सफल एवं जनप्रिय पत्रकारिता के सिद्धांतों में एक यह है कि जो कहना है उसे आकर्षक तरीके से कहा जाये. यह भी कि शीर्षक जितना आकर्षक होगा उतना ही लोगों को खीचने में मदद करेगा. लेखन में मैं ने हमेशा इस बात का ख्याल रखा है.
इस बीच सारथी मित्रगण अकसर पूछते हैं कि मेरे लेखों के शीर्षक मुझे पाठक दिलाने में क्या योगदान करते हैं. इस विषय पर पिछले एक महीने से मैं अनुसंधान कर रहा था एवं आंकडे हाजिर है:
पिछले कई हफ्तों से मैं लगभग एक बराबर महत्व के आलेख सारथी पर दे रहा था. लेकिन पाठक संख्या एक जैसी नहीं थी. इससे स्पष्ट है कि सिर्फ एक अच्छा विषय पर्याप्त नहीं बल्कि प्रस्तुति भी जरूरी है.
इस मामले में सारथी के सारे लेखों के आंकडों के अनुसंधान द्वारा निम्न बातें प्रगट हुई हैं:
- आकर्षक शीर्षक काफी सारे पाठकों को आकर्षित करता है.
- जनोपयोगी एवं विश्वसनीय सामग्री काफी सारे पाठकों को आकर्षित करती है.
- यदि शीर्षक लगातार आकर्षक हों लेकिन यदि चिट्ठे की सामग्री यदि जनोपयोगी एवं विश्वसनीय न हो तो कुछ समय के पश्चात एक से एक आकर्षक शीर्षक के बावजूद लोग उस चिट्ठे पर नहीं फटकते.
- यदि शीर्षक आकर्षक न हो लेकिन यदि चिट्ठे के आलेख जनोपयोगी एवं विश्वसनीय हो तो उसको एक "कोर रीडरशिप" मिल जाती है जो बढती ही जाती है.
- कुल मिला कर कहा जाये तो आकर्षक शीर्षक नये पाठकों को ले आता है, लेकिन उनको "कोर रीडरशिप" में बदलने के लिये चिट्ठे पर आकर्षक, जनोपयोगी, एवं विश्वसनीय सामग्री होनी चाहिये.
सारांश: अपने शीर्षक को आकर्षक रखें. लेकिन अपने चिट्ठे पर उपयोगी सामग्री प्रदान करे जिससे कि जो लोग शीर्षक के कारण खिचे चले आये हैं वे कहीं वापस न खिच जायें.
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यह सही है “कि सिर्फ एक अच्छा विषय पर्याप्त नहीं बल्कि प्रस्तुति भी जरूरी है.” आपके अनुसंधान से बहुत नया तो नहीं पर जो उल्लेखनीय था वो सामने आ गया. धन्यवाद .
आपका मार्गदर्शन मेरे लिए तो एक प्रेरणा है
अच्छा अध्ययन -नतीजे अनपेक्षित नही हैं !
मुझे कहा जाता है कि शीर्षक लंबा होता है। भाई, आकर्षक हो न हो पर जो माल आप डाल रहे हैं शीर्षक से उस का आभास तो हो कि क्या माल डाला जा रहा है।
शीर्षक और लेख दोनों की जुगलबंदी हो तो.. वाह! वाह!!
शास्त्री जी, बहुत उपयोगी जानकारी.. मैं भी अक्सर किसी पोस्ट को पढ़ने या नहीं पढ़ने का फैसला शीर्षक देखकर ही करता हूं..
कुल मिला कर कहा जाये तो आकर्षक शीर्षक नये पाठकों को ले आता है, लेकिन उनको “कोर रीडरशिप” में बदलने के लिये चिट्ठे पर आकर्षक, जनोपयोगी, एवं विश्वसनीय सामग्री होनी चाहिये.
बड़ी सटीक बात कही है आपने ! और नतीजे भी इसी की तरफ़ इंगित कर रहे हैं ! बहुत शुभकामनाएं !
कुल मिला कर कहा जाये तो आकर्षक शीर्षक नये पाठकों को ले आता है, लेकिन उनको “कोर रीडरशिप” में बदलने के लिये चिट्ठे पर आकर्षक, जनोपयोगी, एवं विश्वसनीय सामग्री होनी चाहिये.
” well explained in so simple words and how important and useful, we even dont give a thought to it….. thanks for such knowledgable material..”
Regards
सही कहा आपने। शीर्षक की रोचकता के साथ सामग्री की विश्वसनीयता भी पाठकों को बनाये रखने में सहायक होती है।
बढिया जानकारी है।अभार।
आप मेरे ब्लॉग पर आए, अच्छा लगा; और कहा- चिट्ठे की विषयवस्तु बहुत अच्छी है!!और भी अच्छा लगा . समझता तो सच में मैं बहुत कम हूँ. शास्त्रार्थ करते करते समझने लगूंगा.
हाँ, अज्ञात की टिप्पणी और’हिन्दी की नायाब टिप्पणियां’ नामक ब्लॉग में इसकी उपस्थिति चिंतन को तो विवश करती ही है .आपने कहा है, “इस अज्ञात व्यक्ति को इसे समझने में कुछ समय लगेगा.” पर मुझे लगता है ऐसे लोग सदैव नासमझ ही रहते हैं.
शीर्षक का बाद में सामग्री का महत्त्व तो है ही. शीर्षक विज्ञापन की भूमिका निभाते हैं. मगर चलेगा वही जिसमें दम होगा.
सही चिंतन 🙂
हम न शीर्षक देखते हैं न सामग्री।
हम ने कुछ लोगों को चुन लिया।
उनके ब्लॉग पढ़ता हूँ और कभी कभी टिप्पणी कर लेता हूँ।
मैं जानता हूँ कि मेरे चुने हुए चिट्ठाकार सर्वश्रेष्ठ नहीं हैं।
हर समय अच्छा नहीं लिख पाते।
फ़िर भी उनको पढ़ने निकलता हूँ।
फ़िल्में देखने के लिए भी यही नीति अपनाता हूँ।
मेरे कुछ चुने हुए निर्देशक/अभिनेता/अभिनेत्री हैं।
केवल उनकी फ़िल्में देखता हूँ।
मैं जानता हूँ कि मेरे चुने हुए सितारे सर्वश्रेष्ठ नहीं हैं और मुझे इसकी पर्वाह नहीं है।
उनकी फ़िल्में कभी अच्छी लगती हैं, और कभी नहीं।
टीवी के लिए भी यही नीति है मेरी।
लिखते रहिए, आपका नाम मैंने चुन लिया।
शुभकामानाएं
@G Vishwanath
आभार आप जैसे पाठकों का,
जो बनाते हैं चिट्ठाजगत को,
एक आनंद धाम.
क्या करते हम चिट्ठाकार,
यदि न होते इस तरह
देने वाले प्रोत्साहन.
वर दे हे विश्वनाथ ऐसा,
कि पैदा हो जायें सौ ऐसे “विश्वनाथ”
हर नये चिट्ठे के साथ साथ !!
यह “कोर रीडरशिप” का शब्द पसन्द आया!
कोर ही स्कोर का मूल है।
@ज्ञानदत्त जी
आपने नोट कर लिया होगा कि विश्वनाथ जी जैसे लोग
सबसे बडे “कोर पाठक” हैं क्योंकि उनका चुनाव व्यक्ति-आधारित
है. जिस चिट्ठाकार को उन जैसे पाठक मिलते हैं
उनकी तो लाटरी खुल जाती है.
चिट्ठे पर आकर्षक, जनोपयोगी, एवं विश्वसनीय सामग्री होनी चाहिये.bilkul sahi–aur rochakta bhi ek gun hai..
“कोर रीडरशिप” wali baat bahut sateek jaan padi hai.
यह सही है “कि सिर्फ एक अच्छा विषय पर्याप्त नहीं बल्कि प्रस्तुति भी जरूरी है.”
सही कहा सर आपने…यूं तो अभी नया-नवेला पंथी हूँ इस ब्लौग-पथ का और आप के तमाम लेखॊं को खूब मह्सूस कर रहा हूँ…..
साधारणतया मुझे कोई ब्लागर टैंम्पलेट पसंद नहीं आता पर इस बार बहुत महीनों की लंबी तलाश के बाद एक ब्लागर टैंम्पलेट मुझे पसंद आया था. जिसे मैंने अपने ब्लाग गिरधर पे प्रयोग किया परंतु जबसे मैंने इसे प्रयोग किया तबसे विजिटर्स की संख्या बहुत ही कम रह गई है। और एडसेंस की कमाई तो शून्य पे आ गई है। हालांकि मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूँ कि मेरे ब्लाग पर उपलब्ध पाठ्य सामग्री अच्छी किस्म की जानकारीवर्धक हो।
मेरा पहले वाला ब्लागर टैंम्पलेट आप मेरे दूसरे ब्लाग डाटावन मेड इजी पे देख सकते हैं। मैंने टैंम्पलेट ये सोचकर बदला था कि अधिकांश प्रोफैशनल ब्लागस के टैंम्पलेट की बैकग्राऊंड सफेद है।
अब मैं ये सुझाव चाहता हूं कि दोनों में से कौन सा टैंम्पलेट अच्छा है जिसे मैं गिरधर पे प्रयोग करूं। साथ ही विजिटर्स की संख्या कैसे बढाई जाए।
ये भी बताएं कि किसी वर्डप्रैस थीम को ब्लागर टैंम्पलेट में बदलने के लिए कोई साफ्टवेयर या कोई व्यक्ति मदद कर साकता है क्या?
साधारणतया मुझे कोई ब्लागर टैंम्पलेट पसंद नहीं आता पर इस बार बहुत महीनों की लंबी तलाश के बाद एक ब्लागर टैंम्पलेट मुझे पसंद आया था. जिसे मैंने अपने ब्लाग http://www.girdher.com पे प्रयोग किया परंतु जबसे मैंने इसे प्रयोग किया तबसे विजिटर्स की संख्या बहुत ही कम रह गई है। और एडसेंस की कमाई तो शून्य पे आ गई है। हालांकि मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूँ कि मेरे ब्लाग पर उपलब्ध पाठ्य सामग्री अच्छी किस्म की जानकारीवर्धक हो।
मेरा पहले वाला ब्लागर टैंम्पलेट आप मेरे दूसरे ब्लाग http://www.dataone.girdher.com पे देख सकते हैं। मैंने टैंम्पलेट ये सोचकर बदला था कि अधिकांश प्रोफैशनल ब्लागस के टैंम्पलेट की बैकग्राऊंड सफेद है।
अब मैं ये सुझाव चाहता हूं कि दोनों में से कौन सा टैंम्पलेट अच्छा है जिसे मैं गिरधर पे प्रयोग करूं। साथ ही विजिटर्स की संख्या कैसे बढाई जाए।
ये भी बताएं कि किसी वर्डप्रैस थीम को ब्लागर टैंम्पलेट में बदलने के लिए कोई साफ्टवेयर या कोई व्यक्ति मदद कर साकता है क्या?
@सुशील गिरधर
मैं ने आप के प्रश्न का उत्तर विस्तार से आपके चिट्ठे पर दे दिया है. देख लें!!
कल नेट नही चल रहा था इस लिये मुझे टिप्पणी में देरी हो गयी कुछ इसी प्रकार की मेरी भी एक पोस्ट ड्राफ़्ट की हुइ रखी है आज प्रकाशिट करूगां । मुझ जैसे, पता नही कितनों की मदद आप ऐसी बातों के द्वारा कर रहे है। कोटी कोटी अभार ।
अभी १३ नवम्बर को गूगल ने भी नए चिट्ठाकारों के लिए एक ई-पुस्तक निकली है जिसमे लेख के शीर्षक को आकर्षक बनने पर ज़ोर दिया गया है . इसके अलावा भी ई-पुस्तक में काफ़ी लाभकारी और उपयोगी जानकारी दी गई है. आपके इस लेख से भी नए चिट्ठाकारों को काफ़ी लाभ होगा धन्यवाद शास्त्री जी..