मैं ने अपने आलेख किचन-गार्डन: मूर्खों के लिये नहीं!! में याद दिलाया था कि किचन गार्डन ऐसा गजब का शौक है कि आम के आम गुठली के दाम देता है, वह भी चक्रवृद्धि ब्याज समेत. दिनेशराय द्विवेदी, ShikhaDeepak, बी एस पाबला आदि ने अपनी टिप्पणियों द्वारा किचनगार्डन विषय का और अधिक विस्तार किया है जिसके लिये मैं उनका आभारी हूँ.
इस बीच किचन गार्डन के लिये खाद बनाने के बारें में मैं ने सिर्फ इशारा किया था, लेकिन घुघूती बासूती जी की टिप्पणी पढने के बाद इसे कुछ और विस्तार से लिखने का मन बन गया. प्रश्न था:
वैसे यदि केवल गमले ह हों तब भी क्या छिलकों आदि से खाद बनाई जा सकती है या जमीन चाहिए ही ? (ghughutibasuti)
थोडीबहुत जमीन मिल जाये तो किचनगार्डन के लिये भी अच्छा है, खाद बनाने के लिये भी अच्छा है. लेकिन जमीन का होना इन दोनों के लिये जरूरी नहीं है. किचनगार्डन आप बाकायदा मिट्टी, सिमेंट, या प्लास्टिक के गमलों या ड्रमों में लगा सकते हैं. उसी तरह प्राकृतिक खाद भी मिट्टी, सिमेंट, या प्लास्टिक के गमलों या ड्रमों में बना सकते है. इसके लिये आपको एक खाली गमला और अच्छी मिट्टी स्टाक करने के लिये एक गमले या ड्रम की जरूरत पडती है.
अधिकतर उत्तरभारतीय शहरों में अच्छी मिट्टी खरीदी जा सकती है. कई पौध-नर्सरी चलाने वाले पौध के अलावा मिट्टी भी बेचते हैं. गधे-खच्चर पर मिट्टी लाकर बेचने वाले भी आपकी जरूरत के मुताबिक अच्छी मिट्टी प्रदान कर सकते हैं.
खाद बनाने के लिये खाली गमले में लगभग चार इंच मिट्टी डाल लीजिये और दिन भर घर में जो चाय की पत्ती, सब्जी के छिलके और बचा हुआ खाना निकलता है उसे इसमें डालकर ऊपर से मिट्टी डाल कर ढांक कर रख दीजिये (जिससे तिलचट्टों और मूषकराज का तांडव न चल पाये). यदि कहीं से कुछ केंचुएं मिल जायें तो उनको भी इसमें छोड दीजिये तो खाद बनने का काम और तेजी से हो जायगा.
जैसे जैसे गमले भरते जायें उनको हटा कर रखते चले जाइये. एकदो महीने में सब कुछ आपस में विलीन होकर एकदम उत्तम प्राकृतिक खाद बन जाता है. अब आप इस खाद को अपने आंगन में प्रयुक्त कर सकते हैं, या इन गमलों में सीधे ही सब्जी के पौधे लगा सकते हैं. पिछले 15 साल से मैं यह करता आया हूँ और जरा से आंगन में जो विविध प्रकार की चीजें उगती है उसे देख हर कोई कहता है कि बगिया देख कर दिल बाग बाग हो गया!! (इस हफ्ते समय मिला तो हमारी बगिया के कुछ फलों के छायाचित्र आपको दिखायेंगे)
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flowerpot by steve p2008
बहुत ही उपयोगी आलेख।
बढिया जानकारी दी है .. धन्यवाद।
खाद बनाने की विधि खूब सिखाई।
बढ़िया जानकारी!!
आपकी प्रविष्टियों के न जाने कितने आयाम हैं । हम पढ़े जा रहे हैं निरन्तर । धन्यवाद
चाय पत्ति गुलाब के गमले में डालने पर गुलाब अच्छे आते है.. ये तो आजमाया नुस्खा है..
@रंजन
चायपत्ती को अन्य चीजों/मिट्टी के साथ मिलाकर खाद बनाया जाये तो परिणाम और भी अच्छा निकलता है.
अच्छी जानकारी.. क्या चाय के अलावा घर के अन्य बचे खाने को मिटटी में दबाने से भी खाद बन जाती है?
@हिमांशु
आप जैसे मित्रों का प्रोत्साहन हर चिट्ठाकार को आगे बढने के लिए प्रोत्साहित करता है.
बढ़िया लगी यह जानकारी शुक्रिया
ऐसा तो हम हमेशा से करते आ रहे है, छिलके के लिये गड्डा और पत्ती के गमला बाहर रखा हुआ है।
सुनकर अच्छा लग प्रमेन्द्र!!
बहुत अच्छी बात सुझाई आपने. साधुवाद.
यह रोग तो हमने भी पाल रखा है. अभी अभी होशंगाबाद में vermiculture के लिए दो तीन बेड्स बनवाए
काम की बात। मेरी पत्नी जी शायद यह करती हैं खाद निर्माण के लिये। मनीप्लाण्ट इसी पर पनप रहे हैं।
मैं अभी तक लगभग सदा बगीचे वाले मकान में ही रही हूँ। जब शहर जाना पड़ेगा और फ़्लैट में रहना होगा तबकी सोच रही हूँ। अभी तो खाद गड्ढे में ही बनती है। हाँ, कई बार जब कोई पेड़ या बेल लगानी होती है तो उसके लिए गड्ढा खोदकर उसमें कुछ दिन रसोई का कचरा डालती हूँ फिर मिट्टी डालकर बीज या पौधा लगाती हूँ।
घुघूती बासूती