तीन हीरे — अनुनाद जी के खजाने से!!

अनुनाद जी का चिट्ठा हर हिन्दी एवं हिन्दुस्तान प्रेमी के लिये एक नियमित पडाव होना चाहिये. उनके चिट्ठे से तीन हीरे मैं आपके समक्ष रखना चाहता हूँ. उम्मीद है कि आप उनके चिट्ठे को बुकमार्क कर लेंगे.

हीरा 1: हिन्दी सशक्तिकरण के सरल सूत्र  हिन्दी दिवस पर हिन्दी के बारे में लोगों के विचार पढ़कर लोगों की हिन्दी से घनिष्ट सम्बन्ध साफ-साफ़ दिख रहा है। मैं भी इस अवसर पर कुछ कहना चाहूँगा:  इतिहास से सीखा है की उतार-चढाव होते रहते हैं ; आशा रखो, कर्मरत रहो, धीरज रखो । स्थिति बदल कर रहेगी; भारत हिन्दीमय होकर रहेगा। (शेष लेख पढें …)

हीरा 2: हिन्दी और स्वभाषा पर विचारोत्तेजक लेख भारत के मैकाले-पूजकों ने हिन्दी , राजभाषा , मातृभाषा आदि के बारे में तरह-तरह की भ्रांतियां फैला दी हैं . इससे आम जनता के मानस पटल पर इनके महत्व की विराट छवि बनने ही नहीं पाती। इसी का परिणाम है कि राजनैतिक रूप से ‘स्वतंत्र’ होने के बावजूद भी किसी को यह स्पष्ट ही नहीं है कि स्व-तंत्र होता क्या है और इसका क्या महत्व है? इसस भ्रान्ति से उपजे भटकाव के सहारे भारत में गुलाम मानसिकता से ग्रस्त एक अत्यंत छोटा सा समूह अपने साथ अन्य लोगों को भी गुलाम ने रहने को विवश किए हुए है। (शेष लेख पढें …)

हीरा 3: अंतरजाल से बिना जुड़े ही विकिपीडिया की सुविधा  जी हाँ, विकिपीडिया के अपार ज्ञान के भंडार से अब आफलाइन रहकर भी ज्ञानार्जन किया जा सकता है। भारत में इंटरनेट की स्थिति को देखते हुए भारत के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है।
केवल अंग्रेजी ही नहीं बल्कि सभी भाषाओं की विकिपीडिया और उसके बंधु प्रकल्पों का सारा ज्ञान विविध प्रारूपों मेंउपलब्ध है जिसे नि:शुल्क उतारकर उपयोग किया जा सकता है। (
शेष लेख पढें …)

अनुनाद जी ने कई बार अपने चिट्ठे के लेखों के पुनर्प्रकाशन की अनुमति सारथी को दी है, लेकिन आज मेरा लक्ष्य आपको उनके चिट्ठे पर ले जाना है अत: आपको सिर्फ हीरों की झलक मात्र दिखा दी है. अब यदि उसे हासिल नहीं करते एवं उनके चिट्ठे को बुकमार्क नहीं करते तो नुकसान आप का ही है!!

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Author: Super_Admin

9 thoughts on “तीन हीरे — अनुनाद जी के खजाने से!!

  1. मैंने अनुनाद जी के चिट्ठे को बुकमार्क भी कर लिया है और कुछ अमूल्य हीरे चुरा भी लिए हैं .
    इतने अच्छे सन्दर्भ के लिए धन्यवाद.

  2. अत: आपको सिर्फ हीरों की झलक मात्र दिखा दी है.
    ” सच मे जिन हीरों की झलक मात्र इतनी खुबसुरत है, तो उनके साक्षात् रूप की चमक का अंदाजा लगाना मुश्किल नही है.. हमने भी बुकमार्क कर लिया है और इरादा भी नेक है …यहाँ तक मार्गदर्शन करने के लिए आपके आभारी हैं ”
    Regards

  3. इसी सन्दर्भ में एक छोटा सा पोस्ट हमने बना रखा था परंतु कल की घटनाओने हमें हताश कर दिया. आने वाले दिनो में हमारे ब्लॉग पर उसे आपके पोस्ट से संयोजन के साथ प्रस्तुत करेंगे.

  4. शास्त्रीजी, यह आपने क्या किया?
    तीन हीरों का लालच देकर, हमें एक और ब्लॉग साईट पर फ़ँसा दिया? विकिपीडिया पर उनकी दी गई जानकारी बहुत ही उपयोगी है।
    सोच रहा हूँ कि विकिपीडिया को उतारकर एक पेन ड्राईव में कॉपी करके उसे अपने पास रख लूँ। अब बिना अंतरजाल के हम विकिपीडिया का लाभ अपना “अति-सुवाह्य गोदी-बिठाउ संगणक” (ultra portable laptop computer) पर उठा सकेंगे।

    अब रोज एक और ब्लॉग साइट चेक करने का निश्चय कर लिया है मैंने।

    लगता है यह वही अनुनादजी हैं जिनके नाम से मैं एक हिन्दी फ़ोरम में परिचित हुआ था। (अनुनादजी, क्या इसकी पुष्टी कर सकेंगे?)
    इन्होंने उस फ़ोरम में मेरा जोरदार स्वागत किया था और उनकी चिट्ठी मुझे आज भी याद है। अनुनादजी शायद इस फ़ोरम के पुराने और वरिष्ट सदस्य हैं और यदा कदा इस फ़ोरम पर उनके पोस्ट छपते हैं।

    मुझे पता नहीं था कि अनुनादजी ब्लॉग भी लिखते हैं।
    उनके इन लेखों के बारे में बताने के लिए आपका आभारी हूँ।
    शुभकामनाएं

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