अविनाश वाचस्पति

मेरी पसंद के चिट्ठे 010

AvinashV

चिट्ठाजगत में शायद ही कोई व्यक्ति हो जिस ने अविनाश वाचस्पति का नाम न सुना हो. मुझे अभी भी वह दिन याद है जब अविनाश के पहले चिट्ठे का प्रादुर्भाव हुआ था. उन दिनों सक्रिय चिट्ठों की संख्या सिर्फ कुछ सौ थी और लगभग हर चिट्ठे पर नजर पड जाती थी, लेकिन अविनाश का चिट्ठा कुछ खास लगा.

अविनाश की लेखनी से सामना हुआ तो मुझे एकदम से लगा कि इस व्यक्ति में काफी स्फूर्ति और ऊर्जा है. आज लगता है कि मेरी सोच सही थी.

आज अविनाश का एक चिट्ठा अनेक में बदल चुका है. सौभाग्य से ऊपर दिखाये गये चिट्ठे से आप उनके हर चिट्ठे पर जा सकते हैं. एक याद रखो, बाकी को अविनाश याद दिला देंगे. बहु-चिट्ठे के मालिकों के लिये अच्छा होगा कि वे अपने चिट्ठों को इस तरह आपस में एक “जंक्शन” के समान जोड दें जिससे पाठक-गाडी आसानी से किसी भी चिट्ठास्टेशन पर पहुंच सके.

अविनाश की उर्जा के साथ साथ जिन विषयों पर वे लिखते हैं उसकी व्यापकता तारीफे काबिल है. तो देर न करें. चित्र पर चटका लगाईये, उनके नामधारी चिट्ठे पर पहुंचिये, पहले उसे बुकमार्क कीजिये, और फिर उनकी कलम का स्वाद महसूस करें.

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Author: Super_Admin

18 thoughts on “अविनाश वाचस्पति

  1. अविनाश जी तो सर्वव्यापी हो चलें चलें हैं -जित देखूं तित तूं वाली स्थिति है !

  2. अविनाशजी वाकई स्फूर्ति व् ऊर्जा से भरपूर हैं…अभी एक पोस्ट पढ़ नहीं पाए उससे पहले दूसरी तैयार मिलती है …बहुत बहुत शुभकामनायें ..!!

  3. अविनाश जी की उपस्थिति आत्यंतिक है इस चिट्ठाजगत में । सबसे इंटरकनेक्टेड रहने वाले जीव हैं यह । सबको अपनी प्रशंसा का आश्रय देते हैं । आभार इनकी चर्चा के लिये ।

  4. आप उन्हीं अविनाश जी की बात कर रहे हैँ ना जो पूरे दिन ही कीबोर्ड पर ऊँगलियाँ टकटकाते रहते हैँ 🙂

  5. सच है अविनाश जी हैं ही ऐसे ….उनकी पोस्ट , उनकी टिप्पणियां सब काबिले तारीफ हैं

  6. शास्त्री जी ने अपने रथ में मुझे स्‍थान दिया इसके लिए दिल से और अपनी कीबोर्डीय ऊंगलियों से आभारी हूं। वैसे जितनी प्रशंसा मेरी की गई है, वो शास्‍त्री जी की जर्रानवाजी है। आप सब अपने स्‍नेह, आशीर्वाद, डांट, प्‍यार और फटकार से मुझे सदैव नवाजते रहिएगा। मुझे डांट खाने से बहुत हौसला मिलता है।

  7. एक ऊर्जावान द्वारा दूसरे ऊर्जावान की तारीफ भा गई।
    कीबोर्डीय ऊंगलियाँ तो हैं ही काबिले तारीफ़

  8. बहुत दिनो बाद आपके ब्‍लाग पर आना हुआ, बहुत अच्‍छा लगा। चिट्ठे और चिट्ठकरो का करवां चल रहा है आगे भी चलता रहे। अविनाश जी का चिट्ठा वास्‍तव में खास है।

  9. Bade dinon baad aapke blog pe aayee hun..! Tippanee denekee qabiliyat to nahee rakhtee, lekin Avinash ji ko aapke madhyam se badhayee zaroor de rahee hun..!

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