स्वाद की अधिकतम विविधता भारतीय भोजन की एक विशेषता है. यदि आप ने पश्चिमी और यूरोपीय देशों का खाना खाया हो तो आप एकदम समझ जायेंगे कि मैं क्या कहना चाहता हूँ. इस कारण भारतीयों को उनका भोजन एकदम “सपाट” लगता है जबकि उनको भारतीय भोजन एकदम कठिन (पथरीली/पहाडी भूमि पर नंगे पैर मेराथन दौडने के समान) लगता है.
खटाई भारतीय भोजन का एक महत्वपूर्ण घटक है. चटनी में तो खटाई जरूरी है, लेकिन कई प्रकार के सलाद और सब्जियों में भी खटाई पडती है. दक्षिण में तो तमाम तरह की खटाई-प्रधान सब्जियां बनती हैं.
नीबू, अमचूर और इमली खटाई के प्रधान वाहक हैं, लेकिन हिन्दुस्तान में और भी कई फल हैं जो इस कार्य के लिये प्रयोग में लाये जाते हैं. उत्तरभारत की कैंथ तो अब बहुत कम दिखती है, लेकिन उम्मीद है कि कुछ लोग लुप्त होते कैंथ का पुनर्वास जरूर करेंगे.
नीबू, कैरी और इमली के अलावा दक्षिण में खटाई के लिये कई और भी फल उपलब्ध हैं. इन में से एक को आप बगल के चित्र में देख सकते हैं. केरल में यह एक बहुत आम चीज है. इसका पौधा कहीं भी लगाया जा सकता है और एक तने का यह पेड छोटे से जामफल के पेड से छोटा होता है. पौध को लगाने के दो साल के अंदर फल देने लगता है. एक पेड पांच से दस परिवारों की जरूरत की पूर्ति कर सकता है.
इसका फल तने पर नीचे से ऊपर तक पैदा होता है, एवं इसको खटाई के रूप में, अचार, चटनी, सलाद एवं सुखा कर खटाई एवं अचार के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है. मेरा अनुमान है कि छत्तीसगढ, उडीसा, आदि में इसकी खेती आराम से की जा सकती है (यदि यह वहां उपलब्ध न हो तो).
इसके कई औषध गुण बताये जाते हैं, जैसे शरीर की चर्बी को कम करना. यह सिर्फ सुनी सुनाई बात है और मुझे इससे अधिक कुछ नहीं मालूम. हां जब जब मौका मिलता है तो इसके छोटे छोटे से फल (खट्टे) जम कर खाता हूँ क्योंकि चर्बी कम हो जाये तो अच्छी बात है, लेकिन कम न हो तो भी गारंटी है कि कम से कम वह बढेगी नहीं!!
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यह फ़ल तो मैंने देखा ही नहीं था, इस चित्र के पहले.
अगर यह खट्टा है, तो मै जरूर इसे चखना चाहूंगा.
धन्यवाद, जानकारी के लिये.
बहुत अच्छी जानकारी ! इस खट्टे फल वाले पोधे का नाम भी बता देते तो ज्ञानवर्धन और भी अच्छा हो जाता !
@रतन सिंह
हिन्दी में इसके नाम की मुझे जानकारी नहीं है. मलयालम में इसे चीमा-पुली या इरुंबुपुलि कहा जाता है.
यह Tamarindus वनस्पति-परिवार का फल है किंतु विस्तार से जानने की इच्छा है,गुरुदेव आपने क्या किसी मलयालम निघण्टु में इस संदर्भ में देखा है? इसमें अंदर कई बीज होते हैं या एक ही बीज होता है? क्या बीज एक दलीय होता है या द्विदलीय? कौतूहल है…..
सादर
रूपेश
शास्त्री जी, नमस्कार.
केरल के इस खट्टे फल को तो मैंने पहली बार देखा है. उत्तर भारत में खटाई के तौर पर मुख्य रूप से कच्चे आम का इस्तेमाल होता है. जून-जुलाई में कच्चे आमों को तोड़कर उन्हें काटकर, सुखाकर अचार बनाया जाता है. यह पूरे साल काम आता है.
“इस फल को पहली बार देखा, क्या नाम है इसका….केरल के इलावा और कहीं नही होता क्या ”
Regards
इस इरुम्बुपुलि को देख-पढ़ कर ही मुंह में इमली की खटास वाला पानी आ गया।
आप पौधे का नाम पता ही देना भूल गए? या यह कोई पहेली है?
बहुत अच्छी जानकारी के लिए धन्यबाद !!!!
इस प्रकार के फल की जानकारी तो थी क्योंकि केरल वाले सूखी बदबूदार समुद्री मछलियों की सब्ज़ी में इसी का प्रयोग करते है. लेकिन फलों को प्रत्यक्ष (चित्र में ही सही) देखा नहीं था. आभार.
इसके कई औषध गुण बताये जाते हैं, जैसे शरीर की चर्बी को कम करना. यह सिर्फ सुनी सुनाई बात है और मुझे इससे अधिक कुछ नहीं मालूम.
अगर नाम और ये पेड कहां मिलेगा, इसकी जानकारी मिल जाती तो कुछ चर्बी हम भी कम करके पुण्य कमा लेते. 🙂
आप बिल्कुल अलग हटके हरबार एक नायाब पोस्ट लाते हैं, आपको पढ़ना अच्छा लगता है!
—मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें
खटाई के अनेक रूप होते हैं -बढियां जानकारी !
यदि आप इस पौधे का नाम और इसका बीज कैसे मिल सकता है यह भी बता देते तो सोने में सुहागा हो जाता।