मेरे प्रबुद्ध पाठकों को याद होगा कि हिन्दी चिट्ठों के भविष्य एवं खोजयंत्रों के योगदान के संबंध में मैं ने कई बार “विषयाधारित” चिट्ठों की वकालात की थी.
इस संदर्भ में मेरी इच्छा थी कि मैं खुद एक विषयाधारित चिट्ठा चालू करूं, लेकिन सारथी को जैसे ही विषयाधारित बनाया तो मेरे प्रबुद्ध मित्रों ने उसका विरोध किया था और उसे एक चितन-चिट्ठा बने रहने की जिद की थी. लेकिन एक से अधिक चिट्ठे चलाना औसत व्यक्ति के वश की बात नहीं है और इस कारण विषयाधारित चिट्ठा बनाने से अभी तक रुका रहा. लेकिन अब वह तकनीक कुछ कुछ समझ आ गई है कि सारथी को ही तीन चिट्ठों का रूप दिया जा सके जिससे चलाना आसान हो और पाठकों को एक से अधिक चिट्ठों पर न जाना पडे.
पिछले एक महीने से मैं प्रयोग में रत था और प्रयोग लगभग सफल हो चुका है. आगे से सारथी, भारतीय सिक्के, एवं India चिट्ठे आपको एक जगह दिख जायेंगे. सिर्फ सारथी तक आना होगा और एक क्लिक में सही आलेख तक पहुंच जायेंगे. पाठकों को सिर्फ एक चिट्ठे का नाम याद रखना होगा! टुकडे में बांटना कई बार अच्छा नहीं होता, लेकिन कई बार दक्षता को बढा देता है. उम्मीद है कि सारथी के लिये यह अच्छा ही होगा.
आप सब जानते हैं कि भारतीय सिक्का संपदा के प्रति मेरा स्नेह और समर्पण कितना अधिक है. “भारतीय सिक्के” एकाध दिन में (indiancoins.sarathi.info) पर कार्य करने लगेगा, लेकिन आपको यह इस जालपते को याद रखने की जरूरत नहीं है. सारथी की शीर्षपट्टी पर इसकी कडी पर चटका लगाते ही आप इस पर पहुंच जायेंगे. दोचार दिन में साज-सज्जा, कडी-जांच आदि का कार्य पूर्ण हो जायगा!
सस्नेह — शास्त्री
एक जगह आपका सब कुछ प्राप्त करना सुखद है । धन्यवाद
बढ़िया है, शुभकामनाऐं. इन्तजार रहेगा.
अच्छी ख़बर है। All under on roof.:)
अब ब्लाग एक वेबसाइट में बदल रहे हैं आप।
शुभकामनाएँ !
घुघूती बासूती
बहुत शुभकामनाएं, आपसे कुछ जानकर अन्य लोग भी सीख पायेंगे.
रामराम.
” आपके इस प्रयोग की सफलता के लिए बहुत बहुत शुभकामनाये”
Regards
एक ही जगह पर तीन-तीन ब्लजाग एक साथ मिलने की सुविधा से मुझ जैसे तमाम आसलसियों की ओर से आपको हार्दिक धन्यवाद।
हार्दिक शुभकामनाये
वह कौन सी तकनीक है … जिससे आप ऐसा करने जा रहे हैं … शुभकामनाएं।
नये प्रयोग की सफलता हेतु शुभकामनाऎं…..वैसे एक बात माननी पडेगी,अप पोस्ट का शीर्षक बहुत चुन कर रखते हैं.अज आपकी पोस्ट का शीर्षक पढकर पहले तो ये आभास सुआ कि शायद आप किसी षडयंत्र के बारे में बता रहे हैं कि सारथी को टुकडों में बांटने की योजना…पुन: शुभकामनाऎं..
त्रुटि संशोधन:-
अप=आप
सुआ=हुआ
Chalo naye naye hain bloging main. Hamein to ye bhi nahi aata ki upar apki tarah tab kaise banaya jaie, Aur apke blog ko follow kaise karna hai, kripya ye bhi bataiye…
शुभकामनाये Sir
शुभकामनाये !! ओर हम भी कुछ नया सीखॆ गें.
धन्यवाद
शुभकामनाएँ !
गुरुदेव बिमारी बडती ही जा रही है।
क्या इसमे भी रिटायर मेन्ट या सन्यास सम्भव है
आप चिठाससार मे लम्बी पारी खेले, चोके छक्के लगाये, हमारी आपको शुभकामनाऐ ।
अच्छा विचार है, हार्दिक शुभकामनाऍं।
अच्छा विचार है। प्रतीक्षा रहेगी।
bahut badia! coins ke bare me aapse bahut sikhna hai