आज हर ओर सरकारी अस्पतालों की हालत ऐसी खस्ता है कि लोग उनके नाम पर नाकभौं सिकोडते हैं. यही हाल सरकारी विद्यालयों का है.
लेकिन हिन्दुस्तान जैसे भीमकाय देश में जहां हर तरह की संपन्नता आ जाये तो भी करोडों लोग गरीब रहेंगे, यहां सरकारी अस्पताल, विद्यालय, एवं खाद्यान्न वितरण (राशन) का होना जरूरी है. बदलाव उनके रखरखाव एवं गुणवता में आना चाहिये और उनका उन्मूल कतई नहीं होना चाहिये.
पिछले 15 सालों में मुझे कई निजी अस्पतालों एवं विद्यालयों को पास से देखने का मौका मिला है. इनकी गुणवत्ता काफी अधिक है, लेकिन समाज के 5% से अधिक लोग इनकी सेवा नहीं ले सकते. दिन प्रति दिन इन में से कई का रूख व्यापारिक अधिक और सेवा न के बराबर होता जा रहा है.
मेरे बेटे की जूनियर डाक्टर से कल बात हुई तो उसने हाल ही का अनुभव बताया क सर्पदंश पीडित एक छोटी से बच्ची को किस तरह से अपने छोटे से अस्पताल से एक बडे अस्पताल में वह ले गई लेकिन डाक्टरों की लापरवाही के कारण वह गुजर गई. जरूरत इस बात की है कि सरकारी अस्पतालों कों हर तरह की सुविधा से भर दिया जाये, लेकिन उन में इतना कडा अनुशासन हो कि वे निजी अस्पतालों के समान दक्षता से कार्य करें. इसके बिना गरीब को कभी भी स्वास्थ्य एवं जीवन संबंधी सुविधा नहीं मिल पायगी.
Indian Coins | Guide For Income | Physics For You | Article Bank | India Tourism | All About India | Sarathi | Sarathi English |Sarathi Coins Picture: by wwarby
जब तक ये अस्पताल सरकारी रहेंगे, यह होता रहेगा। ये अस्पताल जिस क्षेत्र के लिए हों वहाँ के समाज का इन पर जनतांत्रिक नियंत्रण ही इन्हे सही राह पर ला सकता है।
सच में अब इनकी शायद ही जरूरत है !
सरकारी अस्पतालों की जरूरत तो बहुत है, बस उन अस्पतालों में से खून चूसने वाले डाक्टरों को निकालकर थोड़े ईमानदार डाक्टर आ जायें…
आप की पोस्ट बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है, शास्त्री जी।
उस बच्ची की सर्पदंश से हुई मौत का बहुत दुःख हुआ।
सरकारी अस्पतालों की ओर सरकारी विद्यालयों की सख्त जरूरत है,गरीबो को नही, उन डाक्टरों को यहां काम बिलकुल नही करते, बल्कि नकली दवाई यही लगाते है, गरीबो का खुन चुस कर अपने बच्चो को ऎश करवाते है, उन नेताओ को जरुरत है जो गरीबो के नाम से सब से ज्यादा माल यही से हडपते है,
जो सरकारी है,वो असरकारी तो हो ही नहीं सकती। अब या तो कोई चीज सरकारी होगी या फिर असरकारी।
अब गरीब आदमी बेचारा करे भी तो क्या? असरकारी जगह पर जाने की उसकी औकात नहीं है और जो सरकारी है,वहाँ जाकर मरने से तो घर मरना भला……..
सरकारी अस्पताल , सरकारी विद्यालय , सरकारी राशन..बहुत बेहतर हो सकते हैं यदि सरकार को चलने वाले विधायक,संसद,मंत्री आदि के लिए इन्हें इस्तेमाल करना अनिवार्य कर दिया जाये..!!
@उन में इतना कडा अनुशासन हो कि वे निजी अस्पतालों के समान दक्षता से कार्य करें.
अनुशासित ही रहना होता तो सरकारी नौकरी में क्या करते।
सरकारी अस्पतालों का आंशिक निजीकरण कर दिया जाना चाहिये.
आप के लेख सामाजिक चेतना जगाने वाले होते हैं.आभार.
आज ओणम पर्व है और आप को ओणम की बहुत बहुत शुभकामनायें.
I fully agree with you , the big dignitariries of India are going abroad for their treatment , but my humble submission is that Private Practice of all Medical officer attached with big Govt. institutions must be stopped and they must be availaible on call 24 hrs. a day , this is the easiest solution for the interst of Hospital services
आपकी बात से पूर्ण सहमती है. सरकारी अस्पतालों और सरकारी स्कूलों, दोनों को ही बेहतर दिशा और नियंत्रण की आवश्यकता है क्योंकि जैसाकि आपने कहा, समाज का एक बड़ा हिस्सा अभी भी उनपर निर्भर है.