सुब्रमनियन जी और मैं !!

PNSubramanian मार्च 2008 में मैं ने अपने एतिहासिक अनुसंधानों में भारतीय सिक्कों को भी जोड दिया. (तब तक यह अनुसंधान किलों, इमारतों एवं मंदिरों तक सीमित था). मुश्किल से चार महीने बीते होंगे कि जाल पर एक सज्जन से मेरी “मुलाकात” हुई.

पहली मुलाकात, पहले प्रेम के समान, कई पत्रों के रूप में आगे बढी. पता चला कि मल्हार के छोटे से राज्य के सिक्कों को ढूढने में इन सज्जन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मैं ने “छोटे” पर इसलिये जोर दिया कि कोई प्राचीन राज्य जितना छोटा होता था उसके सिक्के ढूढने में उतनी ही कठिनाई होती थी क्योंकि ऐसे राज्यों के अधिकतर सिक्के अतीत के साथ मिट्टीपानी में विलीन हो जाते हैं. मेरा अनुमान है कि हिन्दी चिट्ठाजगत में इस तरह की अपूर्व खोज और किसी ने नहीं की है.

कई दिन ऐसे निकले जब एक दिन में पांच या छ: पत्रों का आदान प्रदान हुआ. पता चला कि वे एक बैंक अफसर थे जो मध्य प्रदेश में कई जगह नौकरी कर चुके हैं. अब भोपाल में रिटायर्ड जीवन बिता रहे हैं. सुन कर अच्छा लगा, तभी उनका एक आलेख आ गया सारथी पर छापने के लिये. इसे मैं ने और पाठकों ने बहुत पसंद किया. उसके बाद सुब्रमनियन जी ने और कई आलेखों द्वारा सारथी को अनुगहीत किया जिसके लिये मैं उनका आभारी हूँ.

चूंकि प्राचीन मल्हार राज्य के खोजे गये सिक्कों में से अधिकतर सुब्रमनियन जी के पास हैं अत: पिछले दिनों मैं ने उन से अनुरोध किया कि इन सिक्कों के उच्च गुणवत्ता के छायाचित्र लेकर इन पर ईपुस्तक तयार की जाये और वितरित किया जाए तो वे तुरंत तय्यार हो गये. उम्मीद है कि सन 2009 में ये ईपुस्तकें हिन्दी और अंग्रेजी में तय्यार हो जायेंगी. मैं उनका सह-लेखक हूँगा, अत: उनको खूब परेशान करता रहता हूँ. अत: आजकल वे अपनी पुरानी पोटलियों को तलाश रहे हैं कि सालों पहले लिखे गये नोट्स किसी तरह निकल आयें.

सुब्रमनियन जी की कई एतिहासिक विषयों पर अच्छी पकड है. उनके दोनों चिट्ठों पर यह बात साफ दिखाई देती है. कृपया आप भी एक बार उन चिट्ठों पर भ्रमण करे तो “एक बार जायगा तो बारबार जायगा” का मर्म समझ में आ जायगा. उनका हिन्दी चिट्ठा आप मल्हार पर एवं अंग्रेजी चिट्ठा Malhar पर देख सकते हैं. जम कर टिपियायें और नियमित रूप से लिखते रहने के लिये दबाव डालें जिससे उनका ज्ञान समाज को व्यापक तौर पर मिल सके.

पिछले 6 महीनों में मुझे उन से जो मदद, जानकारी और प्रेरणा मिली है उसके लिये मैं सबके समक्ष उनको अपना आभार जताना चाहता हूँ. प्रभु करे कि इस राह पर हरेक इस तरह के ज्ञानी एवं स्नेही  पथिक मिलें!

 

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Author: Super_Admin

16 thoughts on “सुब्रमनियन जी और मैं !!

  1. मल्हार तो नियमित पढ़ता हूँ रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी मिलती है!

  2. अच्छा लगा पढ़ कर — हमें इस पुस्तक का बहुत बेसब्री से इंतज़ार रहेगा। और सुब्ह्मणयम् जी के बारे में जान कर बहुत ही प्रसन्नता हुई — प्रभु से प्रार्थना है कि उन्हें जल्द ही अपनी पोटलियों में से वह सब कुछ मिल जाए जिसे वह ढूंढ रहे हैं !!

  3. सुब्रमन्यन जी अब मेरे भी प्रिय ब्लॉगर हैं इनके चिट्ठों में गहराई और गंभीरता होती है ! आभार !

  4. सुब्ह्मणयम् जी के ब्लॉग को नियमित पढा और समझा है और रोचक भी लगता है , कितनी ही ऐतिहासिक जानकारियां मिलती हैं इनके ब्लॉग पर…. इस पुस्तक का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा। सुब्ह्मणयम् जी की अन्य योग्यताओं और इनके द्वारा संग्रहित खजाने से अवगत कराने का आभार ….
    regards

  5. मैं भी मल्हार का नियमित पाठक हूँ………काफ़ी अच्छी बातें जानने को मिलती है वहां……….

  6. सुब्रम्णयम साहब से ईमेल से मैं भी संपर्क में आया. बहुत दिलचस्प व्यक्तित्व है. मेरी शुभकामनाऐं.

  7. शास्त्री जी नमस्कार,
    सुब्रमनियम जी को मैं भी नियमित पढता हूँ. बड़े ही काम की जानकारी मिलती है वहां पर.

  8. सुब्रमनियन जी, चिट्ठीयों में काफी टिप्पणियां करते है। यह हिन्दी चिट्ठाजगत के लिये अच्छा है। लोग इससे प्रोत्साहित होते हैं।

  9. आदरणीय शास्त्री जी, आपकी सुब्रणियम साहब से यह मुलाक़ात बेहतरीन काम को अन्जाम दे, इसी दुआ के साथ.

  10. आपने बहुत ज्ञानी व्यक्तितव से परिचय कराया. उनके आलेख तो उच्च कोटि के होते ही हैं पर मुझे उनकी मेल और व्यवहार से वो बहुत शालीन और गरिमामय लगते हैं, उनका व्यक्तित्व और लेखन दोनो प्रतिभाशाली हैं.

    रामराम.

  11. दोनों महारथियों को मेरा प्रणाम. आप दोनों ही हमें प्रेरणा देते हैं. आप दोनों का साहचर्य निश्चय ही चिट्ठाजगत को समृद्ध करेगा.

  12. सुब्रमनियन जी के ब्लॉग को मैने सब्स्क्राइब कर रहा है और उसके स्तर से मैं बहुत प्रभावित हूं।

  13. शास्त्री जी आप व सुब्रह्मणियम जी हिन्दी ब्लोग जगत से जुडे हैँ वह एक अच्छी घटना है उनका ब्लोग मल्हार भी देखती रहती हूँ आप दोनोँ
    लिखते रहीयेगा शुभकामना सहित
    स स्नेह,
    लावण्या

  14. पढ़कर अच्छा लगा।
    सुब्रमनियनजी से पहले ही संपर्क कर चुका हूँ।
    फोन पर बात भी हुई है।
    आशा करता हूँ कि किसी दिन आप दोनों से भेंट हो जाएगी
    शुभकामनाएं।

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