वैज्ञानिक ज्ञान से क्या फायदा है?

image अधिकतर लोगों की नजर में “विज्ञान” एक कठिन विषय है जिस में मुश्किल से वे पास हो पाये थे. अत: जैसे ही “विज्ञान” शब्द उनके कानों में पडता है वैसे ही एकदम से जटिल डेरिवेशन और उससे भी जटिल गणित उनकी आखों के सामने नाचने लगता है और होश उड जाता है.

दर असल यह विज्ञान का वह विकृत रूप है जो भारतीय विद्यालयों में दिखता है एवं इस के लिये वे अध्यापक जिम्मेदार हैं को अध्यापन के प्रति समर्पित नहीं है. वर्ना विज्ञान के 90% विषय इतने दिलचस्प तरीके से पढाये जा सकते हैं जैसे बच्चों को कहानी सुनाई जा रही हो. 

इतना ही नहीं, पिछले कुछ दिनों में मैं जिस वैज्ञानिक ज्ञान की बात कर रहा हूँ उसका संबंध गणित-आधारित विज्ञान से नहीं, बल्कि उन वैज्ञानिक जानकारियों से जो आम व्यक्ति के जीवन को सुखी और सुरक्षित बनाते हैं. इस तरह की सैकडों बातें हैं, और उन बातों के प्रचारप्रसार से हरेक को फायदा होता है.

उदाहरण के लिये “हाथ धोने” का विज्ञान ले लीजिये. अनुमान है कि यदि हरेक व्यक्ति खाना खाने के पहले, संडास के उपयोग के बाद, बसट्रेन यात्रा के बाद (जहां आप की हथेली में किटाणु जमा हो जाते हैं), हाथ धोने की आदत डाल ले तो संपर्क के द्वारा होने वाले किटाणुओं का प्रसार 80 से 90 प्रतिशत तक रोका जा सकता है. उसी तरह पीने के पात्रों को, खास कर होटलों, गन्ने के रस वालों, आदि जगह पर सही रीति से धोया जाये तो अमीबिक इन्फेक्शन के फैलने को 80 से 90 प्रतिशत तक रोका जा सकता है. यह एक मामूली सी वैज्ञानिक जानकारी है, लेकिन इसे फैलाया जाये तो करोडों लोगों को फायदा होगा.

आज भारत के 90% या अधिक लोगों के बीच में तमाम प्रकार की लैंगिक भ्रांतियां है. उदाहरण के लिये इस भांति को ले लीजिये कि यदि एक दंपत्ति को सिर्फ लडकियां होती हैं तो यह पत्नी की गलती है. इस भ्रांति के  कारण हर दिन कितनी ही स्त्रियों को पीडित किया जाता है. लेकिन यदि लोगों में यह वैज्ञानिक जानकारी फैला दी जाये कि शिशु का लिंगनिर्धारण पुरुष का शुक्राणु (उसमें स्थित क्रोमोसोम) करता है, न कि स्त्री का डिंब तो लाखों स्त्रियों को मानसिक ताडना से बचाया जा सकता है.

भोजन को पौष्टिक तरीके से पकाना आसान है, लेकिन उसके लिये वैज्ञानिक जानकारी होनी चाहिये. इस तरह जीवन का कोई पक्ष नहीं है जो विज्ञान से अछूता हो या जहां वैज्ञानिक जानकारी अनुपयोगी हो. अत: जरूरत है और अधिक चिट्ठाकारों की जो विज्ञान के जनोपयोगी पहलुओं को समझ कर उसे जनसाधारण तक उनकी भाषा में एवं अत्याकर्षक शैली में पहुंचा सके. वैज्ञानिक ज्ञान से हरेक को फायदा है.

आभार: कल के आलेख में Nishant ने सुझाव दिया:  शास्त्री जी, अपनी पोस्टों में text के alignment को कृपया justified कर दिया करें. इस सुझाव के लिये आभार. आज से मेरे सारे आलेख जस्टिफाईड होंगे! आज से साल भर पहले तक जस्टिफाईड सामग्री कुछ ब्राउसरों में खंडित हो जाती थी, अत: ऐसा कभी नहीं करता था. लेकिन निशांत की टिप्पणी मिली तो एक आलेख को जस्टिफाई कर कर के सारे ब्राऊसरों में जांच लिया तो पता चला कि यह समस्या दूर की जा चुकी है.

इस सुझाव के लिये निशांत को आभार. अन्य मित्रों से भी हर तरह के सुझावों की कामना करता हूँ एवं उन सुझावों का हार्दिक स्वागत करूँगा.

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Author: Super_Admin

12 thoughts on “वैज्ञानिक ज्ञान से क्या फायदा है?

  1. क्‍या कहें .. आज के युग में विज्ञान को कठिन विषय समझ लिया जाता है .. आपने इसका जो स्‍वरूप बताया .. उसकी झलक परंपरागत नियमों के पालन में भी कई बार हमें मिल जाती है ।

  2. वैज्ञानिक ज्ञान जीवन के हर कदम पर आवश्यक है । इसका जनसाधारणोपयोगी स्वरूप प्रत्येक को ग्रहण कराने की आवश्यकता है, और यह सुरुचिपूर्ण, सरल तरीके से समझ विकसित करके ही हो सकता है । आभार आलेख के लिये ।

  3. A NICE SUBJECT,WHY PEOPLES OR EXPERTS OF MEDICAL FIELD ARE NOT MAKING SUCH EDUCATIVE BLOGS. I DON’T HAVE ANY ANSWER. GENDER DISCRIMINATION IS STILL PREVAILING IN INDIA. IT IS TO BE HIHGLIGHTED THAT WOMEN IS NEUTRAL AS FAR AS CHILDBIRTH IS CONCERNED.MALES ARE TO BE BLAMED.,BUT IT IS A NATURE THAT FEMALES ARE HAVING XX CHROMOSOMES AND MALES XY CHROMOSOMES. WHO CAN CHANGE THESE PATTERNS.NO ONE. I REQUEST THE SOCIETY AT LARGE TO UNDERSTAND THIS FACT AND AVOID BLAMING FEMALES IF A FEMALE IS BORN..REALLY YOU ARE QUITE RIGHT THERE IS A NEED OF SCIENCE BLOGS FOR EDUCATING SOCIETY. SCIENCE MAY BE DIFFICULT, BUT WHAT IS EASY!! DETERMINATION IS LACKING , IT IS APPARANT ALSO. DON’T MIND .

  4. वैज्ञानिक ज्ञान का विस्तार होना और जन जन तक पहुँचना आवश्यक है। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि बहुत सी अवैज्ञानिक बातें भी विज्ञान के नाम पर प्रचारित की जा रही हैं।
    नीचे वाली सूचना बहुत काम की है मैं भी टेक्स्ट को जस्टीफाई कर के देखता हूँ।

  5. बेहद उपयोगी पहल.. लेकिन क्या न हो अगर हम उन कारणों की पड़ताल पहले करें जिनकी वजह से समाज का सर्वाधिक शिक्षित और संपन्न वर्ग भी आजादी के ६० साल बाद तमाम भ्रांतियों में जी रहा है.

  6. मै तो पहला वैज्ञानिक उसे मानता हूँ जिसने पेड को लुढकाकर यह बताया अरे यह तो लुढकता है,या हड्डी के टुकडे से ज़मीन खोदकर बताई,या पहली बार उंगलियों से कोई वस्तु पकडी.समय के साथ विज्ञान के अर्थ बदलते हैं इसलिये कि विज्ञान जड नही परिवर्तंशील है

  7. विज्ञान का समावेश हर चीज में है। हाथ धोने के शास्त्र का आपने जिक्र किया है। एक और इसी तरह का सरल “विज्ञान” है जो लाखों बच्चों की जान बचा सकता है – दस्त (पतली टट्टी, डायरिया) होने पर हर आधे-एक घंटे पर बच्चे को नींबू और नमक मिला पानी पिलाते जाना। ऐसी और भी अनेक वैज्ञानिक बातें हैं, जिनसे सभी को परिचित होना चाहिए। यह ज्ञान तभी घर-घर तक पहुंचेगा जब शत-प्रतिशत शिक्षा की व्यवस्था हो सकेगी। जब तक यह नहीं होगा, अंधविश्वासों और अवैज्ञानिक जानकारियों का बाजार गरम बना रहेगा।

  8. सामान्यता लोग वैज्ञानिक ज्ञान का अर्थ उलझे हुए गणित के सूत्र ,रसायन शास्त्र के समीकरण ही मानते और जानते हैं ,आप का कथन भी सही है यह लोक-धारणा हमारी स्कूली शिक्षा पद्धति की ही देन है | विज्ञानिक ज्ञान का वास्तिक अर्थ , दैनिक जीवन में उनकी उपयोगिता और प्रयोग पद्धति की जानकारी रखने से होता है ,उनके उपयोग से होने वाले लाभ-हानि को जानने मात्र से होता है |

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