आज दो आलेख एक साथ दिखे: मेरे ब्लॉग कंटेंट को चुराने वाले का पता-ठिकाना मिला, अब क्या करुँ, आप बताइये और मेरी चोरी हुई ब्लॉग पोस्ट हटा ली गयी है.
यह एक विचित्र बात है कि हिन्दी के कई सक्रिय चिट्ठों ने — जिन पर कुल मिला कर हजारों आलेख हैं – अपने चिट्ठों पर बडे बडे अक्षरों में लिखा है कि उनके लेखों को कोई भी व्यक्त पुन: अपने चिट्ठे पर छाप सकता है. रवि रतलामी, उन्मुक्त, एवं मेरे चिट्ठे इस श्रेणी में आते हैं. लेकिन ताज्जुब की बात है कि कोई भी व्यक्ति एक अर्धविराम तक इन तीन चिट्ठों से नहीं उठाता लेकिन उन चिट्ठों से चोरी करते हैं जिन्होंने ऐसी अनुमति नहीं दी है. शायद चोरी का पानी जीवन के हर क्षेत्र में अधिक मीठा होता है.
गर्मी का मौसम आने दीजिये, पतंग कटने दीजिये और देखिये मजा. जिसकी औकात 1000 रुपये की है वह 5 रुपये की कटी पतंग के पीछे पागल हो जाता है. जामफल महज दस रुपये किलो होगा, लेकिन पडोसी के पेड के कच्चे जामफल तोडने की कोशिश हर कोई करता है.
हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे ईमानदार बनें, लेकिन स्टेशन पर प्लेटफारम का टिकट खरीदने से अचकचाते हैं. बच्चे की उमर गलत बता कर बस और रेलगाडी का टिकट कटवाते हैं. जो आदमी 10,000 रुपया प्रति माह कमाता है उसे प्लेटफारम के 3 रुपये और टिकट के 10 रुपये बचा कर ऐसा लगता है कि उसने आसमान पा लिया हो.
मेरे पडोसी के पास घर है, अच्छा खास पेंशन है, किराये का पैसा अलग आता है, लेकिन सडक पर किसी निर्माण के लिये बजरी पडी हो तो एक मुट्ठी उठा कर घर लाये बिन चैन नहीं पडता.
चोरी का पानी नश्वर मानव के लिये हमेशा मीठा रहा है. लेकिन जब उसका कडुवा फल दिखने लगता है तब तक बहुत देर हो गई होती है. जिनके जीवन में कोई आदर्श नहीं होता उनके बूढे हो जाने पर यह फल उनको अपने बच्चों, नातीपोतों से ही मिल जाता है. लेकिन तब इतिहास को फिर से लिखा नहीं जा सकता.
सही कहा आपने शास्त्री जी !
आप वर्जित फल की बात कर रहे हैं?
एक बुढ़िया बता रही थी कि पूजा के लिए भी चोरी के फूल अच्छे होते हैं.
शास्त्री जी, मेरा भी ब्लॉग उसी कैटेगरी का है जिसे चाहे जहाँ छापा जा सकता है। कोई रोक-टोक नहीं। अपने तो खुल्ले दरबार हैं। लेकिन जब कोई कंटेंन्ट अश्लील साइट पर छपे तो बिदकना स्वाभाविक है। मैं कत्तई नहीं चाहूँगा कि मेरी कोई रचना किसी अश्लील साइट पर छपे। बस इसलिये इतना कुछ लिखना पडा था मुझे और इसका सुफल भी मिला कि मेरी रचना वहाँ से हटा ली गई।
शायद आपने मेरी पिछली पोस्ट नहीं पढी हो जिसमें मेरी अभिलाषा है कि मैं खेतों में कौवों चिडियों को डराने वाले पुतले के तरह ही अपने ब्लॉग पर चेतावना पट्ट लिखूं – यहां छपा सब मेरा, मेरे बाद मेरी सात पुश्तों का और उनके बाद उनकी सात पुश्तों का 🙂
कभी कभी एसे वाकयों से अपनी लेखनी के विश्लेषण का भी मौका मिलता है। सो, उन कन्टेंट उठाउ बंधु को धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने मेरे कन्टेंट को उठाया और इतना उठाया कि पाबला जी ने गुगल की आँख से उन बंधु का लोकेशन तक ढूँढ लिया 🙂
फिलहाल तो पाबला जी को मैं ब्लॉग जगत के तोडू खाँ कहकर पुकारना पसंद करूँगा। उठाइगीरी वाले लोगों का लोकेशन जो तोड के रख दिये हैं। पाबला जी, मेरी ओर से बधाई स्वीकारें।
चोर कभी तो पकड़े ही जाते हैं और तब उन्की औकात उन्हें दिखा दी जाती है और चोर रचना तो चुरा लेता है लेकिन खयाल कैसे चुराएगा।
लेकिन मैं आपके इस ब्लॉग़ के ज़रिए चोरों को बददुआ देता हूँ
जहाँ तक ब्लॉग सामग्री चोरी का सवाल है, हमारे देश में इसे रोक पाना थोडा कठिन है. कानूनों की जानकारी कम है और सामान्य आचार संहिता का अभाव है. ज्यादातर आईपी एड्रेस अनाम हैं और प्रॉक्सी तथा राउटेड सर्वर्स की भरमार है. ऑफिस से इन्टरनेट का प्रयोग करने वाले तमाम लोग अमेरिका से रिडायरेक्ट होने वाले सर्वर्स प्रयोग करते हैं. कैसे पकडा जाये किसी को.. इस सब से कहीं आसान है की सभी को संयमित आचार संहिता पालन करने के लिए प्रेरित किया जाये जैसा की शास्त्री जी हमेशा कहते हैं और पहले से ब्लोगिंग में सक्रिय लोग नवागुन्तुको को अंतरजाल पर क्रिएटिव बनाने की जिम्मेदारी उठाएं.
रोचक पोस्ट और रोचक टिप्पणियां!
पाबला जी ने जिस तरह चोर को उसके घर से निकाल कर कठघरे में खड़ा किया है वो काबिले तारीफ़ है, ब्लोगजगत की पुलिस चौकी में सबसे ऊंचा स्थान पाने के हकदार हैं पाबला जी…:)
अजी क्या लेकर आए थे ओर क्या ले जाएंगे…..जब सब कुछ यहीं रह जाना है तो फिर काहे की चिन्ता…..उस बेचारे भलेमानस(चोर) को भी आनन्द लेने दीजिए ..)
बहस सार्थक रही जी. पंचम जी सही कह रहे हैं. मेरे हरयाणवी लेख कट पेस्ट किये हुये कम से कम दस तो मैने देखे हैं. ठीक है लगा लिया तो लगा लिया. ये तो विचार है अपना अपना. पर हां अगर मेरा लेख किसी ने पोर्न साईट पर डाला तो मैं भी वैसे ही रियक्ट करुंगा जैसे पंचम जी ने किया. क्योंकि आज से कुछ समय बाद इसके नतीजे हमारी मान मर्यादा और इज्जत खराब करने वाले हो सकते हैम
रामराम.
राम राम राम
shashtri ji aapne bilkul sahi kaha hai
तो अब ब्लाग चोरों के लिए ब्लाग पुलिस का इन्तेज़ाम करना पडेगा!!
ऐसे लोगों के नाम पते सार्वजनिक किए जाने चाहिए। ‘लोग क्या कहेंगे’ का डर अभी बना हुआ है।