रोजगार

क्षण भर में
नेता जी ने
कर दिया हल
सारी बेरोजगारी का,
यह कह कर कि
"क्यों रोते हैं
ये बेरोजगार.
अरे बेरोजगारी ही तो,
उनका है रोजगार.
अत: कैसे हुए वे बेरोजगार"

दर्शक कायल हो गये,
अपने नायक के सामर्थ की.
लेकिन मजा बिगाड दिया
एक बेरोजगार ने
जब आगे बढ कर
पूछा उसने कि,
"इतना आसान रोगगार है यह
तो क्यों नही सुझाते आप
पहले अपने बच्चों को यह हल".

 

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Author: Super_Admin

8 thoughts on “रोजगार

  1. ये क्या धोखाधड़ी है शास्त्री जी. सोचा सोचा रोजगार का कोई नुख्सा रहे हैं इसलिए सब काम छोड़कर भाग आया. यहां आने पर कविता पढ़वा दी आपने.
    खैर, चलते हैं.

  2. बहुत सही व्यंग्य और साथ ही सच कहने का सामर्थ्य…सही मुंह्तोड़ जवाब आज कल के मीठी छुरी वाले दोमुंहे नेताओं को…

  3. हाँ नेताओँ के बच्चे बेरोज़गार और भूखे रहेँगे तभी पता चलेगा उन्हें इसका दर्द .

  4. कविताये समझना अपने बस की बात नही है ,नेताजी का मकसद एक ही होता है लोगो की आंख मे धूल झोंकना ।

  5. “इतना आसान रोगगार है यह
    तो क्यों नही सुझाते आप
    पहले अपने बच्चों को यह हल”.

    नेता जी ने आगे कहा
    “यह आसान रोजगार
    देशवासियों के लिए है .
    कठिन रोजगार हमने
    अपने बच्चों के लिए रख छोड़ा है ,
    आख़िर हम है जनता के सेवक
    फ़िर कैसे छोड़ सकते है कोई कठिन काम
    जनता के लिए .

  6. कहना भूल गया, पोस्ट पढ़कर बड़ा मजा आया. हम जैसे बच्चे ऐसे ही सीख जाते है . धन्यवाद.

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