विद्यार्थी जीवन में मेरे मित्रगण हर बात में मेरी राय मंगते थे, ध्यान से मेरी सुनते थे, एवं बाद में आकर बताते थे कि मेरे परामर्श से उनको कितना फायदा हुआ. इस तरह परामर्श देने में मेरी रुचि बढी एवं भौतिकी में स्नातकोत्तर पढाई के बाद परामर्श (काऊंसलिंग) में विशेष शिक्षा ली.
पारिवारिक जीवन, यौनसंबंध, युवा युगलों एवं विवाहपूर्व जीवन संबंधित परामर्श में विशेष दक्षता हासिल की. 1990 में वजीफे पर संयुक्त राष्ट्र अमरीका जाकर इस विषय पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मौका भी मिला. 1995 में विवाह एवं पारिवारिक जीवन पर मेरी पुस्तक मलयालम में छपी जिसके 2 संस्करण एवं 10 पुनर्मुद्रण हो चुके हैं. नवयुगलों को भेट करने के लिये मलयालम में किताब की इतनी मांग है कि दो संस्करण एवं 10 बार पुनर्मुद्रण होने के बावजूद किताब मुश्किल से मिल पाती है. (रायल्टी आज तक नहीं मिली एवं प्रकाशक सारा लाभ खा रहा है जो लाखों में है). इस बात का संतोष है कि इस पुस्तक ने सैकडों युवा युगलों को एक नयी आशा एवं नया जीवन जीने की चाह प्रदान की है.
पिछले 25 सालों में भारतीय जनजीवन में बहुत बदलाव आया है एवं परिवार तेजी से टूटने लगे हैं. इसके कारण रोजमर्रा के जीवन की समस्याओं से जूझने के लिये बहुत लोगों को अपने परिवार एवं जीवनसाथी से वह प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है जो संयुक्त परिवारों में मिला करता था. फलस्वरूप आजकल जरा सी निराशा, छोटी सी हार, बडी मानसिक परेशानी पैदा करने लगा है. मद्यपान एवं आत्महत्या की घटनायें बढ रही हैं.
निराश हो जाने पर लोगों को लगने लगता है कि यह उनके विद्यालयीन, पारिवारिक, या सामाजिक जीवन का अंत है. लेकिन ऐसा नहीं है. विजय इस जीवन में सब कुछ नहीं होता, निराशा के साथ सब कुछ खतम नहीं हो जाता. कल के चिट्ठे में इस बारें में कुछ चर्चा करेंगे.
संयुक्त परिवारों का टूटना अधिकांश समस्याआें की जड़ है लेकिन चक्र फिर घूमेगा। फिर बदलाव आएगा।
विजय इस जीवन में सब कुछ नहीं होता,
निराशा के साथ सब कुछ खतम नहीं हो जाता.
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बिल्कुल सही…जाल पर यह
बहुत सुलझा हुआ पड़ाव है.
यहाँ आता रहूँगा अब.
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आभार
डा.चन्द्रकुमार जैन
ये हुई न पहले से बेहतर बात 🙂
अब आप अपनी ख़ुद की पोस्ट छाप रहे हैं, धन्यवाद.
बेसब्री से इंतज़ार रहेगा इस श्रृंखला का.
प्रोत्साहन की जरूरत भी है शास्त्री जी… आगे कहें
यह एकाकी जीवन के परिणाम हैं।
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रक्षा-बंधन का भाव है, “वसुधैव कुटुम्बकम्!”
इस की ओर बढ़ें…
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकानाएँ!
प्रेरक विचार हैं…जारी रखें।