जब गधे राज करते हैं!!

imageयह लेख आने वाले एक लेख की नीव डाल रहा है, अत: इसके मर्म को समझना जरूरी है.

जंगल का राजा शेर बहुत ही समतावादी और समन्वयवादी था अत: उसने मंत्रिमंडल में हर प्रकार के जानवरों को शामिल करने का निर्णय ले लिया. इस तरह के प्रतिनिधि जोडे जा रहे थे तो गधे के बारे में महामंत्री भालू ने बडी आपत्ति की. उसका कहना था कि गधे के कारण महाराजाधिराज को फायदा होने के बदले वे कभी भी फंस सकते हैं, लेकिन आपत्ति अनसुनी कर  शेर ने गधे को शामिल कर लिया.

शेर अपनी सास से बहुत चिढता था और इस कारण मंत्रिमंडल के सदस्यों के सामने वह सासू मां की बुराई में भद्दी से भद्दी टिप्पणियां और चुटकुले सुनाया करता था. लेकिन मामला एकदम रहस्य रहता था. यहां तक कि शेरनी को भी इसका गुमान तक न था.

कुछ दिन के बाद शेर की सास उनके घर पधारी, लेकिन अगले ही दिन वे गुजर गईं. अपनी पत्नी और उसके घरवालों को बेवकूफ बनाने के लिये  शेर ने सात दिन के राजकीय शोक और उसके बाद एक महाशोकसभा की घोषणा कर दी. सारी दुनियां से भांड बुलवाये गये और महाशोकसभा में उन लोगों ने  सासू मां के बारे में एक से एक रचनायें पढीं. अंत में राजाधिराज ने बडे ही शोकाकुल होकर रोते रोते सासूमां के बारे में  भांडश्रेष्ठ द्वारा रची एक कविता का पठन चालू किया. सारा जंगल उसे सुन कर रो पडा.

अचानक जोर जोर से हंसने की आवाज सुनाई. हा, हा हा!! राजाधिराज एकदम गुर्राये, “कौन है वह गधा जो इस शोकसभा में हंसने की जुर्रत कर रहा है”. महामंत्री ने सूचित किया कि यह गर्दभमंत्री का ही कार्य है. राजाधिराज ने गर्दभराज को सब के सामने खडा करवा कर उसे अपनी सासू जी की दिवंगत आत्मा के अपमान के लिये मृत्युदंड की आज्ञा दी.

सारी भीड के सामने गधे से उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई. सारी भीड के सुनते सुनते वह बोला, “जहांपनाह, पिछले महीने आप ने अपनी सास के बारें में जो छ: भद्दे चुटकुले समझाये थे और जो दस भद्दी गालियां दी थीं उनमें से पहला चुटकुला और पहली गाली का मतलब अभी अभी समझ में आया और इस कारण हंसी नहीं रोक पाया था. गुजारिश है कि मुझे इतना समय और दिया जाये कि मौत के वरण के पहले आप के द्वारा आपकी सासूमां के बारे में  सुनाये गये बाकी भद्दे चुटकुलों और गालियों का मतलब मैं समझ सकूँ”.

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Author: Super_Admin

19 thoughts on “जब गधे राज करते हैं!!

  1. बहुत ज़रूरी है ऐसी कथायें।

    पहले अनवरत पर टापू में आग वाली कथा भी सारगर्भित थी। लेकिन ब्लॉगवाणी ने उसकी पसंद बढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया। आप भी कोशिश करें, उस पोस्ट पर पसंद की संख्या 6 से बढ़ाने के लिए।

  2. वाह वाह शास्त्री जी ..आजकल कहानियों की ..चिडिया, गधे ….बहुत कुछ समझा रहे हैं…नींव मजबूत तैयार हुई है

  3. शास्त्री जी, लगता है आप कुछ दिन वाकई अवकाश बिता कर आए हैं। वहाँ की मौज भी झलक रही है। लगता है आगामी आलेख बहुत मजेदार होंगे।

  4. वाह..वाह , हम तो समझे थे शाश्त्रीजी ने हमारे शेरू महाराज को ही कहीं देख लिया.पर ये हमारे वाले नही हैं. जबरदस्त कहानी है. शुभकामनाएं.

    रामराम.

  5. किसी बड़े धमाके का इन्तज़ार रहेगा… देखना है कि यह गधा, और शेर ब्लॉगजगत में किस-किस पर हल्के-भारी पड़ते हैं… 🙂

  6. समझ नहीं पा रहा हूँ कि बैठ-बिठाए शास्त्री जी को गधों की क्या सूझी? क्या उनके राज करने में अभी भी कोई शंका है , या कहीं पुराने उर्दू लेखक किश्न चंदर की रूह तो उनमें उतर आई है ,अरे वही एक गधे की आत्म कथा ,एक गधे की दिल्ली यात्रा वाले ?

  7. किसे शहीद बनाने की तैयारी चल रही है ?
    सिरियल की दुसरी किस्त के प्रसारण का इन्तजार ।

    आभार

    मुम्बई टाईगर
    हे प्रभु यह तेरापन्थ

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