टिप्पणियां जो दी नहीं गईं !!

मेरे वरिष्ठ चिट्ठामित्र अकसर चिट्ठों के साथ  हुए  काफी दिलचस्प अनुभव बताते रहे हैं. उन में से किसी को भी आहत किये बिना कुछ टिप्पणियों यहां देना चाहता हूँ जो वे देना चाहते थे, लेकिन देते देते रह गये कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाये. लेकिन चिट्ठापाठकों को इन दिलचस्प टिप्पणियों से वंचित करना ठीक नहीं है अत: मैं उनकों यहां पेश कर रहा हूँ:

  1. यह आलेख छाप दिया, कोई बात नहीं है. आईंदा न लिखो तो जनकल्याण होगा. साथ ही साथ सर्वरस्पेस एवं बेंडाविड्थ भी बचेगा.
  2. आप के इस आलेख को पढने के पहले तक मुझे यह अनुमान नहीं था कि कोई व्यक्ति लिखने से पहले अकल को इस तरह गिरवी रख सकता है.
  3. मेरा अनुमान है कि आप का एक बेटा तीसरी कक्षा मे पढता है. आगे से छापने से पहले अपनी (वर्तनी) मात्रायें उससे जंचवां लें.
  4. आपके अंग्रेजी में टिपियाने के शौक पर मुझे आपत्ति नहीं है, लेकिन उसे "सेव" करने के पहले जरा यूकेजी मे पढ रहे अपने बालक को दिखा देते तो ऐसी जगहसाई न होती.
  5. आप के सारे आलेख एक बार में ही पढ गया. अच्छा लगा. लेकिन शायद आप ने नोट नहीं किया कि आप जो लिखना चाहते है उसके साथ साथ आपका संगणक कुछ वाक्य हर जगह जोडता जा रहा है.
  6. आगे से अपने नाम से  छापने के पहले आलेख एक बार पढ जरूर लें.  अपनी पत्नी या लेडी सेक्रेटरी से आप जो लिखवाते हैं उस में हर जगह सोचता के बदले सोचती एवं करता के बदले करती लिखा रहता है.
  7. प्रस्तुति गजब की है. कुछ विषय होता तो मजा आ जाता.
  8. विषय बहुत अच्छा लगा. प्रस्तुति सही होती समझ में आ जाता कि विषय क्या है.
  9. आपके चिट्ठे पर आप तानाशाही से टिप्पणियां नियंत्रित करते हैं, लेकिन हमारे चिट्ठे पर टिपियाते समय आप अराजकत्व दिखाने की अनुमति चाहते हैं. वह भई वाह!

इस बीच सुरेश चिपलूनकर के चिट्ठे पर सुरेश के आलेख ब्लॉग में “टिप्पणी मॉडरेशन” तानाशाही का प्रतीक है…  के अनुमोदन में मैं ने एक टिप्पणी दी थी जो इस प्रकार है

  • मैं यह कहना भूल गया था कि जो लोग छाती पीट कर कहते हैं कि "मेरे चिट्ठे पर मैं कुछ भी करूँ तुम्हारा क्या जाता है" वे यह भूल जाते हैं कि पाठक भी कुछ कहना चाहता है और वह है:  "भाड में जाओ तुम और तुम्हारा ‘व्यक्तिगत़’ चिट्ठा. यदि तुम पाठकों की इज्जत करना नहीं जानते तो तुम को किस तरह के पाठक मिलेंगे यह हमें मालूम है".

इस टिप्पणी को कई पाठकों ने बहुत सराहा तथा एक चिट्ठाकार ने इसे एक श्रेष्ठ टिप्पणी मान कर अपने चिट्ठे पर शास्त्री की टिपण्णी में उसे प्रस्तुत भी कर दिया.

कहने का मतलब यह है कि अच्छा-है-बढिया-है के साथ साथ शायद 10 मे 1 टिप्पणी इस तरह की दी जाये तो शायद चिट्ठाजगत का बडा भला होगा. मेरी तो पहली ही ऐसी टिप्पणी अन्यत्र प्रदर्शन के लिये चुन ली गई जिसके लिये मैं उस चिट्ठाकार का आभारी हूँ.

मित्रगण क्या कहते हैं ??

यदि आपको टिप्पणी पट न दिखे तो आलेख के शीर्षक पर क्लिक करें, लेख के नीचे टिप्पणी-पट  दिख जायगा!!

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Author: Super_Admin

12 thoughts on “टिप्पणियां जो दी नहीं गईं !!

  1. shashtri jee,
    mujhe to lagtaa hai ki koi bhee tippnni us vyakti ke lekhanee aur soch ke anuroop hee likhee jaatee hai, shayaad yahee kaaran hai ki main kabhee koi chhotee aur seedhee seedhee tippnni nahin kar paataa, kabhi kabhi to poora patra hee likh deta hoon. charchaaa achhee lagee.

  2. मज़ा आ गया.
    और लिखवाइए अपनी सेक्रेटरी से, मगर ‘करती’ के जगह पर ‘करता’ होना ही चाहिए.
    हा हा हा.
    क्या कहें ऐसे लोगों को. 🙂 😉

  3. आपने मेरे ब्लॉग पर ये टिप्पणियाँ देने से हाथ खींच लिया और मेरी इज्जत रख ली। बहुत धन्यवाद!

  4. टिप्पणियाँ देने वाले सभी चिठठाकार नये या पुराने सभी लगभग एक ही तरह की टिप्पणी देते है “अच्छी पोस्ट थी”। इस पोस्ट मे सुधार के लिये कोई नही बताता विशेषकर नये चिठठाकारों को

  5. लेखन में तृटियों की ओर इंगित कर, क्या हमें अपनी ब्लॉग नहीं चलानी है. टीपियाने के लिए आने वाले गिने चुने रह जाएँगे.हमारी पीठ कौन खुज़ाएगा?

  6. आपको धन्यवाद कि आपने ये टिप्पणियाँ छाप दीं. इनमें से बहुत मेरे चिट्ठे पर आने से बचती रही हैं अब तक… 🙂

  7. भाई आप तो बड़े खतरनाक लग रहे हैं। सारी पोल खोल देंगे। अब तो आपसे सावधान रहना पडेगा।

  8. हाँ वह श्रेष्ठ टिप्पणी वाला ब्लाग सचमुच एक अभिनव सोच है ,मेरी भी एक टिप्पणी वहाँ है और विचित्र संयोग से सारथी को ही लेकर-जिस पर आपने बिना अन्यथा लिए एक सकारात्मक रुख अपनाया ,आपकी यह महानता है और उस अभिनव सोच वाले ब्लॉगर के प्रयास की सफलता भी !
    आपका आज का यह पोस्ट तो वाकई मजेदार है -इसमें कौन सी टिप्पणी मेरे ब्लागों पर लागू होगी /हो सकती है बता दें तो आपेक्षित सावधानी बारात सकूं .

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