प्रश्न: आपके कई आलेखों में जाल से आय की बात कही गई है. क्या वाकई में जाल द्वारा आय संभव है. यदि है तो वह कितनी मात्रा में हो सकती है?
उत्तर: जाल से आय संभव है एवं लाखों लोग आज जालआधारित आय से जी रहे हैं. मैं खुद इसका जीता जागता उदाहरण हूँ, लेकिन कई बार यह बताने के बावजूद कई मित्रों पर कोई असर नहीं हुआ है.
यदि आप जाल से आय के मामले में गंभीरता से सोच रहे हों तो निम्न बातों पर ध्यान दें:
1. जाल से कितनी आय होती है वह इस बात पर निर्भर करता है कि आप ने आय का कौन सा रास्ता चुना है. आपके चिट्ठे पर प्रदर्शित करने वाले विज्ञापनों द्वारा साल भर में 100 रुपये की आय हो सकती है तो कुछ और तरीकों से महीने में 25,000 रुपये की आय हो सकती है.
2. हिन्दी में पाठकगण अभी कम है, लेकिन यदि आप आज तय्यारी शुरू कर देते हैं तो दो तीन साल में हिन्दी-जाल पर विज्ञापन द्वारा 100 से 1000 रुपये प्रति माह आय हो सकती है.
3. इसके साथ साथ यदि आप अंग्रेजी में एक चिट्ठा चालू कर दें तो विज्ञापनों द्वारा दोतीन साल में 1000 रुपये से 10,000 या अधिक आय प्रति माह हो सकती है.
4. आपकी आय पाठकों के अनुपात में होती है, क्योंकि अधिक पाठक का मतलब है विज्ञापन का अधिक प्रचार. प्रचार जितना अधिक होगा, आय उतनी ही अधिक होगी.
5. चिट्ठा चालू करते ही पाठक एकदम आपके चिट्ठे पर नहीं आ जाते. उसके लिये आपको अपनी धाक एवं साख जमानी होगी जिससे लोग आपके चिट्ठे की ओर खिंच आये.
6. खोज यंत्र भी आपकी धाक एवं साख के अनुपात में आपको पाठक प्रदान करेंगे. उनके पास इन बातों को नापने के लिये कई तरीके हैं.
7. अधिकतर खोज यंत्र आपके चिट्ठे को उसके चालू होने के 6 महीने बाद ही कोई वजन देते हैं, और फिर यह आपके चिट्ठे/जालस्थल की उमर के अनुपात में बढता जाता है. इसका मतलब है कि आपका चिट्ठा जितना पुराना होगा, खोजयंत्र आपको उतना ही अधिक वजन देंगे. इसी कारण से मैं बारबार मित्रों को याद दिलाता हूँ कि कल को नजर रख कर वे आज मेहनत शुरू कर दें.
8. विषयाधारित चिट्ठों पर आय हमेशा अन्य चिट्ठों की तुलना में अधिक होती है.
9. कुछ विषय, जैसे औषधि शास्त्र, टूरिज्म, अर्थ प्रबंध, अन्य विषयों की तुलना में अधिक आय प्रदान करते हैं.
10. इस विषय पर अगले लेख में कुछ और प्रकाश डालूँगा. यदि आप चाहें तो आय पर मेरे अंग्रेजी चिट्ठे पर एक नजर डाल सकते हैं जो यहां है.
11. जाल अलादीन का चिराग नहीं है, लेकिन मेहनत करने वाले के लिये सोने की खान जरूर है – जहां मेहनती व्यक्ति काफी कुछ कमा सकता है
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हम जैसे नये चिट्ठाकारों के लिये जानकारी काफ़ी मददगार साबित होगी।
WORDPRESS (FAQs)
“Adsense, Yahoo, Chitika, TextLinkAds and other ads are not permitted to be added by users.”
Kindly reconcile
कई बार सुना था कि कुछ लोग ब्लॉग के माध्यम से पैसा कमा रहे हैं।
बहुत दिनों से उत्सुक था यह जानने के लिए कि आखिर कितना पैसा कमा लेते हैं।
सुना था कि दुनिया में कुछ सफ़ल चिट्ठाकार (विशेषकर अमित अग्रवाल -of Digital Inspirations fame) तो अपनी अच्छी खासी नौकरियाँ छोडकर Full Time blogger बनकर लाखों रुपये कमाने लगे हैं।
आज पहली बार आपके इस लेख से आम ब्लॉग्गरों के कुछ आँकडे मिले।
अगर आम ब्लॉग लिखने वालों की यह हालत है तो हम जैसे टिप्पणीकारों की क्या हैसियत? चवन्नी भी हमारे नसीब में नहीं लिखी है।
न बाबा न।
हम ब्लॉग को अपना शौक ही मानते थे और भविष्य में भी यही मानेंगे।
मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है इस जरिए पैसे कमाने का।
सफ़ल और नामी ब्लॉग्गरों को यह आमदनी मुबारक हो।
ईश्वर की कृपा से आज हमारे पास एक मध्यवर्गीय स्तर के जीवन जीने के लिए पर्याप्त आमदनी है। यदि कभी अधिक कमाने की इच्छा हुई तो और भी रास्ते हैं जो हम आजमाएंगे।
सोचता हूँ इडली/वडा/दोसा बेचने में कम दिमाग और जयादा आमदनी की संभावना है। ब्लोग पढ़ने वाले कम होते हैं । इडली/वडा/दोसा के शौकीन की कोई कमी नहीं। घी और सांभार की महक सूंघते ही अपने आप दौड़ते चले आएंगे।
शुभकामनाएं
ये क्या शास्त्री जी, आप तो सच में सारथी (श्री कृष्ण ) बन गए. आपकी चितचोर सलोनी सूरत दाहिने कोने से झांकती नज़र आती है. 😉
ज़रा बगल-पट्टिका में हमारे चिट्ठे को भी जगह दे दें.
आवारा और कबाड़ियों को जगह दे रखी है, इसी में मेरे ‘ब्लॉग्स पण्डित’ को भी जगह दे दें, तो अतिकृपा होगी.
यदि इसके लिए कोई चाटुकारिता करनी हो तो बता दीजिये, अमूल लेके पहुँचते हैं. 😉
कृपया चिटठा जगत की तरह अंग्रेजी चिट्ठो को आप्टीमाइज़ करने वाले प्रमुख साईट बताएं.
आप हमेशा कमाई की बात करते हैं । मगर इसी बीच हमने मसीजीवी की एक पोस्ट पढ़ी जिसमें उन्होने गूगल एडसेंस द्वारा हिन्दी ब्लाग्स को विज्ञापन देना बंद करने की सूचना दी थी….
फिर आय का क्या होगा ?
namashkar shastri ji please jal se aay ke bare mein poori tarah se bataien.
इस शृंखला को आगे तो बढ़ाएं, यह तो कई बार चर्चा का विषय रह चुका है… असल बात तो वे तरीके हैं जिनसे आय शुरू होगी.
दूसरी बात यह कि सिर्फ गूगल के एडसेंस से कमाई होना संभव नहीं है… इंग्लिश ब्लॉगर बहुत से दूसरे विज्ञापन भी अपने चिट्ठों पर लगाते हैं, जो भारत में हिंदी ब्लॉगर्स को नहीं मिलते.
अंतिम बात… कुछ अपवादों को छोड़कर आम हिंदी चिट्ठाकार न तो ईमानदारी से दूसरे के चिट्ठों पर कमेंट करते हैं, न विज्ञापन पर क्लिक…..