कल मैं ने जिस समस्या का उत्तर दिया था उसे एक टिप्पणीकार मित्र ने अपने प्रश्न द्वारा एवं अन्य कई मित्रों ने अपनी विस्तृत टिप्पणियों द्वारा बहुत अधिक संपुष्ट कर दिया है. उन सब को मेरा आभार.
उस प्रश्न के एक और पहलू पर एक मां से आज मुझे एक पत्र मिला है जो इस प्रकार है:
प्रश्न: कल आपने उस परिवार को परामर्श दिया था जहा केबल टीवी के कारण उनके बच्चे की पढाई बिगड रही है. लेकिन मेरी समस्या इसके एकदम विपरीत है. हमारा परिवार संयुक्त है एवं काफी सारे लोग एकसाथ रहते हैं. हरेक के अलग शौक हैं, एवं दो दो टीवी एवं एक म्यूजिक सिस्टम है. सब एक साथ चलते हैं, एवं घर में काफी शोर रहता है. लेकिन मेरा बडा बेटा इन बातों में कोई खास रुचि नहीं लेता है.
वह एक डाक्टर बनना चाहता है. वह सबके साथ बैठता है, सबसे हिलमिल कर रहता है, लेकिन अधिकतर समय पढने के लिये अपने कमरे में बंद हो जाता है. कहीं एक समाजविरोधी प्राणी तो नहीं बन जा रहा?
उत्तर: आप भाग्यवती हैं देवी कि आपका बच्चा एक लक्ष्य निश्चित कर चुका है एवं वह इतना अनुशासित है कि एक संयुक्त परिवार का शोरशराबे से भरे माहौल में भी वह अपना बिना किसी शिकायत के अपना अनुशासन बनाये हुए है. कितने लोगों को ऐसे बच्चे मिलते हैं.
आपने खुद लिखा है कि वह सबके साथ बैठता है एवं सबसे हिलिमिल कर रहता है. अत: उसमे समाजविरोध का कोई बीज नहीं पनप रहा है बल्कि आधुनिक समाज में व्यक्ति के ध्यान को बंटाने वाली बातों पर उसने काबू कर लिया है. आप किसी तरह की फिकर न करे.
परामर्श के लिये कृपया अपने प्रश्न बिना नाम एवं परिचय के इस चिट्ठे के दाईं ओर दिये गये फार्म द्वारा सारथी को भेजें!!
मेरा मानना है कि संयुक्त परिवार में बच्चा अनुशासन शीघ्रता से सीख लेता है। बशर्ते कि उपेक्षा का शिकार न हो।
सही है.. शास्त्री जी..
ये बढि़या है शास्त्री जी. अच्छा लगा.
होनहार को पढ़ने दीजिए। बड़ा होकर अच्छा बनेगा। शुभकामनाएं।