दोस्तों, सारथी के प्रति आप सबके प्रेम एवं आप सब की कृपा के लिये मैं आप सब का ऋणी हूँ.
(चित्र बडा करने के लिये उस पर क्लिक कीजिये)
जीवन के हर दिन हम सब या तो आगे बढ रहे हैं, या पीछे हट रहे हैं. स्थिर कोई भी नहीं है. जो चल नहीं रहा वह स्थिर नहीं है बल्कि आगे बढ रहे अपने साथियों की तुलना में पिछडता जा रहा है. अत: चाहे पढाई हो, नौकरी हो, हमारा सामाजिक प्रभाव हो, हम में से हरेक की कोशिश रहनी चाहिये कि हम हर दिन पिछले दिन की तुलना में आगे बढें! लेकिन यहां एक बडी समस्या आती है.
लोग जब किसी क्षेत्र में आगे बढ जाते हैं, सफलता पा लेते हैं, या कोई खिताब जीत लेते हैं तो अचानक उनको लगता है कि “मैं ने” कुछ कर लिया है या पा लिया है. आपने देखा होगा कि खेलों में कई खिलाडी पदक लेकर कैसे “घमंड” के साथ नाचते हैं जबकि उनके साथी “आभार” के साथ रोते हैं. राजनैतिज्ञ जब चुनाव जीत जाते हैं तो कैसे घंमंड के साथ विजय यात्रा करते हैं. ये सब लोग दो बातें भूल जाते हैं.
1. बिना दूसरों की मदद के कोई भी व्यक्ति कभी भी जीवन की एक भी सीढी नहीं चढ सकता है!
2. जब तक किसी व्यक्ति की सफलता को, उसकी कृति को, देखने और प्रशंसा करने वाले न हों तब तक हर सफलता, हर कृति, बेकार है, कोई आनंद नहीं देती है.
अत: किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत या सामाजिक जीवन में हर सफलता के लिये बहुत अधिक सीमा तक अन्य लोग एवं उनका योगदान जिम्मेदार है.
आज “प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा” में खबर आई है कि सारथी का जिक्र अमर उजाला पर हुआ है. यह मेरे लिये बहुत खुशी एवं आत्म संतोष की बात है. लेकिन सारथी यदि इतना जनप्रिय हुआ है, यदि उसके आलेख जनप्रिय हुए हैं तो यह मेरे कारण नहीं बल्कि पाठकों के कारण है. पाठक न होते तो मैं किस के लिये लिखता. अत: सारथी की हर सफलता में मेरा योगदान 5 से 10 प्रतिशत मात्र है, बाकी 90 से 95 प्रतिशत योगदान आप सब पाठकों का है. यदि आप सब का प्रेम और आशीर्वाद इसी तरह बना रहेगा तो इस साल के अंत तक सारथी पर हर महीने 1,000,000 हिट्स आने लगेंगे! कोटि कोटि आभार आप सब का!!
आज यह आलेख लिख रहा था कि डॉ अमित कोहली का ईपत्र आ गया जिस में उन्होंने विषयों की एक सूची नत्थी कर दी है जिन पर वे चाहते हैं कि मैं लिखूं. घर बैठे बैठे मुझे दसियों विषय मिल गये जिन पर वाकई में लिखा जा सकता है, और लिखूंगा भी. इसके लिये आभार डॉ अमित कोहली को अभी से दे देना चाहता हूँ.
“प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा” पर आई कुछ टिप्पणियां:
Udan Tashtari मुझे तो लगता है कि किसी दिन सारथी न्यूयार्क टाईम्स में न नजर आ जाये..विस्तार गजब का है उनका!! संगीता पुरी वाह !! बधाई शास्त्रीजी को .. क्या सचमुच हिन्दी चिट्ठे की चर्चा न्यूयार्क टाइम्स में भी हो सकती है .. उस दिन का इंतजार रहेगा। समयचक्र – महेन्द्र मिश्र बधाई शास्त्रीजी को. बहुत बढ़िया. आपकी चिठ्ठे की चर्चा समयचक्र में आ गई है.
Read Today On Sarathi English:
Guide For Income | Physics For You | Article Bank | India Tourism | All About India | Sarathi | Sarathi English
बहुत-बहुत बधाई। यकीन है कि यह कारवां यूं ही बढ़ता रहेगा। हमारी शुभकामनाएं स्वीकार करें।
साधुवाद श्री बी एस पाबला जी को जिन के मन में “प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा” ब्लाग कि परिकल्पना उत्पन्न हुई और तमाम व्यस्तताओं के चलते उन्होंने इस ब्लाग को आरंभ किया और स्वयं अपने दम पर इसे निरंतर चला रहे हैं। हालाँकि वे आशा करते हैं कि देश के विभिन्न क्षेत्रों के समाचार पत्रों में हो रही ब्लाग चर्चाओं की सूचनाएँ लोग उन तक पहुँचाएंगे। फिर भी लगता है इस ओर अभी अन्य ब्लागरों का ध्यान नहीं जा पाया है।
बधाई।
अखबारों में जितना चिट्टों की चर्चा होगी उतना ही इसका लेखन लोकप्रिय होगा।
बधाई!
आपकी इस चर्चा के लिये बधाई । हिन्दी चिट्ठे की इतनी लोकप्रियता शायद ही देखने को मिले । एक विशाल पाठक वर्ग है आपका । १०००००० हिट्स प्रति माह का आँकड़ा अद्भुत है ।
हम नवोदित भी आपकी प्रेरणा और सम्बल के लिये लालायित हैं । मार्गदर्शन देते रहें ।
इस लगभग निजी ब्लॉग का उल्लेख आपने किया। आपका आभारी हूँ।
द्विवेदी जी के कथन को थोड़ा सुधार कर कहना चाहूँ तो मैं आशा करता हूँ कि देश के विभिन्न क्षेत्रों के समाचार पत्रों में हो रही ब्लाग चर्चाओं की सूचनाएँ लोग पहुँचाएंगे। हालांकि इस ओर अभी अन्य ब्लागरों का ध्यान गया है। किन्तु कतिपय कारणों से ‘वे’ सहयोग से बच रहे हैं।
इस ब्लॉग के सहयोगियों में अकेली शेफाली पाण्डे ही हैं जो स्वयं के ब्लॉग के अतिरिक्त अन्य ब्लॉगरों के प्रिंट मीडिया में होने की सूचना व प्रति पहुँचाती हैं। इस स्थान पर मैं उन्हें धन्यवाद कहे बिना नहीं रह पाऊँगा।
अपना स्नेह बनाये रखियेगा।
पुन: बधाई ..
आपको और आपके माध्यम से सारथी को लोकप्रिय और सार्थक चिटठा बनाने वाले सभी पाठकों को बधाई.
जैसे आपके हिंदी चिट्ठे को http://www.google.co.in/reader/view/feed/http%3A%2F%2Fsarathi.info%2Ffeed?hl=en पर पढ़ा जा सकता है, वैसे ही कृपा करके अंग्रेजी चिट्ठे की फीड का लिंक भी उपलब्ध कराने की कृपा करें. मेरे कोशिश करने पर कुछ तकनीकी समस्या आ रही है. हो सके तो दोनों चिट्ठों के कमेंट्स की भी फीड उपलब्ध कराएँ.
बधाई ..बधाई ..बधाई ..
आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे और नित नये मकाम हासिल करती रहे शास्त्री जी
Well done !
बधाई शास्त्री जी. अच्छा लगा पढ़कर.