे तो यहाँ हो ही गयी, यह !
सही है, आदमी व्याप्त अपव्यय तो कम कर ही सकता है।
बहुत सही लिखा है आपने….मैंने भी ये आदत डाल रखी है
कुछ तो अनुभव से सीख चुके हैं। हाँ हर बार दस लीटर पानी फैंकने वाले सिस्टन से परेशान थे। उस का इलाज आप ने बता ही दिया है।
हम तो इसके लिये काफी संघर्ष रत रहते है, जितना उपयोग होता उतना ही उपयोग करते है।
उपयोगी सुझाव !
बिजली-पानी के बारें में तो हम तो पहले से ही जागरूक हैं मगर मेरे साथ रहने वाले कुछ मित्र कभी समझते नहीं है इन बातों को.. एक मित्र है जिसने कभी पानी की दिक्कतों का सामना नहीं किया है वो बस पानी का नल खुला छोड़कर कहीं भी चला जाता है.. सोचता है कि हमारे घर में 24 घंटे पानी आता है तो बरबादी कहां हो रही है.. उसे ज्यादा समझाता हूं तो उग्र हो उठाता है.. घर में टेंशन नहीं चाहता हूं सो ज्यादा कुछ नहीं कहता हूं.. उसे कैसे समझाऊं? कुछ उपाय बताईये..
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वाजिब ओर जायज चिंता है ….एक ओर बात बिजली चोरी ओर उन राज्नेतायो का भी समाधान ढूंढ़ना होगा जो अरसे से बिल दबाये बैठे है ,दूसरे उन hydil कर्मचारियों के बारे में भी सोचना पड़ेगा जो ….कितनी ही बिजली इस्तेमाल करे उन्हें बिल सिर्फ़ एक सीमित ही देना पड़ता है…..
आपके विचारों से सौ प्रतिशत सहमत हूं और यकीन करें ऐसे बहुत से काम स्वयं करता हूं.