आपकी समस्याये 005 — प्रश्न: नारी एवं पुरुष की समानता का अर्थ क्या है. किस उमर में अपने बेटी एवं बेटे को यह बताना चाहिये कि दोनों समान हैं?
उत्तर: किसी भी उमर में बच्चों को यह बताने की जरूरत नहीं है कि वे दोनों समान हैं. जरूरत इस बात की है कि उनको यह न बताया जाये कि वे असमान हैं. जबर्दस्ती एक असहज विषमता उन पर न थोपी जाये.
सवाल है कि समानता का अर्थ क्या है. इसका मतलब कम से कम यह नहीं है कि पुरूष अब बच्चे जनने लगें, या स्त्री पुरुषसहज कार्य जबर्दस्ती अपने ऊपर ले ले. इसका मतलब यह भी नहीं है कि कालेज में अब स्त्रीपुरुष एक ही हास्टल में रहने लगें, या एक ही प्रकार के कपडे पहनने लगें. स्त्रीपुरुष समानता का मतलब यह नहीं है कि स्त्रीपुरुष में जो शारीरिक एवं मानसिक अंतर है उसे दूर करके एक यूनिसेक्स (एकलिंगी) समाज का निर्माण किया जाये. इसका मतब यह भी नहीं है कि अब लडकियां लडकों के समान या लडके लडकियों के समान व्यवहार करने लगें.
बल्कि समानता की सबसे अच्छी परिभाषा यह होगी कि स्त्रीपुरूष के बीच हर अनावश्यक विषमता या भेदभाव समाप्त हो जाये. दोनों को तुल्य कार्य के लिये तुल्य तनख्वाह मिले, दोनों को जीवनसाथी चुनने की तुल्य आजादी मिले, दोनों के प्रति सामाजिक भेदभाव समाप्त हो जाये.
जब यह भेदभाव समाप्त हो जायगा तो स्त्रीपुरुष समानता अपने आप आ जायेगी. ऐसे समाज के निर्माण के लिये पुरूषों की तुलना में स्त्रियों की जिम्मेदारी अधिक है क्योंकि लडकियों को अनावश्यक बंधनों में बांध कर विषमता पैदा करने का कार्य अकसर मायें करती हैं.
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आप से सहमत हैं। पराधीनता का जीवन जीती माँओं को स्त्री जीवन पराधीनता में ही सुरक्षित नजर आता है। इसी कारण वे उन्हें ऐसी शिक्षा देती हैं।
@स्त्रीपुरुष समानता का मतलब यह नहीं है कि स्त्रीपुरुष में जो शारीरिक एवं मानसिक अंतर है उसे दूर करके एक यूनिसेक्स (एकलिंगी) समाज का निर्माण किया जाये.
शास्त्री जी, स्त्री-पुरुष में ‘मानसिक अन्तर’ होने की बात शायद नारीवादी महिलाएं मानने को तैयार न हों। इसे थोड़ा और स्पष्ट करने की आवश्यकता है। मेरी बात का सन्दर्भ ‘चोखेर बाली’ ‘चोखेर बाली’ ब्लॉग पर मिल जाएगा। नारी की दुरवस्था के लिए नारी अधिक जिम्मेदार है’; इस बात पर भी वहाँ एक बहस विद्यमान हैं। मेरी इच्छा है कि आप वहाँ जरूर जाँय।
अनावश्यक भेद भाव से बचा जायें.. या कहें कि लिंग के आधार पर किसी को अच्छा या बुरा, ताकतवर या कमजोर इत्यादि न माना जायें
नर नारी कतई समान नहीं हैं -वे एक दूजे के लिए हैं ,पूरक हैं !
http://sarathi.info/archives/1248
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