नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज के एक केप्टेन थे जी एम सिंह गिल. मैं दूसरी कक्षा में पढता था जब उन से मेरी पहली मुलाकात हुई.
वे ग्वालियर के हमारे गिर्जाघर के मुखियों में से एक थे, और इस कारण हफ्ते में कम से कम दो बार सत्संग में वे बोलते थे. उस भारी भरकम व्यक्ति की वाणी में जो ओज था वह अचल वस्तुओं को भी प्रभावित कर देता था. बोलते बहुत ही आकर्षक तरीके से थे, और उनके डेढ घंटे का भाषण सुनने वालों को ऐसा लगता था कि यह भाषण कभी खतम न हो.
छायाचित्र: नेताजी सुभाषचंद्र बोस, 1939
केप्टन गिल पंहुँचे हुए शायर थे और समय मिलने पर वे घंटों शेरशायरी करते थे और बाकायदा संदर्भ सहित व्याख्या भी करते जाते थे. शायरी के प्रति मेरे शौक की नींव यहां पडी थी. लेकिन एक क्रातिकारी का प्रभाव कई बार काफी दूरगामी होता है.
अपने लंबे प्रवचनों के दौरान वे बारबार याद दिलाते थे एक सच्चा देशभक्त किसी भी तरह कि गुलामी नहीं स्वीकार करेगा. वे यह भी याद दिलाते जाते थे कि आजाद हिन्दुस्तान को पुन: गुलामी के लिये तय्यार किया जा रहा है, लेकिन इस बार यह युद्ध मानसिक स्तर पर हो रहा है. आज आजादी के नाम पर जो हो रहा है उसे उन्होंने दशाब्दियों पहले ताड लिया था.
केप्टेन गिल हर दोचार मिनिट में एक अनुभवकथा जरूर सुनाते थे. जैसे ही “मिसाल के तौर पर” उन के मूंह से फूटता था, वैसे ही पाठक जान जाते थे कि वे अगली अनुभवकथा सुनने जा रहे हैं. उनकी हर अनुभकथा नई होती थी और दुहराव न के बराबर था. कुल मिला कर लगभग दो दशाब्दी मैं उनके प्रभाव में रहा. इसके फलस्वरूप एक आग्नि मेरी सोच और आत्मा में पैठ गई है जो हर उस चीज को देखते ही प्रज्वलित होने लगती है जो भारतीय समाज और सार्वभौमिकता के लिये खतरा है. मुझे खुशी है कि कैप्टन गिल जैसे योद्धा एवं वीर सेनानी के चरणों में बैठने का अवसर मुझे मिला. उनको मेरा नमन.
सविनय अवज्ञा आंदोलन ने हमें आजादी दिलाने में बहुत बडा योगदान दिया था. लेकिन यदि चंद्रशेखर आजाद और भगतसिंह जैसे क्रांतिकारी, सुभाषचंद्र बोस और उनकी आजाद हिंद फौज, और अंग्रेजों के विरुद्ध गदर मचाने वाले अन्य वीर भारतीय न होते तो शायद आजादी के लिये कुछ और साल इंतजार करना पडता.
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Photograph by tonymitra
बहुत बढिया संस्मरण सुनाया आपने. और भाग्यशाली तो आप हैं ही.
रामराम.
काश हमें भी ऐसे महापुरुषो का सान्निध्य प्राप्त हो पाता.
अच्छा लगा कैप्टन गिल के बारे में जानना।
उनके कुछ अनुभव पढ़ाएं तो और अच्छा लगेगा.
हमारा भी नमन ऐसी शक्शियत को!!
उनकी मानसिक दासता वाली बात से कुछ हद तक सहमत हुआ जा सकता है !!
प्राइमरी का मास्टर
फतेहपुर
कैप्टन गिल के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा.. इस शख्सियत को नमन.. आभार
गिल साहब को नमन। उनकी चर्चा करने का धन्यवाद।