पुरुष समलैंगिकता और स्वास्थ्य!

image

चित्र: एचआईवी वायरस जिसके कारण एड्स रोग होता है

समलैंगिक पुरुषों का मैथुन पुरुष-स्त्री के मैथुन से काफी भिन्न होता है क्योंकि प्रकृति ने सिर्फ विपरीतलिंग के अवयवों को यौनाचार के लिये पूरक के रूप में ढाला है, न कि समलिंगियों के यौनांगों को. गुदा की संरचना, पेशियों का खिचाव, उसमें उपलब्ध खाली स्थान आदि  योनि की संरचना से एकदम भिन्न है. अत: इस तरह के यौनाचार का असर योनि-लिंग यौनाचार से भिन्न होगा और इस  असर के बारे में  जानना जरूरी है. इतना ही नहीं, पुरुष-स्त्री की तुलना में समलिंगी लोग अन्य प्रकार के मैथुन (उदाहरण के लिये, मुख मैथुन) का प्रयोग अधिक करते हैं, एवं इसका असर भी जानना जरूरी है.

अनुसंधान के लिए मैं ने पापलाईन का उपयोग किया है जो कि 1827 से आज तक हुए यौनसंबंधी 360,000 वैज्ञानिक अनुसंधान रपटों का संग्रह है. अनुसंधानों के आधार पर समलैंगिक मैथुन एवं स्वस्थ्य संबंधी निम्न बातें प्रकाश में आई हैं:

  1. गुदा मैथुन में रत लोगों में एड्स की संख्या सामान्य पुरुष-स्त्री मैथुन में रत लोगों की तुलना में दस गुना होती है.
  2. पुरुष समलैगिंकों में प्रोसाईटिस नामक गुदारोग व्यापक है, एवं इसकी चिकित्सा काफी कठिन है.
  3. उस तरह के बेक्टीरियाओं की संख्या समलैंगकों के बीच बढ रही है, और तेजी से बढ रही है, जिन पर एंटीबयोटिकों का असर निष्क्रिय होने लगा है. यहां तक कि इसका नाम ही “समलैंगिक महामारी” (गे प्लेग) पड गया है.
  4. समलैंगिकों के बीच सिफलिस और गोनोरिया (लैंगिक बीमारियां) सामान्य लोगों की तुलना में कई गुना तेजी से बढ रही हैं.
  5. अन्य कई प्रकार के बेक्टीरिया, अमीबियासिस, हेपेटाईटिस बी, एवं कई प्रकार के वायरसों का प्रसार इन लोगों में आम जनता की तुलना में कई गुना होता है.
  6. गले के वायरल, बेक्ट्रीयल और फंगल संक्रमण इन लोगों के बीच एक महामारी बन चुकी है.
  7. सामान्य जनता की तुलना में इन लोगों के बीच नशीली दवाओं का प्रयोग बीस गुना तक अधिक होता है.
  8. समलैंगिकों का औसत स्वास्थ्य स्तर उनके तुल्य आम जनता की तुलना में काफी बुरा होता है.
  9. समैलैंगिकों की औसत उमर सामान्य जनता की तुलना में काफी कम होती है, मृत्यु दर सामान्य से कई गुना,  एवं रोगाणुओं के कारण मरने वालों की संख्या सामान्य से बहुत अधिक होती है.

अनुसंधानों के आधार पर कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि समलैंगिक जीवन शैली का असर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर कल्पना से अधिक भयानक होता है.  इस जीवनशैली के असर के बारे में लोगों के बीच व्यापक तौर पर  जागृति पैदा करना हम सबकी जिम्मेदारी है.

(स्त्री समलैंगिकता और स्वास्थ्य कल के आलेख में प्रस्तुत किया जायगा) [क्रमश:]

Indian Coins | Guide For Income | Physics For You | Article Bank  | India Tourism | All About India | Sarathi | Sarathi English |Sarathi Coins

Share:

Author: Super_Admin

11 thoughts on “पुरुष समलैंगिकता और स्वास्थ्य!

  1. यही स्वास्थ्यगत कारण, सुप्रीम कोर्ट सबूत के तौर पर माँग रही थी, सरकार से

  2. यह सच है की समलैंगिक लोगों को एडस् अधिक होता है पर इसका कारण समलैंगिकता नहीं है। इसका कारण भिन्न है।
    १ – अधिकतर जगह यह गैर कानूननी है जहां यह गैरकानूनी है वहां भी इसे समाज मन्यता नहीं देता। इस कारण यह लोग, कई सम्बन्ध बना लाते हैं। यह हानिकारक है। जो पुरुष कई स्त्रियों के साथ सम्बन्ध बनाते हैं उनमें भी की समलैंगिक लोगों की तरह एडस् अधिक है।
    २ – एडस् होने पर इस तरह के लोग सहायता नहीं लेते पर और छिप जाते हैं। जिस कारण यह अधिक लोगों को बिमारी दे देते हैं। यही कारण है कि भारत सरकार के स्वस्थ मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष, याची के पक्ष में, इसे हटाने की मांग की थी।
    3 – मेरे विचार से इस विषय पर लिखने से पहले दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला भी पढ़ें। यह विषय के सारे पक्षों को अच्छी तरह से रखता है, फिर इस विषय पर लिखें। बिना इसे पढ़े आप इस विषय के साथ न्याय नहीं कर पायेंगे।

  3. तो क्या पी आयी एल ठोक दिया जाय सुप्रीम कोर्ट में -मगर पहले तो उन्मुक्त जी का लिंक देख लूं !

  4. @उन्मुक्त

    उन्मुक्त जी का कथन पूरी तरह से गलत है कि सहायता न मिलने के कारण इन लोगों के बीच एड्स फैलता है.

    मेरे सारे आंकडे अमरीकी समलैंगिकों पर आधारित है जहां उनको हर प्रकार की औषध सहायता मिलती है. इतना ही नहीं उनको कई प्रकार की आर्थिक सहायता भी मिलती है.

    माननीय न्यापालिका के निर्णय को पढ लिया है. मैं कम से कम 40 साल से समलैंगिकों के बारे में शोध साहित्य पढता आया हूँ, अत: मेरे आलेख की गंभीरता को काल्पनिक कारणों से कम करके न आंकें

    उन्मुक्त जी अपने गलत एवं काल्पनिक तर्कों से विषय की गंभीरता को कम करने की कोशिश कर रहे हैं जो उचित नहीं है.

    सस्नेह — शास्त्री

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info

  5. उन्मुक्त से सहमत नहीं. आपने भरपूर विश्लेषण किया है, जो आगे के अंकों में और अधिक ज्ञान प्रदान करेगा.

  6. आप सभी को सादर प्रणाम
    मैने लिखी हुई सारी बाते पढी।
    परन्तु मै एक बात कहना चाहता हुँ कि जो लोग समलैगिँक व्यवहार करते हैँ वो अगर सावधानी बरते तो सुरछित रह सकते है।
    हम सब को अपनी जिन्दगीँ अपने मुताबिक जीने का हक है।
    अगर कोई जोखिम भरा व्यवहार करता है तो वो बीमारी से ग्रसित हो सकता है चाहे सामान्य पुरुष ही क्योँ ना हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *