मुझे अफसोस है कि उस जमाने में केमरा सिर्फ चुने हुए लोगों के पास था. आगफा का क्लिक थ्री जिसने मुझे फोटोग्राफी सिखाई वह केमरा इसके बहुत बाद में बाजार में आया. नहीं तो इस भद्र महिला का चित्र आज मेरे व्यक्तिगत पुस्तकालय में मेरे आराध्य व्यक्तियों की पंक्ति में होता.
मैं छटी में था जब श्रीमती महादेवी गुप्ता से पहली बार मेरी मुलाकात हुई. वे मिस हिल विद्यालय में हिन्दी पढाती थीं. बच्चे उन से बहुत डरते थे और उनको रणचंडी कहते थे. दूसरी ओर हिन्दी अध्यापिका के रूप में उनका बडा आदर भी होता था. लेकिन मैं ने उनके व्यक्तित्व का एक और पहलू देखा, जो मेरा भाग्य था.
कक्षा में एक दिन उन्हों ने एक प्रश्न पूछा जिसके जवाब में मैं ने फटाक से हाथ उठा दिया. उनके इशारे पर मैं ने खडे होकर जवाब दिया, जिसे उन्होंने बहुत पसंद किया. शायद उनकी आखों ने कुछ ताड लिया था जिसके कारण एकदम वे बोली “जवाब बहुत अच्छा है, लेकिन तुम इससे अधिक बहुत कुछ इस विषय पर बोल सकते हो. घर जाकर इस विषय पर जो कुछ सीख सकते हो वह सब सीख कर आना. कल फिर से जवाब देना होगा. तुम जरूर एक वक्ता बनोगे”.
उस एक वाक्य ने मेरी जिंदगी पलट दी!!!
घर गया, पूछपाछ की. जहां से जो जानकारी मिल सकती थी वह सब जुटाया. अगले दिन मौका आने पर जवाब दिया. “गुप्ता मेडम” बहुत वाहवाही की और बोली कि अगले हफ्ते एक प्रतियोगिता में मुझे बोलना होगा. यहां से जो आपसी संबंध चालू हुआ वह तीन साल तक रहा. मेरे लिये वह अध्यापिका नहीं, माँ थीं. उन्होंने हिन्दी के हर पहलू को ठूस ठूस कर मेरे मन में भर दिया. इन तीन सालों में महादेवी गुप्ता ने मेरी भाषा को ऐसा चमका दिया, उसमें ऐसी गहराई भर दी, कि मुझे आजीवन हिन्दी से “प्रेम” हो गया. मैं हिन्दी का चरणसेवक बन गया.
मेरी अध्यापिका स्वर्गीय महादेवी गुप्ता (मिस हिल विद्यालय, ग्वालियर) को कोटि कोटि प्रणाम्!!
पुनश्च: मेरे आपके संपर्क में रोज ऐसे बच्चे आते हैं जिनको हम प्रोत्साहित करके बहुत कुछ बना सकते हैं. जरूरत एक समर्पण की है!!
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Aula by sergis blog
प्रोत्साहन एक आजमाया तरीक है शिक्षण -प्रशिक्षण का !
हां अक्सर कई शिक्षक हमारे जीवन मे ऐसे आते हैं जो हमे आगे की राह दिखाते हैं. प्रेरक प्रसंग.
रामराम.
@ “उस एक वाक्य ने मेरी जिंदगी पलट दी!!
इन तीन सालों में महादेवी गुप्ता ने मेरी भाषा को ऐसा चमका दिया, उसमें ऐसी गहराई भर दी, कि मुझे आजीवन हिन्दी से “प्रेम” हो गया. मैं हिन्दी का चरणसेवक बन गया. मेरी अध्यापिका स्वर्गीय महादेवी गुप्ता (मिस हिल विद्यालय, ग्वालियर) को कोटि कोटि प्रणाम्!!
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हमारे गुरुजी, कि महान गुरु को मेरा भी कोटि कोटि प्रणाम्!!
अगर नैसर्गिक गुण या योग्यता को आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिले तो परिणाम हमेशा बेहतर ही आता है, बशर्ते गुण नकारात्मक न हो।
सच है.. मुझे तो लगता है की अगर योग्यता एक बार कम भी हो, पर उचित प्रोत्साहन से बच्चे कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हैं.
यही सच्चे शिक्षक हैं।
.प्रोत्साहन के आभाव में हमारे गाँवों की प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं.
श्रीमती महादेवी गुप्ता का चरित्र नारियल सा लगा। कठोर खोल में नरम-मुलायम-शीतल कर्नल!
Encouraging children is quite necessary in present seen of indian culture and country at large and only a teacher can do so..thats why I salute teachers. To share I was sitting at a place , the talks were going as who is the best teacher.A child sitting nearby told” BACCHE HI PARENTS KE SACHE SIKSHAK HOTEN HAN ” i AM WRITTING ON THIS TOPIC.