चिट्ठाजगत में कई अनावश्यक चीजों को जो वजन दिया जाता है उसे देख मेरे एकदो चिट्ठामित्रों ने मुझे ईपत्र भेजा कि चिट्ठाकारी तो हर तरह से कुंठित लोगों के लिये है जो बेवकूफी, नुक्ताचीनी, झूठ बोलना अदि के अलावा कुछ नहीं कर सकते.
यह सही है कि ये सारी बातें चिट्ठाजगत में दिखती हैं, लेकिन सिर्फ 1% से कम चिट्ठाकार ये काम करते हैं. अत: सारे चिट्ठाजगत को इस आईने से देखना सही नहीं है. गलत किस्म के लोग किस समाज या संस्था में नहीं हैं, लेकिन उसके कारण हम सारे समाज को या संस्था को गलत नहीं कहते.
हिन्दी चिट्ठाजगत में कम से कम निम्न किस्म के चिट्ठाकार हैं:
- ऐसे लोग जो अपने मन की अभिव्यक्ति अन्य लोगों के समक्ष रखने के लिये शौकिया लिखते हैं.
- ऐसे लोग जो अच्छे लेखक हैं और अपने लेख बिना किसी संपादक के रोकटोक के दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं.
- ऐसे लोग जो लेखन द्वारा समाज, साहित्य, विज्ञान या किसी अन्य क्षेत्र की सेवा करना चाहते हैं या इन क्षेत्रों में योगदान देना चाहते हैं.
- ऐसे लोग जो समाज के एक या अधिक क्षेत्रों में कोई परिवर्तन देखना चाहते हैं एवं जो इस बात को पहचानते हैं कि कलम (कीबोर्ड) तलवार से अधिक शक्तिशाली होता है.
- ऐसे लोग जो अपनी कुंठा को प्रगट करने के लिये चिट्ठालेखन की स्वतंत्रता को अराजकत्व में बदल देते हैं.
चिट्ठाजगत के 90 से 99 प्रतिशत लोग 1 से 4 तक के कारण लिखते हैं. (सारथी 3 एवं 4 के कारण लिखा जाता है). सिर्फ 5 के अंतर्गत आने वाले 1% वाहियात लोग हैं जो अनर्गल लिखते है. इन लोगों को नजरअंदाज करना ही बेहतर है. आप किसी सडक पर निकलते हैं तो सडकछाप कुत्ते भौकते हैं. लेकिन इस कारण आप सडक पर निकलना बंद नहीं करते, न ही सडक पर चलने वाले हरेक को सडकछाप की उपाधि देते हैं.
चिट्ठाजगत को भी इसी स्वस्थ एवं संतुलित नजरिये से देखना जरूरी है.
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Article Bank | Net Income | About India । Indian Coins | Physics Made Simple
“(सारथी 4 एवं 5 के कारण लिखा जाता है).”
कृपया ‘सारथी’ को ५ वी श्रेणी से निकालिए. ऐसा कैसे लिख सकते हैं आप ? मुक्त प्रशंसक हूँ, इतना बड़ा ‘धक्का’ न दीजिये. कहीं शीघ्रता में आने का कोई केमिकल लोचा तो नहीं – सारथी को ५ वीं श्रेणी में डालना.
ध्यान दे .
सटीक अवलोकन!!
पहली टिप्पणी से सहमत। नं.५ वालों को मैं भी पहचानने लगा हूँ। कृपया यह संशोधन करें तभी मैं सही का निशान लगाउंगा। 🙂
सारथी -५ में -? बात कुछ हजम नही हुयी -शायद आप कुछ और कहना चाहते हैं ! संभवतः कटेगरी ५ की प्रतिक्रया में सारथी का सतत संधान ! क्यों ?
कुछ चिट्ठे न तो तीन में हैं न तेरह में ! जैसे विज्ञान विषयक चिट्ठे !
यदि चिट्ठाकार बेवकूफ़ हैं तो हम टिप्पणीकार उससे भी बड़े बेवकूफ़ हैं।
लेकिन यह बेवकूफ़ी का मजा हमारे लिए और कहाँ?
दुनिया वालों की परवाह न करके, लिखते रहिए।
आपका “Co-बेवकूफ़”
जी विश्वनाथ
बहुत सही काम कर रहे हैं आप, वर्गीकरण कर के। ये बाद में जब कभी चिट्ठाकारी पर काम होने लगेगा तो आधार बनेंगे।
आपको कोई हक़ नहीं मेरे चिट्ठे “सारथी ” का अपमान करने का. आप को बस लिखने का हक है, ज्यादा चपड-चूँ करने का नहीं. 😉
पाँचवीं कैटेगरी से तुंरत बाहर निकालिए.
3 और 4 के बदले गलती से 4 और 5 छप गया था.
गलती सुधार दी गई है !!
” बहुत सही अवलोकन किया है आपने, और मुझे लगता है, नम्बर 5 पर आने वाले अगेर कोई भी हैं तो उन्हें भी आपका ये आलेख 1-4 मे जाने मे जरुर मदद करेगा और रास्ता देखायेगा ….”
Regards
अच्छा किया जो सुधार दिया वरना
मेरे चिट्ठे का अपमान,
नहीं सहेगा हिन्दुस्तान.
यही नारा लगाते हुए मेरे 10-20 फैन आपके दरवाजे को हिला रहे होते. 🙂
बहुत सटीक अवलोकन किया आपने ! अगर कुछ विघ्नसंतोषी ना हो तो संतोष का मजा ही क्या ? और बिना नमक की रोटी भी फीकी लगती है ! 🙂 रामराम !
😀
ek galti bahut bhari par sakti hai.. 🙂
शीर्षक से तो डरा ही दिया था शास्त्रीजी आपने।आप जैसे लोग ऐसी बातो की परवाह करने लगे तो हम जैसे लोगो का क्या होगा?
बहुत ही सही वर्गीकरण किया है.
की बोर्ड की ताकत भी बढ़ रही है और अराजकत्व भी! टग-ऑफ वार है; देखें क्या जीतता है।
@E-Guru Rajeev
अरे भईया, हम तो सुबह आपकी टिप्पणी देख के बुरी तरह से हिल गये थे. कलेजा मूँह को आ गया था.
चीजों का विश्लेषित करने का गुण अच्छा होता है, पर यह बहुत कम लोगों को पया जाता है। आपमें यह गुण कूट कूट कर भरा हुआ है। मैं आपके इस गुण को सलाम करता हूं।
कहने वाले कितने इंटेलिजेंट है जी ?!
बढिया विश्लेषण – पढकर सांत्वना मिली कि केवल एक प्रतिशत ही कुंठाग्रस्त हैं। आशा है हम उस माइनारेटी में नहीं हैं जी!!
शास्त्रीजी,
आप बहुत ही दुरदर्शी लगते है। भारत मे ६४ कलाओ का वर्णन मिलता है; पर आपकी इस कला को मै ६५ वी कला कहु तो बुरा नही लगाना। बेचारे चिट्ठाजगत कि महान विभुतिओ को १ से ५ कि गनती मे उलाझा दिया है आपने। सभी महानुभव एक से चार मे रहने कि कोशिश मे यह भुल गये कि शास्त्रीजी लोगो का मन ट्टोल रहे है। 5 के अंतर्गत आने वाले 1% लोगो मे शास्त्री ने अपनी उपस्थिति को निकालकर शायद ठीक ही किया, किन्तु वो 5 कि रिक्त पडी जगह अब सबको परेशान करेगी।
आपने एक बार फिर साबित कर दिया “सारथी जे सी फिलिप” इज ग्रेट॥॥ आपकी इस नम्बरो कि उलझन वाली कृति के लिये शुक्रिया।
पर बेचारा 5 पॉच नम्बर इन्तजार कर रहा है कोई तो हिम्म्त करे उसकि बिरादरी का हिस्सा बने, तकदीर से तो शास्त्रीजी आये थे और उनको भी लोग खिच ले गये। इस हिम्मत के लिये महावीर का आपको सलाम॥॥। शास्त्रीजी मे आज एक और गुण देखा “विचारो कि विवेचना” मे स्वय॑ कि आहुति देना। ऐसे लेखक मेने कम देखे। मेने जिसे आदर्श माना वो मेरा निर्णय आज फिर सही साबित हुआ।
क्षमा करे गलती के लिये।
सर कोई रिसर्च का क्षेत्र छोड़ियेगा भी कि नहीं?
जितना आपको पढ़ता हूँ,उतना ही आपका और-और प्रशंसक बनता जा रहा हूँ…
बढिया विश्लेषण | ५ वीं केटेगरी के भी कुछ चिट्ठे है पहचान होने के बाद उन पर जाना ही छोड़ दिया उम्मीद है आपका यह लेख पढ़कर वे भी 1 से ४ श्रेणी में आने की कोशिश करेंगे |