प्रिय दोस्तों, सारथी अब अपने तीसरे साल में है, एवं आप के स्नेह के कारण कई नई सीढियां पा र कर रहा है. आज से 30 महीने पहले हम ने 10 मेगाबाईट सर्वर-स्थान के साथ इस चिट्ठे को आरंभ किया था. पाठकों की आवकजावक ऐसे तेजी से बढी कि जल्दी ही हमें 20 मेगाबाईट और फिर क्रमश: 50, 100, और 200 मेगाबाईट पर जाना पडा.
200 मेगाबाईट का सर्वर-स्थान हमको प्रति महीने 10,000 मेगाबाईट (10 जीबी) बेंडविड्थ प्रदान करता था, लेकिन पिछले महीने से वह भी कम पडने लगा है. अत: आज से हम इसे एक नई कंपनी के सर्वर पर ले आये हैं जहां 200 मेगाबाईट के बदले 10,000 मेगाबाईट सर्वर-स्थान और महीने में 50,000 मेगाबाईट (50 जीबी) बेंडविड्थ मिलेगा.
इस बीच सारथी के रचनात्मक आंदोलन को सार्वलौकिक स्वीकृति मिलने लगी है. भारतीय समाज, संस्कृति, इतिहास, एवं पुरातत्व के मामले में जो कुछ लिखा जाता है उसे पढने के लिये हजारों ऐसे भारतीय पाठक उत्सुक हैं जो गैरहिन्दी प्रदेशों में निवास करने के कारण या विदेशों में जन्म लेने के कारण हिन्दी आलेखों का पूरी तरह से आस्वादन नहीं कर पाते. इन लोगों के लगातार अनुरोध के कारण कल से सारथी का अंग्रेजी संस्करण भी उपलब्ध करवा दिया जायगा.
सारथी अंग्रेजी को आप कल से http://english.sarathi.info/ पर या सारथी-अंग्रेजी पर पढ सकेंगे.
इस बात का खास ख्याल रखा जायगा कि सारथी अंग्रेजी और सारथी हिन्दी पर एक दिन में उपलब्ध आलेख अलग अलग हों, जिससे उन पाठकों को असुविधा न हो जो दोनों भाषाओं में इसे पढना चाहेंगे.
सारथी के सारे मित्रों एवं पाठकों का आभार जिसके कारण हम इस ऊंचाई को छू सके. आप न होते तो सारथी जंगल में ढोल पीटने वाले के समान होता जो बहुत कुछ कर रहा है लेकिन जिसका फायदा न तो उसे हो रहा है न किसी और को.
दो शब्द उन लोगों से जिन को सारथी के रचनात्मक आंदोलन, हिन्दी-प्रचार, एवं पश्चिम-नकल के विरोध से असहमति है. दो शब्द उन से भी जिनका काफी समय सारथी के विरुद्ध ऊटपटांग लिखने में जाता है. दोस्तों, आप न होते तो सारथी को आईना दिखाने वाला कोई न होता. आप से बहुत कुछ सीखने को मिला है. आपकी नुक्ताचीनी के कारण कई बार जल्दी में लिखी गई प्रस्तावनाओं को परिष्कृत करके पेश करने का मौका मिला है. कई बार आपकी कलम मेरे मन में दर्द पैदा करती है, लेकिन यहां आपका होना भी जरूरी है. किसी भी बगीचे को सजाने में उस केंचीखुरपी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता जिसकी मदद से माली सूखी शाखाओं को काटफेंकता है और खरपतवार को जड से उखाड देता है. अत: आलोचना करते रहिये.
इस आलेख को आप नये सर्वर पर पढ रहे हैं. सारथी को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये आप सब को आभार के साथ — शास्त्री
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बधाई हो शास्त्री जी।
शुभकामनाएं. मैं आशा करता हूँ कि अंग्रेजी सारथी आपकी लेखनी और विचारों को दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचायेगा क्योंकि इन्टरनेट पर अंग्रेजी का सिक्का चल रहा है और चलता रहेगा. मैं तो यहीं आऊंगा, प्यारी हिंदी में आपको पढने के लिए.
मैं हाल में ही अपने डोमेन पर चला गया हूँ. कृपया मेरा ब्लौग देखें.
हे भगवान ! चलो पहुच गऐ सारथी। लगभग कल से सारथी चिठ्ठे कि स्क्रिन नही खुल रही थी। आखिर अरविन्दजी के ब्लोग के साईड बार कि साहयता से भटकते- भागते सारथी पहुचे है।
तनिक विश्राम करने दो भाई ! बाधायॉ देने के लिऐ ताकत लगती है जो हमारे मे अभी क्षीण अवस्था मे है।
बधाई
जिस गति से आप बढ़ रहे हैं, जल्द ही अपना डेडीकेटेड स्वतंत्र सर्वर लगवा लें. बधाई एवं शुभकामना.
खुब-खुब बधाई जी
सारथी के नये सर्वर पर आने की बधाई ।
बधाई जी
बधाई जी
बधाई जी
बधाई जी
बधाई जी
!!!!!!
बहुत बहुत बधाई!
बहुत घणी बधाई और शुभकामनाएं.
रामराम.
बधाई और शुभकामनाएं.
बहुत बहुत बधाई.
अंग्रेज़ी पढ़ने वालो को भी खूब उम्दा सामग्री प्राप्त होगी
badhai..